Monday, July 29, 2013

सुशांत का नयापन लुभावना है

-सौम्या अपराजिता 
हिंदी फिल्मों के कथ्य और उसकी अभिव्यक्ति को नया दृष्टिकोण देने वाले निर्देशकों में दिबाकर बनर्जी उल्लेखनीय हैं। मुख्य धारा में रहते हुए 'खोसला का घोंसला','ओए लकी लकी ओए','लव सेक्स और धोखा' और 'शंघाई' जैसी लीक से हटकर फ़िल्में बनाने वाले दिबाकर की फिल्मों का एक बड़ा प्रशंसक वर्ग है जो उनकी फिल्मों का इंतज़ार करता है। दिबाकर की फिल्मों के कथ्य और उनकी अभिव्यक्ति के अंदाज से प्रभावित होकर यशराज फिल्म्स ने उनका हाथ थाम लिया है। दिबाकर अब यशराज फिल्म्स के साथ मिलकर फिल्मों का निर्माण और निर्देशन करेंगे। यशराज फिल्म्स के सहयोग से दिबाकर शरदेन्दु बंदोपाध्याय द्वारा गढ़े गए लोकप्रिय जासूसी पात्र ब्योमकेश बक्शी को हिंदी फ़िल्मी दर्शकों के लिए उपलब्ध करायेंगे। ब्योमकेश बक्शी पर आधारित फिल्मों की श्रंखला दर्शकों के सामने दिबाकर पेश करेंगे। उल्लेखनीय है कि दिबाकर ने ब्योमकेश बक्शी की भूमिका  निभाने के लिए सुशांत सिंह राजपूत का चयन किया है। ब्योमकेश बक्शी पर आधारित अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' की योजना और उससे जुड़े पहलुओं के विषय में दिबाकर अवगत करा रहे हैं ...
बचपन का सपना 
'ब्योमकेश बक्शी' को  बचपन में पढ़ा था। पढ़ते-पढ़ते ब्योमकेश बक्शी की पूरी छवि आँखों के सामने आ जाती थी,पूरा  माहौल आँखों के सामने घूमने लगता था। तब से लेकर मेरी यही इच्छा थी की मैं उसे पहली बार हिंदी फिल्मों में लाऊं और आज लग रहा है कि मेरे बचपन का सपना पूरा हो रहा है। बहुत सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूँ। 
आज की पीढ़ी के लिए
सबसे पहले हमने जो तय किया है वह है कि ब्योमकेश बक्शी को आज की पीढ़ी के लिए, आज के युवा दर्शकों के लिए रीडिजाइन करना पड़ेगा जिसका सार शरदेन्दु जी की ओरिजिनल कहानी में ही है। सबसे पहले हमने ऐसे किया कि हमने शरदेन्दु जी की ब्योमकेश बक्शी की सारी कहानियों के सभी भाषाओ के  राइट ख़रीदे ताकि हम पुख्ता फिल्म बना पायें। ऐसा नहीं हो कि मैं एक ब्योमकेश की फिल्म बना रहा हूं और साथ-साथ दूसरी फिल्म भी ब्योमकेश पर बन रही हो।  उसके बाद मैंने निर्णय किया कि  मैं ब्योमकेश को उसकी ओरिजिनल सेटिंग में दिखाऊंगा जो 1940  पर बेस्ड है। लेकिन उस दौर को मैं ऐसे पेश करूंगा जो आज की पीढ़ी के युवा दर्शक के लिए रोचक हो।  हमने सोचा कि  हम युवा ब्योमकेश को लेंगे जो पहली बार कॉलेज से  निकल कर जासूसी का अनुभव लेता है।जैसे बैटमैन की कहानी को ओरिजिन से शुरू किया गया ...ठीक उसी तरह पहली फिल्म में ब्योमकेश का उदय दिखेगा। 
नयी लहर हैं सुशांत 
