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Saturday, October 12, 2013

ख़त्म नहीं होते श्रद्धा के सवाल....


तीन दशक पहले उनकी मासूमियत और खूबसूरती ने दर्शकों का दिल जीता,अब वे अपनी सादगी और अदायगी के परिपक्व अंदाज से दर्शकों को लुभा रही हैं। बात हो रही है श्रद्धा कपूर की मौसी और हर दिल अजीज अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे की। उल्लेखनीय है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के साथ-साथ पद्मिनी ने अभिनय की दुनिया में अपनी सक्रियता बरकरार रखी है। पिछले दिनों वे ' फटा पोस्टर निकला हीरो' में शाहिद कपूर की मां की भूमिका में दर्शकों से रूबरू हुईं। सक्रिय, प्रिय और वरीय अदाकारा पद्मिनी कोल्हापुरे की बातें उन्हीं के शब्दों में ...



नए दौर के नए कलाकार
आज की युवा पीढ़ी बेहद मेहनती हैं।सभीबहुत प्रोफेशनल हैं। अपने काम से मतलब रखते हैं। और सब बहुत अच्छा काम कर रहे है। कम्पटीशन इतना  बढ़ गया है कि आपको लगन और मेहनत के साथ काम करना ही पड़ता है। और जो मेहनत और लगन के साथ काम कर रहे हैं वे सफल हैं। मुझे नए दौर के नए कलाकारों के साथ काम करके बेहद अच्छा लग रहा है। खासकर शाहिद के साथ तो बहुत अच्छा लगा। वह इतना डेडिकेटेड लड़का है। इतनी मेहनत करता है कि देखकर दिल भर आता है।

मेहनत करनी पड़ी
कितनी भी हल्की-फुलकी फिल्म हो काम तो उतना ही पड़ता है। उतना ही मेकअप लगाना पड़ता है।मेहनत उतनी ही करनी पड़ती है। लाइनें उतनी ही याद करनी पड़ती है। सब कुछ वही होता है,बस यही है कि माहौल अच्छा रहता है। 'फटा पोस्टर निकला हीरो' की शूटिंग के दौरान भी माहौल अच्छा था। हम सबने बेहद मेहनत की। हमारे प्रोड्यूसर बहुत अच्छे थे। उन्होंने बहुत साथ दिया। उन्होंने किसी चीज की कमी नहीं महसूस होने दी। पानी जैसे पैसा बहा रहे थे। जो करना था वो हमें करने दे रहे थे। प्रोड्यूसर की सहायता के कारन ही राजकुमार संतोषी अपने विजन के अनुसार 'फटा पोस्टर निकला हीरो' बनाने में कामयाब हुए।

हम डरते थे
आज कल के लड़के-लड़कियां सबके साथ फ्रेंडली हैं। डायरेक्टर के साथ उनका मिलना-जुलना है  हमारे जमाने में तो हम मीडिया से डरकर लोगों से मिलते थे। सोचते थे कि अगर कॉफ़ी पर भी मिले तो लोग क्या कहेंगे?मीडिया क्या लिखेगी? ..तो इन सब चीजों से हम डरते थे। लेकिन आज की युवा पीढ़ी नहीं डरती है। वे कहते हैं हम दोस्त हैं,हम मिलेंगे,बाहर जाएंगे। उनको कोई फर्क नहीं पड़ता। वे यही कहते है कि लिखने वाले लिखे।... जैसे मेरी भतीजी है श्रद्धा।उसके काफी दोस्त है इंडस्ट्री में। वह कहती है कि पहले उसे भी दोस्तों से मिलने में डर लगता था,पर अब वह मीडिया की अटेंशन की आदी हो गयी है। वह कहती है कि यह सब उसे झेलना पड़ेगा क्योंकि यही नेम-गेम है।

दिल को छू जानी चाहिए
जब मैं स्क्रिप्ट सुनती हूं और वह मेरे दिल को छू जाता है तो उस पर बन रही फिल्म के लिए खुद को तैयार कर लेती हूं।यह देखती हूं कि वह फिल्म रियल है या नहीं। हालांकि...मैं पहले काफी चैलेंजेज ले चुकी हूं। बोल्ड फिल्में कर चुकी हूं। बोल्ड फिल्में करना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है। फिल्म दिल को छू जानी चाहिए। फिर मेरा निर्णय गलत साबित हो या उसका परिणाम गलत हो ... मुझपर उसका असर नहीं होता है।

