Tuesday, August 20, 2013

दिव्या दीदी सबकी प्यारी थीं

-सौम्या अपराजिता
देहरादून की हसीन वादियों में पली-बढ़ी कायनात अरोड़ा ने मॉडलिंग की राहों पर चलते हुए हिंदी फिल्मों का सफ़र तय कर लिया है। बतौर अभिनेत्री उनकी पहली फिल्म इंद्र कुमार निर्देशित 'ग्रैंड मस्ती' है जिसमें वे विवेक ओबेरॉय की नायिका बनी हैं। कायनात के विषय में रोचक तथ्य है कि वे लोकप्रिय और सफल दिवंगत अभिनेत्री दिव्या भारती की बहन हैं। कायनात की बातें उन्हीं के शब्दों में ...

खेल-खेल मे
बचपन में जब मैं अपनी कजिन सिस्टर के साथ खेला करती थी,तो हंसी-मजाक में मैं अक्सर बोला करती थी,'जब हम बड़े हो जायेंगे तो हम दोनों बहुत बड़ी एक्ट्रेस बनेंगे। जब हम अपने होम टाउन में वापस आएंगे तो हमारे बाल बहुत बड़े हो जायेंगे।' ऐसी बातें अक्सर मैं किया करती थी और मेरी बहन हंसती थी। बड़ी हुई। स्कूल ख़त्म हुआ। कॉलेज के लिए देहरादून से दिल्ली आई। वहां पर निफ्ट से मैंने मर्चेंटाइजिंग का कोर्स किया। पढ़ते-पढ़ते ही मुझे मॉडलिंग के कई ऑफर्स आने लगे थे। टीवी कमर्शियल करने मैंने शुरू किये। बिना किसी पोर्टफोलियो के ही मुझे ऑफर्स आते थे। मुझे चलते-फिरते ऐड मिल जाते थे। कभी मैंने प्लान नहीं किया। मॉडलिंग अपने-आप ही स्टार्ट हो गयी। लक्मे इंडिया फैशन वीक भी किया। फिर मैं अपनी एक फ्रेंड के साथ मुंबई आई थी। एक मीटिंग के लिए आई थी। वह मीटिंग ख़त्म होने के बाद मेरा प्लान मुंबई शिफ्ट होने का बन गया।मैंने कभी प्लान नहीं किया जबकि मेरी कजिन सिस्टर दिव्या भारती बहुत बड़ी अभिनेत्री रह चुकी हैं। अभी तो वे नहीं हैं,पर सभी जानते हैं कि अपने समय में वे कितनी बड़ी स्टार थीं।

दिव्या दीदी से जुडी यादे
दिव्या भारती मेरी कजिन सिस्टर थीं। मेरे फादर की तरफ से मेरी सेकंड कजिन थीं दिव्या दीदी। वे सबकी प्यारी थीं। मैं बहुत छोटी थी जब उनकी डेथ हो गयी थी। तब मैं सिर्फ पांच साल की थी। तो उनसे जुडी यादें तो नहीं है। लकिन हां, मैं अभी भी उनके मम्मी-पापा से बेहद क्लोज हूं। जब भी मुझे कोई तकलीफ होती है या परेशानी होती है..तो मैं मीता मॉम को ही घर बुलाती हूं। दीदी की मॉम को मैं मॉम ही बुलाती हूं। वे भी मुझे अपनी बेटी ही मानती हैं। जब भी मुझे कोई प्रॉब्लम होती है तो वे घर आती हैं या मैं उनके पास चली जाती हूं।

 कौन छोड़ता वह मौका
मुंबई आई तो मुझे मिस केरल कांटेस्ट के लिए जज के रूप में बुलाया गया था। क्योंकि मैंने बहुत मॉडलिंग की थी। उस समय मैं दिल्ली की हाईएस्ट पेड मॉडल थी। मिस केरल कांटेस्ट में मैं जज बनकर गयी तो प्रियदर्शन जी ने मुझे वहां देखा। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अक्षय कुमार के साथ 'खट्टा मीठा' फिल्म बना रहा हूं उसमें हम एक गाना कर रहे हैं । अगर आपको इस गाने में रुचि है तो बताईये। मैंने कहा कि क्यों नहीं..! अक्षय कुमार के साथ स्क्रीन शेयर करने का मौका कौन छोड़ेगा ..। और इस तरह फिल्मों से जुड़ना हो गया।

