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Friday, December 6, 2013

रैंप से रुपहले पर्दे तक...

मॉडलिंग की दुनिया हिंदी फिल्मों का प्रवेश द्वार बन गयी है। मौजूदा दौर में हर दूसरे-तीसरे अभिनेता या अभिनेत्री के तार मॉडलिंग की दुनिया से जुड़े हैं। ऐसा लगता है जैसे रैंप और टीवी कमर्शियल कोई 'रियलिटी शो' हो जिसमें कुछ चेहरों के आकर्षण और प्रतिभा को परख कर उन्हें फिल्मों का नायक या नायिका बनाने का सिलसिला चल पड़ा हो। मॉडलिंग जगत के चेहरों की हिंदी फिल्मों में बढती पैंठ की पड़ताल...


अभिनेत्रियां अधिक सफल
हिंदी फिल्मों के आकाश में चमकने वाले कई सितारों का मॉडलिंग की दुनिया से वास्ता रहा है। हालांकि,सफल अभिनेता के रूप में बेहद कम पुरुष मॉडल अपनी पहचान बनाने में सफल हुए हैं। वर्तमान में मॉडलिंग से हिंदी फिल्मों में प्रवेश करने वाले सफल अभिनेताओं में जॉन अब्राहम और अर्जुन रामपाल उल्लेखनीय हैं। अभिनेताओं के मुकाबले मॉडलिंग की पृष्ठभूमि की अभिनेत्रियों की सफलता का औसत बेहतरीन रहा है। शीर्ष की पांच अभिनेत्रियों में चार अभिनेत्रियां फिल्मों में प्रवेश के पूर्व रैम्प पर अपनी थिरकन का जादू चला चुकी हैं। यहां बात हो रही है  कट्रीना कैफ ,प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण और अनुष्का शर्मा की। मौजूदा दौर की इन शीर्ष चार अभिनेत्रियों ने मॉडलिंग की दुनिया से होते हुए फिल्मों का सफ़र तय किया है। कट्रीना कैफ 'बूम' की रिलीज़ से पूर्व देश-विदेश के कई फैशन शो में रैंप पर कैटवाक कर चुकी हैं। टीवी कमार्शियलों में दीपिका पादुकोण के बोलते चेहरे और भारतीय व्यक्तित्व से प्रभावित होकर  फराह खान ने उन्हें 'ओम शांति ओम' में शांतिप्रिया की भूमिका सौंपी। 'रब ने बना दी जोड़ी' में तानी की भूमिका के लिए आदित्य चोपड़ा की तलाश बंगलुरू की मॉडल अनुष्का शर्मा पर जाकर ख़त्म हुई।  'मिस वर्ल्ड' की उपाधि को अपने सर पर सजाए प्रियंका चोपड़ा के रैंप पर थिरकने वाले कदम जब फ़िल्मी दुनिया की तरफ मुड़े,तो ऐसा लगा मानो जैसे हिंदी फिल्मों को ऐश्वर्या राय बच्चन जैसी एक और स्टार मिस वर्ल्ड अभिनेत्री मिल गयी हो।

आकर्षक प्रस्तुति में माहिर
मॉडलिंग जगत की पृष्ठभूमि से आने वाली अभिनेत्रियां और अभिनेता अपने बाहरी व्यक्तित्व पर विशेष ध्यान देते हैं। उन्हें अपेक्षाकृत फैशन और स्टाइल की अच्छी समझ होती है। विशेषकर अभिनेत्रियाँ अपने रंग-रूप को लेकर अधिक सजग होती हैं इसलिए निर्माता-निर्देशक का ध्यान अपनी हीरोइनों की साज-सज्जा से अधिक उनके कैरेक्टर पर रहता है। वे निश्चिंत होकर अपनी फिल्म के दूसरे पक्ष पर नजर रख सकते हैं। गौर करें तो इन दिनों दीपिका पादुकोण की सफलता में हर फिल्म में भूमिका के अनुसार उनके बदलते लुक और प्रस्तुति का भी महत्वपूर्ण योगदान है। एक सफल मॉडल होने के कारण दीपिका जानती हैं कि किस भूमिका के लिए उन्हें किस तरह के लुक को अपनाने की जरुरत है। फिल्म विशेषज्ञ मयंक शेखर कहते हैं,'दीपिका स्क्रीन पर  शानदार नजर आती हैं।वे अपने रंग-रूप को लेकर बेहद जागरूक लगती हैं।'