श्रद्धा बेहद मेहनती है
हम सब श्रद्धा की सफलता से बेहद खुश हैं। उसने आशिकी 2 में बहुत अच्छा काम किया है। उसके पापा,उसकी मां.. हम सब उसकी सफलता को एन्जॉय कर रहे हैं। श्रद्धा बहुत मेहनती है। बहुत काम करती है। हर चीज को गंभीरता से लेती है।  आज का जमाना ही ऐसा है कि आप किसी चीज को ग्रांटेड लेकर नहीं चल सकते। ऐसा नहीं सोच सकते कि आज मेरी यह फिल्म हिट हुई है या सुपरहिट हुई है तो मैं आराम कर सकती हूं बल्कि मुझे तो लगता है कि लोगों की उम्मीदें और भी बढ़ जाती है।

मुझसे सलाह लेती है
श्रद्धा मुझसे सलाह-मशविरा करती रहती है। मेरा सर खाती है। उसके सवाल कभी ख़त्म ही नहीं होते। हर बात,हर चीज मुझसे पूछती है। क्योंकि उसे लगता है कि मैं उसे बेहतर सलाह दे सकती हूं। उसे लगता है कि आज श्रद्धा जिस स्थिति में है उससे मैं गुजर चुकी हूं। हालांकि बहुत समय गुजर चुका है,पर बात तो वही है।

दरवाजे खुल गए हैं
आज हर उम्र के कलाकारों के लिए फिल्मों के दरवाजे खुल गए हैं। पहले अठरह-बीस साल में हीरोइन का काम ख़त्म हो गया मान लिया जाता था। एक्ट्रेस आगे नहीं बढ़ सकती थी। लेकिन अभी चेंज हो गया है पूरा। लोगों की सोच बदल गयी है। ऑडियंस बदल गयी है।वह ज्यादा इंटेलिजेंट हो गयी है। और एक्टर की ही तरह एक्ट्रेस को भी हर उम्र में एक्सेप्ट करने लगी है।  यह अच्छी बात है।

-सौम्या अपराजिता

Thursday, October 3, 2013

अनुभवी और आकर्षक...

तीन -चार दशक पूर्व अपने आकर्षण और अभिनय से दर्शकों को मोहित कर चुकी अभिनेत्रियां अब चरित्र भूमिकाओं में ढलकर सिल्वर स्क्रीन पर शानदार अभिनय की बानगी पेश कर रही हैं। उन्हें एक बार फिर अभिनय के बेहतरीन अवसर मिल रहे हैं। वे इस अवसर का लाभ भी उठा रही हैं। कभी नायिका रही ये अभिनेत्रियां अब सहायक भूमिकाओं में दर्शकों का दिल जीत रही हैं। एक नजर ऐसी ही अनुभवी और आकर्षक अभिनेत्रियों पर..


नीतू कपूर
कभी अपने चुलबुले अंदाज से दर्शकों को रिझाने वाली नीतू कपूर ने जब एक बार फिर अभिनय की दुनिया में कदम रखने का निर्णय लिया,तो उनके प्रशंसकों को लम्बे अर्से बाद खुशियां मनाने का अवसर मिला। नीतू ने ' दो दुनी चार' में पति ऋषि कपूर के साथ हिंदी फिल्मों में वापसी की। फिल्म में ऋषि संग नीतू की मौजूदगी का ये असर हुआ कि स्टार चेहरे की मौजूदगी के बिना भी यह फिल्म सफल हो गयी। इन दिनों नीतू पुत्र रणबीर कपूर और पति ऋषि कपूर के साथ अभिनव कश्यप निर्देशित 'बेशर्म' में दर्शकों से रूबरू हो रही हैं। 'बेशर्म' में भ्रष्ट पुलिस का किरदार निभा रही नीतू पहली बार ऐक्शन करती हुई भी दिख रही हैं। दर्शक कई दृश्यों में नीतू को खतरनाक स्टंट करते हुए भी देख पाक रहे हैं। रणबीर कपूर कहते हैं,'बेशर्म' का सरप्राईज़ पॅकेज हैं मेरी माँ।' उम्र के इस मोड़ पर भी नीतू चुस्त-दुरुस्त हैं। यही वजह है कि आज भी उनका आकर्षण कम नहीं हुआ है।उन्हें सिल्वर स्क्रीन पर देखने-सुनने का उत्साह बना हुआ है।