वह फिल्म बन नहीं पायी
 अक्षय कुमार के साथ ' खट्टा-मीठा' में गाना मिला और वह सुपरहिट भी हो गया। गाना करने के बाद मुझे काफी फिल्मों के ऑफर आ रहे थे,पर मुझे जो रोल ऑफर किये जा रहे थे वे पसंद नहीं आ रहे थे। हिंदी फिल्मों के जाने-माने लेखक मिलाप जवेरी एक फिल्म डायरेक्ट करने जा रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा कि कायनात,मैं एक फिल्म डायरेक्ट करने जा रहा हूं तुम उसमें काम करोगी? मैंने कहा,हाँ,करुँगी।किसी वजह से वह फिल्म बन ही नहीं पायी।


मिलाप ने मिलाया
मिलाप अपनी अगली फिल्म ' ग्रैंड मस्ती ' लिख रहे थे। मिलाप ने मुझे फोन करके बताया,' इंद्र कुमार की फिल्म है,उसकी स्क्रीनप्ले लिख रहा हूं । इंद्र उस फिल्म के लिए विवेक ओबेरॉय के अपोजिट नयी लड़की ढूंढ रहे हैं,मुझे लगता है तुम इसके लिए परफेक्ट हो।'मिलाप ने इंद्र कुमार के साथ मेरी मीटिंग कराई। उन्होंने मेरा ऑडिशन लिया और दो सौ लड़कियों में से मुझे चुना। मैंने इस फिल्म के लिए तुरंत हाँ कर दी क्योंकि 'मस्ती ' जैसी बड़ी हिट फिल्म का सीक्वल करना मेरे लिए बड़ी बात थी। इंद्र कुमार के साथ काम करने का मौका भी यूं ही नहीं गंवाना चाहती थी। रितेश,आफताब और विवेक की मौजूदगी भी बड़ी वजह थी फिल्म के लिए हाँ करने की।

पहली फिल्म
मैं मानती हूं क्योंकि इससे पहले मैंने सिर्फ एक गाना ही किया है। एक एक्ट्रेस के रूप में यह मेरी पहली फिल्म है।विवेक  ने मेरी बहुत मदद की। उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया है।मुझे कुछ भी प्रॉब्लम होती थी,तो वे तुरंत मुझे उसका सौल्युशन देते थे। एक अच्छे एक्टर के अलावा वे एक अच्छे इंसान भी हैं। मुझे ख़ुशी है कि पहली फिल्म में मुझे विवेक के अपोजिट काम करने का मौका मिला है।

पढ़ाकू टाइप की लड़की है
मेरा जो कैरेक्टर है..वह फिल्म की शुरुआत में देखने में सुन्दर नहीं होती है। पढ़ाकू टाइप की लड़की है। चश्मा पहनती है। वह विवेक के कैरेक्टर को पसंद करती है,पर विवेक जिस करेक्टर को निभा रहे हैं वह उससे भागता रहता है। बाद में यह लड़की एकदम से बदल जाती है। वह खूबसूरत और हॉट लड़की के रूप में बदल जाती है।

थोडा-सा रिस्क था
मुझे शूटिंग के समय से ही पता चल गया था कि यह फिल्म चलेगी। हाँ..थोडा सा रिस्क था कि यह एडल्ट कॉमेडी है लेकिन यह भी यकीन था कि इंद्र कुमार जैसे डायरेक्टर अगर कोई फिल्म बना रहे हैं तो वे निश्चित रूप से सोच-समझकर और माप-तौल कर ही बना रहे होंगे।


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