अनुशासन और व्यावसायिक समझ
मॉडलिंग जगत से हिन्दी फिल्मों में प्रवेश करने वाले चेहरे अपने साथ खूबसूरती और ग्लैमर के साथ ही अनुशासन भी लेकर आते हैं। रैंप पर कैटवाक के दौरान एक निश्चित अवधि में कई पोशाक बदलने पड़ते हैं,दूसरे सहयोगी मॉडल के साथ कदम-ताल करना पड़ता है। ऐसा वे अपने अनुशासित व्यवहार से कर पाते हैं। जब इस अनुशासित अनुभव के बाद मॉडल फिल्मों में प्रवेश करते हैं..तो अपने साथ अनुशासित कार्य प्रणाली भी लाते हैं। साथ ही,उनकी कार्य शैली में व्यावसायिकता का पुट दूसरी पृष्ठभूमि के अभिनेता-अभिनेत्रियों के मुकाबले अधिक होता है। वे ज्यादा प्रोफेशनल होते हैं। उनके निर्णय में निजी लाभ से अधिक प्रोफेशनल लाभ का संकेत अधिक होता है। अभिनेता-अभिनेत्रियों के इस प्रोफेशनल रवैये से फिल्म मेकर भी सकरात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। अपनी फिल्म के नायक-नायिका के प्रोफेशनल व्यवहार के कारण फिल्म निर्माण की गतिविधि तेजी से आगे बढती है।

पोशाक से जुड़े खुले विचार..
अंग प्रदर्शन को लेकर मॉडलिंग पृष्ठभूमि की अभिनेत्रियों का नजरिया साफ होता है।मॉडलिंग इंडस्ट्री से जुड़े होने के कारण वे दर्शकों के समूह के बीच हर तरह के पोशाक पहनने की आदी होती हैं। इसलिए वे पोशाक के मामले में खुले विचारों वाली होती हैं। जिस कारण फिल्म निर्माता पोशाक को लेकर अभिनेत्रियों की आनाकानी से बच जाते हैं। वे बेफिक्र होकर इन अभिनेत्रियों को अपनी फिल्म के आकर्षण के रूप में पेश कर सकते हैं। सुपर मॉडल रह चुकी कट्रीना कैफ कहती हैं,'अगर फिल्मों की बात है,तो मैं किसी भी तरह के लुक में ढलने के लिए तैयार रहती हूं। फिल्मों में  अपने लुक को लेकर मैं ओपन रहती हूं।' गौर करें तो मॉडलिंग पृष्ठभूमि की अभिनेत्रियों के प्रवेश के बाद से ही हिंदी फिल्मों की नायिकाओं के पोशाक पहनने का अंदाज बदला। वे तथाकथित आधुनिक और विविध अंदाज के पोशाक पहनने लगीं। मॉडलिंग से फिल्मों का रुख करने वाली अभिनेत्रियों  का ही असर है कि अब दर्शक भी फिल्मों की नायिकाओं के छोटे-छोटे पोशाक को लेकर काना फूसी नहीं करते हैं।

होती है आलोचना
ऐसा नहीं है कि मॉडलिंग से हिंदी फिल्मों की राह आसान है। शुरूआती संघर्ष और आलोचना से दो-चार होना पड़ता है। बिपाशा बसु ने जब मॉडलिंग से हिंदी फिल्मों का रुख किया,तो उनके अभिनय की जमकर आलोचना हुई। बिपाशा बताती हैं,' मैं 18 साल की थी जब मैंने अपना करिअर शुरू किया और मैं मॉडलिंग से बोर हो चुकी थी । बोरियत की वजह से ही मैंने पहली फिल्म की थी, जिसको लेकर मेरी बहुत आलोचना हुई।' ' आयशा' और 'रास्कल्स' जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी लिजा हैडेन कहती हैं,'मुझे लगता है कि एक मॉडल होने के कारण खुद को एक एक्टर के तौर पर स्थापित करना बेहद मुश्किल है। लोगों के मन में पहले से धारणा बन चुकी होती है कि मॉडल एक्टिंग नहीं कर सकते हैं।'

