Showing posts with label रेखा. Show all posts
Showing posts with label रेखा. Show all posts

Sunday, August 25, 2013

एक्शन,ऐडवेंचर और एक्ट्रेस

 -सौम्या अपराजिता

 एक्शन और ऐडवेंचर की जब बात होती है,तो एक्शन छवि वाले अभिनेताओं की तस्वीर आँखों के सामने दौड़ जाती है। ...और अभिनेत्रियों के  हिस्से 'कोमल','खूबसूरत' और 'ग्लैमरस' जैसे विशेषण ही आते हैं । ...हालांकि, कुछ अभिनेत्रियां हैं जो शिद्दत से अपने साथ जुड़े इन विशेषणों को हाशिए पर रखकर एक्शन और ऐडवेंचर जैसे शब्दों के साथ खुद को जोड़ना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि अपने सह अभिनेताओं की तरह वे भी  एक्शन और रोमांच का ताना-बाना पर्दे पर पेश करें। वे 'एक्शन स्टार' बनना चाहती हैं और बता देना चाहती हैं कि यदि अवसर दिया जाए तो उनमें भी विलेन के छक्के छुड़ाने का दम-ख़म है।

सिर्फ नाच-गाना नहीं
दरअसल , रोमांटिक और नाच-गाने वाली भूमिकाओं से अभिनेत्रियां ऊब चुकी हैं। लद गए वे दिन जब अभिनेत्रियां फिल्मों में थोड़े बहुत नाच-गाने और रोने-धोने वाली  भूमिकाओं से संतुष्ट हो जाती थी। अब उन पर भी बदलते समय ने अपना प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। अब वे भी अभिनेताओं की तरह एक्शन में हाथ आजमाना चाहती हैं। अभिनेत्रियों के मन के किसी कोने में दबी इस बात को प्रीति जिंटा ने सार्वजनिक रूप से उजागर किया जब उन्होंने ट्विटर पर लिखा,' हॉलीवुड की तर्ज पर भारत में भी अभिनेत्रियों को एक्शन फिल्मों में भूमिकाएँ मिलनी चाहिए।'  एक्शन भूमिकाओं की तरफ अभिनेत्रियों का झुकाव हमारी हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्रियों की तथाकथित छवि में बदलाव का  संकेत है। जहाँ ,वे सहमी हुई लडक़ी की तरह हीरो को विलेन को मारते हुए देखना नहीं चाहती हैं बल्कि,वे भी हीरो का साथ निभा कर विलेन की ऐसी की तैसी करने में यकीन रखती हैं। भूमिकाएं चुनने के दौरान नए दौर की अभिनेत्रियां ख्याल रखती हैं कि वे फिल्म में सजावट की वस्तु बनकर नहीं रह जाएँ। यही वजह है की नरगिस फाकरी ने अपनी दूसरी फिल्म के लिए लम्बा इंतज़ार किया। 'रॉक स्टार' के बाद अपनी दूसरी फिल्म के रूप में उन्होंने 'मद्रास कैफे' को चुना जिसमें वे प्रभावशाली भूमिका में एक्शन करती नजर आयेंगी। गौरतलब है कि ‘मद्रास कैफे’ एक्शन फिल्म है इसलिए फिल्म में एक्शन और स्टंट दृश्यों की भरमार है। जॉन अब्राहम के साथ-साथ कुछ खतरनाक स्टंट्स नरगिस के हिस्से में भी आए हैं। ऐसा ही एक दृश्य था, जिसमें नरगिस को गहरे पानी में पूरी तरह उतरकर चलना था। इस दृश्य के लिए प्रोफेशनल की मदद ली जानी थी पर नरगिस ने तय किया कि ये स्टंट वे खुद ही करेंगी। इस दृश्य के लिए काफी हिम्मत की जरूरत थी, जिसमें वे कामयाब रहीं।