पद्मिनी कोल्हापुरे
पिछले दिनों प्रदर्शित हुई 'फटा पोस्टर निकला हीरो' में पद्मिनी कोल्हापुरे ने शाहिद कपूर की मां की भूमिका निभाई। हास्य रस से भरपूर इस फिल्म में भी पद्मिनी अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहीं।उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश होने का अवसर नहीं दिया। गौरतलब है कि 'प्रेम रोग' और 'प्यार झुकता नहीं' में अपने मासूम चेहरे और शानदार अभिनय के कारण हिन्दी फिल्मों की बेहतरीन अभिनेत्रियों की सूची में शामिल हो चुकी पद्मिनी लम्बे समय तक सिल्वर स्क्रीन से दूर रहीं। अपनी वापसी के सन्दर्भ में पद्मिनी कहती हैं,' शादी के बाद मैंने काम से विश्राम ले लिया था। मुझे इस बात का अफसोस नहीं है। लेकिन घर पर बैठे-बैठे मैं ऊब गई थी और तभी मुझे 'फटा पोस्टर निकला हीरो' का प्रस्ताव मिला। मुझे फिल्म की कहानी पसंद आई और मैंने उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। अब मैं हर शैली की फिल्म करना चाहती हूं।'

पूनम ढिल्लन
'नूरी' में केंद्रीय भूमिका निभाकर शोहरत की ऊंचाइयां छूने वाली खूबसूरत अभिनेत्री पूनम ढिल्लन का आकर्षण आज भी बरकरार है। अपने प्रशंसकों को पूनम ने तब ख़ुशी का अवसर दिया जब वे पिछले दिनों प्रदर्शित हुई 'रमैया वस्तावैया' में नायक गिरीश कुमार की मां की महत्वपूर्ण भूमिका में दिखीं।। इससे पहले वे 'दिल बोले हडिप्पा' के साथ कई फिल्मों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। हालांकि,फिल्मों में पूनम की सक्रियता अधिक नहीं है। दरअसल,पूनम फिल्म निर्देशन की दिशा में अपने कदम बढ़ाना चाहती हैं इसलिए वे इक्का-दुक्का फिल्मों में ही अभिनय करती नजर आती हैं।

रति अग्निहोत्री
कई वर्षों तक दर्शकों की प्रिय रह चुकी अभिनेत्री रति अग्निहोत्री ने हिंदी फिल्मों में अपनी सक्रियता बरकरार रखी है। हालांकि,सत्रह वर्ष तक वे सिल्वर स्क्रीन से गायब रही थीं,पर पिछले एक दशक से वे समय-समय पर फिल्मों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही हैं। 'एक दूजे के लिए' और 'कुली' जैसी यादगार फिल्मों की नायिका रहीं रति इन दिनों अपने पुत्र तनुज विरमानी की फिल्म 'पुरानी जींस' में व्यस्त हैं। तनुज बताते हैं,'मैं और मेरी मां 'पुरानी जिंस' में साथ काम कर रहे हैं। वह मेरी मां का किरदार कर रही है। अपनी मां के साथ काम करने का अलग अनुभव है।'

कहते हैं अनुभव से अभिनय निखरता है। यह कथन इन अभिनेत्रियों पर सटीक बैठता है। सीमित अवसर के बाद भी बीते वक़्त की ये शीर्ष अभिनेत्रियां नयी पीढ़ी के दर्शकों को प्रभावित करने में सफल हैं। आवश्यक है कि  इन अनुभवी और आकर्षक अभिनेत्रियों को उनकी प्रतिभा के अनुकूल और भी अच्छे अवसर देकर प्रोत्साहित किया जाए।