 संघर्ष भी..
दरअसल,मॉडलिंग इंडस्ट्री से आयी लडकियां कैमरे की भाषा समझती हैं। वे फिल्मी दुनिया की चकाचौंध में खुद को ढाल भी लेती हैं,पर हिंदी फिल्मों के  लटके-झटके वे जल्दी पचा नहीं पाती हैं। अनुभव के अभाव में उन्हें अभिनय में पारंगत होने में वक़्त भी लगता है। कट्रीना कैफ को भी वक़्त लगा। वे बताती हैं,' फ़िल्में मेरे लिए माउंट एवरेस्ट की तरह थीं,जहाँ तक पहुंचना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी। धीरे-धीरे बात बनी। सेट पर कम्फर्ट के साथ रहने में वक़्त लगा। बोलने के लहजे,डांस और एक्टिंग स्किल पर ध्यान देना पड़ा। यह एक सफ़र था जिसे डेस्टिनी ने मेरे लिए प्लान किया था।' कॉकटेल' से हिंदी फिल्मों में पदार्पण करने वाली डियाना पेंटी कहती हैं,'मॉडलिंग और फ़िल्में  एक-दूसरे से बहुत अलग हैं, वे पूरी तरह से अलग हैं। काम की प्रकृति के लिहाज से दोनों पूरी तरह से अलग हैं। अभिनय बहुत कुछ चाहता है।इसमें आपको शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक रूप से डूबना पड़ता है। खुद से संघर्ष करना पड़ता है।'

आलोचना और संघर्ष से दो-चार होने के बाद भी मॉडलिंग की पृष्ठभूमि के चेहरों का फिल्मों में आगमन का सिलसिला जारी है। प्रतिवर्ष लगभग एक दर्जन नए चेहरे मॉडलिंग की दुनिया से होते हुए हिंदी फिल्मों में प्रवेश करते हैं। हालांकि, प्रशिक्षण और अनुभव के अभाव में उनके लिए फिल्मों में प्रारम्भिक दिन कठिन होते हैं। कुछ इन कठिनाइयों के आगे घुटने टेक देते हैं,तो कुछ अनुशासन,धैर्य और व्यावसायिक समझ के कारण धीरे-धीरे खुद को फ़िल्मों में स्थापित करने में सफल रहते हैं और दीपिका पादुकोण और कट्रीना कैफ की तरह सफलता का नया सोपान छूते हैं।

इस वर्ष मॉडलिंग से फिल्मों में प्रवेश करने वाले चेहरे-
वाणी कपूर
पूजा चोपड़ा
क्रिष्टिना अखीवा
कायनात अरोड़ा
पूजा साल्वी
पूनम पांडे
सारा लेओन
राशि खन्ना
अमायरा दस्तूर

-सौम्या अपराजिता

Thursday, October 17, 2013

चार का चमत्कार !

वर्ष की आखिरी तिमाही शुरू हो गयी है। हमेशा की तरह इन आखिरी महीनों पर फ़िल्मी दुनिया से जुड़े लोगों की पैनी नजर है। विशेषकर एक-दूसरे से आगे निकलने की चाहत रखने वाली शीर्ष की चार अभिनेत्रियों के लिए साल का उत्तरार्द्ध बेहद महत्वपूर्ण है। वर्ष के आखिरी दो महीनों में प्रदर्शित होने वाली उनकी फिल्म की सफलता इस वर्ष के अंत को उनके लिए सुखद बनाएगी,साथ ही ..अगले वर्ष आयोजित होने वाले पुरस्कार समारोहों में उनकी बेहतर स्थिति का संकेत भी देगी...।