विलेन की पिटाई
ऐसा नहीं है कि हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियों ने स्क्रीन पर रोमांच और एक्शन का अनुभव पहले नहीं किया है।हिंदी  फिल्मों में पहली बार 'हंटरवाली' में ऐसा देखने को मिला था ,जब नायिका ने बिना किसी की सहायता के ही विपरीत परिस्थितियों का सामना किया था। इस ऐतिहासिक फिल्म में नाडिया ने विलेन की ऐसी पिटाई की जिससे देखने वालों ने अपने दांतों तले उंगलियां दबा ली। उसके बाद नाडिया की कुछ ऐसी फिल्में आयीं जिनके शीर्षक - हरिकेन हंसा ,पहाड़ी कन्या ,लेडी रॉबिन हुड ,स्टंट क्वीन-से ही उन फिल्मों में नाडिया की एक्शन पैक्ड भूमिका के विषय में कयास लगाए जा सकते हैं। इन फिल्मों के बाद फिर 'सीता और गीता' में हेमामालिनी ने भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की । अकेले ही खलनायक को धो डालने की काबिलियत रखने वाली भूमिकाओं में सबसे अधिक रेखा जंची। कभी 'मैडम एक्स' बनकर तो कभी ' खून भरी मांग' में अपने पति की दगाबाजी और वहशीपने के खिलाफ स्वयं ही हथियार थामने वाली नारी  के रूप में रेखा बेहद स्वाभाविक दिखीं। रेखा ने कई एक्शन फिल्मों में अभिनय किया। 'चालबाज' में श्रीदेवी ने भी अपनी छवि से प्रयोग किया और पर्दे पर एक्शन करती नजर आयीं। हालांकि , इन हीरोइनों ने लीक से कुछ अलग हट कर करने की चाह में एक्शन भूमिकाएं की , पर उनकी छवि में हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री की तथाकथित छवि ही हावी रही । जबकि तब्बू की बड़ी बहन फरहा अपनी एक्शन भूमिकाओं के लिए ही जानी जाती हैं। जूडो-कराटे में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त फरहा जब भी पर्दे पर दिखती थी , तो दर्शक भी उनसे एक्शन भूमिका की ही अपेक्षा करते थे। दक्षिण भारतीय अभिनेत्री विजया शांति भी तेजस्विनी में मजबूत इरादों वाली पुलिस ऑफिसर की दमदार भूमिका में बेहद जंची।

परिधान और तकनीक की सहूलियत
नयी तकनीक और सुरक्षा के समुचित उपायों के कारण अब अभिनेत्रियां एक्शन दृश्यों के चित्रण के दौरान खुद को सुरक्षित और सहज महसूस करती हैं। उन्हें जान का खतरा नहीं रहता। एक बड़ा फर्क हीरोइनों के पहनावे में भी आ गया है। अब वे साडिय़ों में कम ही नजर आती हैं। पहले एक्शन करने के समय उन्हें अपनी साड़ी भी संभालनी पड़ती थी। इन दिनों जींस और टी शर्ट में उन्हें हाथ-पांव चलाने में दिक् कत नहीं होती। इसके अलावा स्टंट के तकनीक में काफी सुधार आया है। उसके बाद भी कोई कमी रह जाए तो उसे स्पेशल इफेक्ट और कंप्यूटर जेनरेटेड इमेज से प्रभावशाली बना लिया जाता है। उन्नत तकनीक और उपयुक्त परिधान के कारण ही 'कृष 3' के खतरनाक एक्शन दृश्यों में अभिनय का साहस कंगना रनोट दिखा  पायीं। कृष 3 में अपने एक्शन अवतार को लेकर उत्साहित कंगना कहती हैं,'कृष 3' में मैंने सुपरवुमन का कैरेक्टर निभाया है। इस फिल्म में मेरा कैरेक्टर का ग्राफ एलियन कम सुपरवुमन कम कैट वूमन का है। यह रोल मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। एक्शन सीन को चीन के एक्शन डायरेक्टर की मदद से कर पायी। मेरा लुक भी बेहद अच्छा है। मैं एक खास तरह के सूट में नजर आउंगी।'' रिवॉल्वर रानी' में भी कंगना एक्शन भूमिका निभा रही हैं। इस फिल्म में वे विशेष तरह के परिधान में नजर आएंगी। कंगना कहती हैं, 'रिवॉल्वर रानी में मैं जूनूनी लड़की का रोल निभा रही हैं जिसे रिवॉल्वर, बंदूक और अलग ढंग की लॉन्जरी से खास लगाव है। इटली के डिज़ाईनर गेविन ने रिवॉल्वर रानी के लिए मेरे कपडे तैयार किए हैं।'