सबसे बड़ी बात है की हमें ऐसा ब्योमकेश  चाहिए था जो दिखने में बहुत ही मॉडर्न हो और जो यूथ की पसंद  हो और जिसकी वाकई में उम्र कम हो। हम जब डिटेक्टिव बोलते हैं तो आमतौर पर  ज्यादा उम्र ,परिपक्व या किसी बुद्धिवाले को ही सोचते हैं। लेकिन ये ब्योम्बकेश के शुरुआत की कहानी है,वह कॉलेज स्टूडेंट है। उसमें अनुभव नहीं है,पर जोश है ..कुछ कर दिखाने का निश्चय है। उसकी शुरुआत है तो मुझे लगा कि ऐसा एक्टर होना चाहिए जो बाइस-तेइस साल का नौजवान हो। सुशांत ने अभी सिर्फ दो फ़िल्में ही की हैं। दो फिल्मों से ही उनका टैलेंट पता चल जाता है। वे हमारी फिल्मों की नयी लहर हैं। सुशांत को सबसे पहले मैंने उनके सीरियल में नोटिस किया था । यह सभी मानेंगे कि सीरियल में  अच्छी एक्टिंग करना बहुत बड़ी बात है। क्योंकि आमतौर पर सीरियल में एक्टिंग करने का चांस बहुत कम मिलता है पर सुशांत सिंह ने उसमें भी कमाल का काम किया।जिसके लिए वे पूरे  भारत में प्रसिद्द है। उस पॉपुलैरिटी को छोड़कर अचानक उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। ...तो ये जो सुशांत की जो खासियत है वह ब्योमकेश से मिलती-जुलती है। दूसरी बात है की जब ब्योमकेश ने  शुरुआत की थी तब उनको कोई नहीं जानता था। ब्योमकेश एक नौजवान था। सुशांत में अभी भी वह नयापन है ... वह कोरापन है जो बहुत ही लुभावना है। दूसरी बात है कि वे बहुत ही अच्छे एक्टर हैं। 
ब्योमकेश बक्शी सीरिज 
हमारी इच्छा है कि  ब्योमकेश के शुरुआत की कहानी दर्शकों के मन में अच्छी तरह बैठ जाए उसके बाद अगली कहानी दर्शकों के सामने हम पेश करें । सबसे बड़ी बात है कि हमारे यहाँ फिल्मों का जब पार्ट वन .. पार्ट टू  बनता है तो वह पहले से प्लान करके नहीं बनता है।पहली फिल्म हिट हो जाती है तो दूसरी फिल्म  को पहली फिल्म का नाम देकर उसके आगे 2 या 3 अंक लगा दिया जाता है चाहे उसकी कहानी बिलकुल अलग  ही क्यों न हो । हम पहले से प्लान करके ब्योमकेश बक्शी पर आधारित फिल्मों की सीरिज बनायेंगे। डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी से हम उसकी शुरुआत कर रहे हैं और हमें पहले से पता है कि  इसका अगला अंक कैसा होगा।
थ्रिल,एडवेंचर और रोमांस ..
मेरे लिए भी 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' का निर्माण और निर्देशन करना कई सपनों के पूरे जैसा होने जैसा है। पहला सपना जो पूरा हो रहा है वह है कि ब्योमकेश पहली बार हिंदी दर्शकों के लिए आएगा। दूसरा सपना जो पूरा हो रहा है वह है ...दूसरे  विश्व्युध्ह के समय का कोलकाता हम देखेंगे। तीसरा सपना जो पूरा हो रहा है वह है  ...वाकई में एक ओरिजिनल डिटेक्टिव स्टोरी हिंदी फिल्मों में दिखेगी। हिद्नी फिल्मों के अब तक जासूसी किरदार और एक एक्चुअल डिटेक्टिव में फर्क रहा  है। डिटेक्टिव वह होता है जो अपनी सोच से ,अपने लगन से चारों तरफ का  मायाजाल है भेदकर अपराधी  को पकड़ता है। ऐसे किरदार हिंदी फिल्मों में नहीं दिखाए गए हैं। डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी में पहली बार दर्शक ओरिजिनल डिटेक्टिव किरदार देख पाएंगे। इसमें थ्रिल है,एडवेंचर है,रोमांस है।

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