दरअसल,नवम्बर और दिसम्बर में शीर्ष पर विराजमान चार अभिनेत्रियों करीना कपूर,प्रियंका चोपड़ा,कट्रीना कैफ और दीपिका पादुकोण में से प्रत्येक की एक फिल्म प्रदर्शित होने वाली हैं। इन चारों अभिनेत्रियों के लिए आवश्यक है कि उनकी फिल्म सफल और प्रशंसित हो। दिग्गज निर्माता-निर्देशकों की पसंद और प्रशंसकों की प्रिय ये अभिनेत्रियां पलक-पांवड़े बिछाकर अपनी-अपनी फिल्म के प्रदर्शन का इंतज़ार कर रही हैं। दीपिका पादुकोण की नजर 'राम-लीला' के प्रदर्शन पर टिकी है,तो प्रियंका चोपड़ा ने 'कृष3' से उम्मीदें बांध रखी हैं। करीना कपूर खान चाहती हैं कि 'गोरी तेरे प्यार में' दर्शकों को पसंद आए, तो  कट्रीना कैफ 'धूम 3' के सिनेमाघरों में पहुंचने के इंतज़ार में हैं। 

अपनी इन समकालीन अभिनेत्रियों में से सबसे पहले  प्रियंका चोपड़ा दर्शकों की कसौटी पर होंगी,जब उनकी फिल्म 'कृष 3' सिनेमाघरों में होगी। हालांकि,नवम्बर के पहले सप्ताह में प्रदर्शित हो रही 'कृष 3' का मुख्य आकर्षण फिल्म के स्पेशल इफ़ेक्ट और रितिक रोशन का सुपर हीरो अवतार है..फिर भी प्रियंका के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण फिल्म है। इस फिल्म से प्रियंका के जुड़ाव का ही असर है कि 'कृष 3' के फर्स्ट लुक लांच के ठीक पहले प्रियंका के सुझाव पर अमल करते हुए ट्रेलर में बदलाव किया गया। जिसके बाद ट्रेलर को मिली लोकप्रियता का श्रेय प्रियंका को मिला।   प्रियंका कहती हैं,'कृष 3' ...'कोई मिल गया' और ' कृष' से बड़ी और बेहतर है। 'कृष' में मैं थी इसलिए 'कृष 3 ' से मेरा विशेष लगाव है।' 'कृष 3' में प्रियंका चोपड़ा हंसमुख और चंचल प्रिया की भूमिका निभा रही हैं जो कृष बने रितिक रोशन के साथ प्रेम-सम्बन्ध में बंधी हुई है।

दीपिका पादुकोण की सफलता का सिलसिला आगे बढ़ा सकती है 'राम-लीला'। संजय लीला भंसाली के निर्देशन में अभिनय करने का अवसर मिलना दीपिका के लिए सौभाग्य की बात है। ...और वह चाहती हैं कि इस सौभाग्य में बॉक्स ऑफिस की सफलता भी जुड़ जाए जिससे यह फिल्म उनके करियर में मील का पत्थर साबित हो सके। दीपिका के लिए 'राम- लीला' इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें उनके चरित्र को संजय लीला भंसाली ने अपनी मां लीला का नाम दिया है। दीपिका कहती हैं,' राम-लीला' को लेकर मैं बेहद जिम्मेदार महसूस कर रही हूं। मुझे पता है कि संजय के लिए उनकी मां कितना मायने रखती हैं।' दीपिका आगे कहती हैं,'राम-लीला' में काम करना मेरे लिये आसान नहीं रहा। इस फिल्म के लिए भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक समर्पण चाहिए था। मेरे लिए 'राम-लीला' से जुड़ना चुनौतीपूर्ण रहा।' 'राम-लीला' में दीपिका बहादुर और न्याय प्रिय  गुजराती लड़की लीला की भूमिका निभा रही हैं जो नोंक-झोंक के लम्बे सिलसिले के बाद राम नाम के अल्हड युवक के प्रेम-पाश में बंध जाती है।