 कुछ कर दिखाने का मौका
 पुरुष प्रधान हिंदी फिल्मों में अभिनेत्रियों के लिए ऐसे अवसर कम हैं जब वे अपने जज्बे और हुनर से एक्शन दृश्यों में अपना दम-ख़म दिखा पाएं। यही वजह है कि जब भी अभिनेत्रियों के पास किसी प्रभावशाली भूमिका के बहाने एक्शन दृश्यों से जुड़ने का अवसर मिलता है,तो वे उत्साहित हो जाती हैं। 'गुलाब गैंग' में माधुरी दीक्षित को भी ऐसा ही मौका मिला है। वे अनुभव सिन्हा की इस फिल्म में साहसिक स्टंट करती हुई दिखेंगी। माधुरी मानती हैं कि अब अभिनेत्रियों के पास अपेक्षाकृत बेहतर अवसर हैं । माधुरी कहती हैं,' अब समय व सिनेमा बदला है। अब स्क्रिप्ट में एक्ट्रेस के लिए भी एक्शन का स्कोप मौजूद होता है, इसलिए अब एक्ट्रेस ज्यादा एक्शन करने लगी हैं। ' नए दौर की अभिनेत्रियों को एक्शन भूमिकाओं की तरफ प्रेरित करने में प्रियंका चोपड़ा का योगदान उल्लेखनीय है। द्रोण, डॉन और डॉन 2 के एक्शन दृश्यों में हीरो को बराबरी का टक्कर देने वाली प्रियंका ने अभिनेत्रियों के लिए 'एक्शन' के दरवाजे खोले। प्रियंका इन दिनों अंतर्राष्ट्रीय चैंपियन मैरी कौम पर आधारित बायोपिक में अभिनय कर रही हैं। इस फिल्म में प्रियंका मुक्केबाजी में अपना हुनर दिखाती हुई दिखेंगी। संजय लीला भंसाली निर्मित इस फिल्म में प्रियंका के पास एक बार फिर खुद को एक्शन स्टार के रूप में स्थापित करने का बेहतरीन मौका है। एक्शन क्वीन की उपाधि से संबोधित होने वाली प्रियंका कहती हैं,'मुझे कुछ नया और अनोखा करना पसंद है। एक्शन और स्टंट दृश्यों की शूटिंग मैं एन्जॉय करती हूं। एक्शन दृश्य करने मुश्किल होते हैं,पर उन्हें करना उससे अधिक रोमांचक होता है।' प्रियंका की तर्ज़ पर दीपिका पादुकोण भी चाहती हैं कि उन्हें एक्शन सटार का तमगा मिले। यही वजह है कि दीपिका को जब करियर के शुरुआती लम्हों में 'चांदनी चौक टू चाइना' में एक्शन दृश्य करने का अवसर मिला,तो उसे स्वीकार कर प्रभावी अंदाज में चित्रित करने में दीपिका ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। दीपिका कहती हैं,'पर्दे पर स्टंट देखते हुए मुझे भी लगता था कि मैं भी इस तरह से एक्शन करूं। 'चाँदनी चौक टू चाइना' में मुझे यह मौका मिला। अक्षय कुमार की तरह ही एक्शन स्टार बनना चाहती हूँ।उम्मीद है कि मुझे एक्शन फिल्में अवश्य ऑफर होंगी ।

 हीरो से दो-दो हाथ
रोचक बात हो कि स्क्रीन पर एक्शन अवतार धारण करने के लिए अभिनेत्रियां अब विलेन बनकर हीरो से दो-दो हाथ करने के लिए भी तैयार हैं। ' कृष 3' में कंगना और 'धूम 3' में कट्रीना ऐसा ही कर रही हैं। 'कृष 3' में कंगना कृष बने रितिक रोशन के लिए मुश्किल का सबब बनेंगी,तो 'धूम 3' में आमिर खान के साथ मिलकर कट्रीना नायक जय और अली के नाक में दम करेंगी। कट्रीना पिछले वर्ष प्रदर्शित हुई 'एक था टाइगर' में भी एक्शन दृश्यों में अपना जलवा दिखा चुकी हैं। हालांकि,' धूम 3' में उनके एक्शन दृश्य ज्यादा रोमांचक और खतरनाक हैं। कट्रीना कहती हैं,' धूम 3 एक अलग अवधारणा की फिल्म है और इसमें कुछ निश्चित तरह के किरदारों की जरूरत थी। इसमें मारधाड़ के कुछ दृश्य हैं। इसके लिए बहुत अधिक प्रशिक्षण की जरूरत थी। धूम 3 में एक्शन और स्टंट करने के दौरान कई तरह की चुनौतियाँ मेरे सामने आयी। मैंने उन दृश्यों की शूटिंग से पहले कड़ी ट्रेनिंग भी ली।' गौरतलब है कि 'धूम' के पिछले दो संस्करण में ऐश्वर्या राय बच्चन और एषा देओल भी जय और अली से दो-दो हाथ करती नजर आई थीं। 'धूम 2' में ऐश्वर्या राय बच्चन का एक्शन अवतार जब दर्शकों के सामने आया था तब किसी को यकीन नहीं हुआ था कि छुई-मुई सी दिखनी वाली ऐश्वर्या इतने खतरनाक स्टंट कर सकती हैं। दरअसल,अभिनेत्रियों की छवि से जुड़े पूर्वाग्रह को दूर करना जरूरी है। यह तभी संभव है जब निर्माता-निर्देशक अभिनेत्रियों की क्षमता को कोमल,शर्मीली या बिंदास युवती की भूमिका तक सीमित नहीं करें...अभिनेताओं की तरह उन्हें भी पर्दे पर एक्शन से भरपूर रोमांचक सफ़र तय करने दें।