इमरान खान के साथ अपनी जोड़ी को फ़िल्मी दुनिया की सफल जोड़ियों में शुमार करवाना चाहती हैं करीना कपूर खान। यही वजह है कि 'एक मैं और एक तू' की सफलता के बाद इमरान के साथ उन्होंने 'गोरी तेरे प्यार में' में अभिनय का प्रस्ताव स्वीकार किया। करण जौहर निर्मित और पुनीत मल्होत्रा निर्देशित इस फिल्म की सफलता शादी के बाद भी हिंदी फिल्मों में करीना की प्रभावशाली उपस्थिति का संकेत दे सकती है।करीना कहती हैं,' मैंने इमरान के साथ 'एक मैं और एक तू' भी की थी। वह बहुत खास फिल्म थी। उसमें अंग्रेजी भाषा भी थी। वह आम दर्शकों के लिए नहीं थी। लेकिन यह फिल्म उससे बिल्कुल अलग और आम दर्शकों की फिल्म है।हर वर्ग के दर्शक 'गोरी तेरे प्यार में' को पसंद करेंगे।' 'गोरी तेरे प्यार' में करीना ने सीधे-सादे लिबास में लिपटी रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता का किरदार निभाया है।

वर्ष की शुरुआत से कट्रीना कैफ की फिल्म के प्रदर्शन का दर्शकों का इंतज़ार दिसम्बर में ख़त्म होगा जब 'धूम 3' सिनेमाघरों में दस्तक देगी। ऐसे में,कट्रीना के करियर में इस वर्ष के महत्त्व का सारा दारोमदार धूम 3' पर टिका है। इस बहुप्रतीक्षित और बहुचर्चित फिल्म से कट्रीना ने ढेर सारी उम्मीदें बांध रखी है । उनकी उम्मीदों को और भी प्रगाढ़ किया है फिल्म में आमिर खान की  आकर्षक मौजूदगी ने।' धूम 3' कट्रीना के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें वे पहली बार आमिर खान के साथ नजर आएंगी। कट्रीना चाहती हैं कि ' धूम 3' की सफलता के बाद एक बार फिर वे अपनी फिल्मों और सफलता के बेहतरीन अनुपात की वजह से सुर्ख़ियों में रहे ना कि निजी जीवन में आने वाली उथल-पुथल की खबरों के कारण।
-सौम्या अपराजिता

Sunday, September 15, 2013

तरक्की,तकरार और तमाशा

ईर्ष्या,द्वेष और प्रतिस्पर्धा की भावना जब चरम पर होती है, तो रिश्ते में दरार आ ही जाती है।और जब बात हिंदी फिल्मों की चमकीली,पर खोखली दुनिया की हो तो दो शीर्ष अभिनेत्रियों के बीच यह भावना बेहद प्रबल होती है। एक दूसरे से अधिक तरक्की की चाह में दोनों में तकरार होती है। जब यह तकरार प्रत्यक्ष हो जाती है,तब वह तमाशा बन जाती है। तरक्की की चाह में हुए तकरार के ताजा तमाशा  की सूत्रधार हैं दीपिका पादुकोण और कट्रीना कैफ। हालांकि इन दोनों अभिनेत्रियों के बीच कभी मधुर सम्बन्ध नहीं रहें,पर दोनों के बीच इतनी कड़वाहट भी नहीं थी जैसी आज है। एक नजर हिंदी फिल्मों की इन दो शीर्ष अभिनेत्रियों के दिन-ब-दिन बिगड़ते रिश्ते पर .....

तब इतने दूर नहीं थे
 रोचक है कि दीपिका पादुकोण ने रणबीर कपूर से कट्रीना कैफ की पहली अनौपचारिक मुलाकात करायी थी। उस समय दीपिका और रणबीर एक-दूसरे के साथ प्यार भरे रिश्ते में बंधे थे,तो कट्रीना की नजदीकियां सलमान खान के साथ थीं। अपने-अपने प्रेम सम्बन्ध की नींव मजबूत कर रही दीपिका और कट्रीना  फिल्मों की शूटिंग और प्रमोशन में व्यस्त थीं। चूंकि, दीपिका नईं थीं इसलिए उन्हें लेकर कट्रीना में असुरक्षा की भावना नहीं थी। साथ ही, कट्रीना की सफलता से दीपिका भी फिक्रमंद नहीं थीं। वे उस समय फिल्मों की दुनिया में अपने पाँव जमाने में व्यस्त थीं। दोनों के बीच दोस्ती नहीं थी,लेकिन दोनों दुश्मन भी नहीं थे।
शुरू हुआ मनमुटाव
तीन वर्ष पूर्व दीपिका और कट्रीना के बीच मनमुटाव की शुरुआत हुई। इसकी वजह थी रणबीर कपूर का दीपिका के जीवन से जाना और कट्रीना के जीवन में आना । दीपिका की नजर में उनके और रणबीर के सम्बन्ध विच्छेद की वजह कट्रीना थीं। उधर कट्रीना भी फिल्मों में दीपिका के बढ़ते कद से परेशान थीं। इस तरह दो अभिनेत्रियों के कभी मित्र नहीं होने की मशहूर कहावत को चरितार्थ करने का एक और मौका दिया दीपिका पादुकोण और कट्रीना कैफ ने। दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति द्वेष की भावना घर करने लगी।


प्यार बनाम दोस्ती
दीपिका और कट्रीना के बीच पिछले तीन वर्षों से मनमुटाव बना हुआ था,पर वह अख़बारों की सुर्ख़ियों से दूर था। जहाँ दीपिका निजी जीवन में आगे बढ़ रही थीं,वहीं कट्रीना भी चुपके-चुपके रणबीर के साथ अपने प्रेम सम्बन्ध की नींव मजबूत कर रही थीं। दोनों अभिनेत्रियों के बीच का मनमुटाव ने इस वर्ष की शुरुआत से सुर्ख़ियों में जगह पानी शुरू की जब पूर्व प्रेम सम्बन्ध को भूलकर एक बार फिर दीपिका और रणबीर दोस्त बनें। दोनों ने साथ काम किया। दोस्ती की डोर में बंधने के बाद रणबीर और दीपिका की 'ये जवानी है दीवानी' प्रदर्शित हुई और सफल रही। एक बार फिर दोनों के बीच प्रेम की अफवाहें उड़ीं जिससे कट्रीना को असुरक्षा महसूस हुई। इस तरह रणबीर को लेकर कट्रीना और दीपिका के बीच तकरार को मसालेदार बनाकर पेश करने का सिलसिला चल पड़ा।

नोंक-झोंक
दीपिका से बढती नजदीकियों से परेशान होकर कट्रीना ने रणबीर के साथ छुट्टियां मनाने का निर्णय किया और पहुँच गयीं स्पेन के खूबसूरत बीच पर। इन छुट्टियों के दौरान कट्रीना और रणबीर द्वारा बिताए गए निजी पलों की तस्वीरें सार्वजनिक हो गयी। और यही तस्वीरें दीपिका और कट्रीना के बीच चल रहे आरोप-प्रत्यारोप की वजह बनी। इन तस्वीरों के सन्दर्भ में दीपिका ने कट्रीना की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह सेलिब्रिटी हैं और पब्लिक फिगर होने के नाते वह कहीं भी जाएंगी, तो फोटो तो क्लिक होंगे ही। ऐसे में उनका मीडिया पर इल्जाम लगाना ठीक नहीं है। दरअसल,कट्रीना ने उनकी और रणबीर की तस्वीरों के सार्वजनिक होने का आरोप मीडिया पर लगाया था। उधर कट्रीना ने दीपिका के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दीपिका को अपने काम से काम रखने की सलाह दे डाली और कहा कि शीशे के घर में रहने वाले दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर में दीपिका ने कट्रीना को आगाह कर दिया है कि रणबीर के साथ उनकी दोस्ती जीवन भर बनी रहेगी।

आगे निकलने की होड़
दीपिका की पिछली चार फिल्मों की लगातार और धमाकेदार सफलता ने कट्रीना कैफ के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ा दी है। अब उनके साथ नंबर वन के रेस में दीपिका भी शामिल हो गयी हैं। दीपिका भी इस तथ्य से वाकिफ हैं । उनका जोश बढ़ गया है। वे इस रेस में कट्रीना से आगे निकलने के लिए कमर कस चुकी हैं। हालांकि, दीपिका कहती हैं,'सफलता से उत्साह बढ़ता है,पर मैं हमेशा अपने आप को ग्राउंडेड बनाये रखना चाहती हूं। अच्छी अभिनेत्री बनना चाहती हूं।' उधर कट्रीना भी यूं ही नंबर वन की कुर्सी से मोह भंग नहीं करना चाहतीं। हालाँकि,कट्रीना अब सफल अभिनेत्री के साथ-साथ अच्छी अभिनेत्री भी बनना चाहती हैं। वे कहती हैं,'सफल फिल्मों का हिस्सा होना गर्व की बात है। अपनी सफलता का सिलसिला बरकरार रखना चाहती हूं। हालांकि, अभी मैं उस दौर में हूं कि कुछ अलग और नया कर सकती हूं।'

फिल्म फैक्टर
यदि कट्रीना और दीपिका की फ़िल्मी पोटली की बात करें,तो दोनों के पास उल्लेखनीय फ़िल्में हैं। इस वर्ष कट्रीना कैफ बहुप्रतीक्षित फिल्म' धूम 3' में दिखेंगी,तो दीपिका पदुकोन अपने कथित प्रेमी रणवीर सिंह के साथ संजय लीला भंसाली की बहुचर्चित फिल्म 'राम लीला' में अभिनय का रंग भरती हुई दर्शकों के सामने होंगी। अगले वर्ष जहां कट्रीना कैफ की तीन फिल्में रितिक रोशन के साथ 'बैंग बैंग' ,सैफ अली खान के साथ कबीर खान निर्देशित फिल्म और संभवतः रणबीर कपूर के साथ अनुराग बसु की 'जग्गा जासूस' प्रदर्शित होगी। दूसरी तरफ दीपिका अगले वर्ष भी फिल्मों में अपने आकर्षण का जादू चलाने के लिए तैयार हैं। वे इस समय शाहरुख़ खान और अभिषेक बच्चन के साथ फराह खान की 'हैप्पी न्यू इयर' की शूटिंग कर रही हैं।' दोस्ताना 2' और इम्तियाज अली की रणबीर कपूर अभिनीत अगली फिल्म में भी दीपिका की मौजूदगी की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। चर्चा है कि इन दोनों ही फिल्मों से जुड़ने की इच्छा कट्रीना ने जताई थी,पर उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। एक-दूसरे से फ़िल्में छिनने का आरोप भी इन दोनों अभिनेत्रियों पर लगता रहा है। अब दोनों के बीच मधुर भंडारकर की नयी फिल्म की नायिका बनने की होड़ लगी हुई है। दोनों ही मधुर की फिल्म का हिस्सा बनकर एक-दूसरे से खुद को बेहतर साबित करना चाहती हैं।

दरअसल,दीपिका और कट्रीना के बीच आपसी मनमुटाव और प्रतिस्पर्धा की भावना इतनी प्रबल और प्रत्यक्ष हो गयी है कि उनकी फिल्में,अभिनय और उपलब्धियां हाशिए पर चली गयीं हैं। यही वजह है कि उनकी फिल्मों से अधिक उनकी तकरार की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। अपनी नादानी और अपरिपक्वता के कारण ये दोनों अभिनेत्रियां इन ख़बरों को और भी तीखा बना रही हैं। एक-दूसरे से खुद को बेहतर साबित करने की होड़ में दोनों भूल गयीं हैं कि सह अस्तित्व और सहृदयता की भावना से ही लम्बी अवधि तक सफलता का साथ बना रहता है।
-सौम्या अपराजिता