Showing posts with label Rajshree Thakur. Show all posts
Showing posts with label Rajshree Thakur. Show all posts

Tuesday, October 22, 2013

वे कल भी थीं,आज भी हैं...

भारतीय टेलीविज़न पर दैनिक धारावाहिकों की लोकप्रियता और सफलता की सूत्रधार नायिकाएं आज भी सक्रिय और प्रिय हैं। आज भी दर्शकों के बीच उन्हें देखने-सुनने और निहारने का आकर्षण बरकरार है। नयी नायिकाओं की मौजूदगी के बाद भी वे अपना विशिष्ट अस्तित्व बनाए रखने में सफल हुई हैं। छोटे पर्दे की ऐसी ही अनुभवी नायिकाओं पर एक नजर जिनकी लोकप्रियता और सफलता पर वक़्त की धूल नहीं पड़ी है।

साक्षी तंवर
'कहानी घर घर की' में पार्वती की भूमिका निभाकर लोकप्रियता का नया सोपान छूने वाली साक्षी तंवर आज भी दर्शकों की उतनी ही प्रिय हैं जितनी पहले थीं। पहले वे सुसंस्कारी बहु पार्वती की भूमिका में दर्शकों की चहेती थीं। आज उनकी पहचान सुलझी हुई और समझदार पुत्री,पत्नी और मां प्रिया कपूर के रूप में है। धारावाहिक 'बड़े अच्छे लगते हैं' में प्रिया के चरित्र से दर्शकों की आत्मीयता का आलम यह है कि इन दिनों प्रिया के कोमा में जाने के प्रकरण से दर्शक मायूस हैं। वे अपनी प्रिय अभिनेत्री साक्षी की कमी जो महसूस कर रहे हैं। दर्शकों के इस बेइंतहा प्यार और सफलता के बाद भी साक्षी खुद को जमीन से जुड़ा हुआ पाती हैं। वह कहती हैं,'अगर आप ग्राउंडेड हैं,तो आप सक्सेस को अच्छी तरह एन्जॉय कर पाएंगे। मैं खुद को खुशनसीब समझती हूं कि सभी मुझे इतना प्यार करते हैं। मुझे लगता है कि अपने माता-पिता के आशीर्वाद के कारण ही मैं इतनी दूर तक आ पाई हूं।'


श्वेता तिवारी
'कसौटी जिन्दगी की' की प्रेरणा बनकर जब श्वेता तिवारी दर्शकों से रूबरू हुईं,तो उन्हें छोटे पर्दे की ऐश्वर्या राय की उपाधि दी गयी। प्रेरणा के रूप में उनकी प्रसिद्धि का आलम यह था कि 'कसौटी जिन्दगी की' के प्रसारण- समय तक श्वेता को सभी प्रेरणा के रूप में ही संबोधित करते थे। हालांकि, बाद में श्वेता अपने निजी जीवन को लेकर ज्यादा सुर्ख़ियों में रहीं। पूर्व पति राजा चौधरी से अनबन और फिर अभिनव कोहली से दूसरी शादी को लेकर श्वेता की चर्चा हुई। इस बीच वे कई रियलिटी शो का हिस्सा भी रहीं। श्वेता के एक्टिंग करियर को नयी दिशा दी धारावाहिक 'परवरिश' ने। पिछले दिनों ही ऑफ एयर हुए इस धारावाहिक में दो किशोर बच्चों की मां स्वीटी की रोचक भूमिका में श्वेता की अभिनय प्रतिभा का नया रंग दर्शकों ने देखा और पसंद भी किया। इन दिनों श्वेता अपने एक्टिंग स्कूल को लेकर सक्रिय हैं और नए वैवाहिक जीवन को संवारने में व्यस्त हैं। छोटे पर्दे की अभिनेत्री के रूप में अपनी लोकप्रियता का दंभ भरते हुए श्वेता कहती हैं,'टीवी एक्टर के रूप में मैं कई फिल्म एक्टर्स से ज्यादा पॉपुलर हूं।'

राजश्री ठाकुर
'सात फेरे' की सलोनी को भूलना दर्शकों के लिए आसान नहीं है। सलोनी की भूमिका में छोटे पर्दे की पारंपरिक नायिका की छवि को तोडा था राजश्री ठाकुर ने। कई वर्षों तक सलोनी बनकर दर्शकों को अपने संवेदनशील अभिनय से झकझोरने वाली राजश्री इन दिनों महारानी जयवंता बाई की सशक्त भूमिका में प्रभावित कर रही हैं। जयवंता बाई के चरित्र को राजश्री ने इतना जीवंत बना दिया है कि नहीं चाहते हुए भी दर्शक अब राजश्री को सलोनी के चरित्र से इतर देखने लगे हैं। 'भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप' की लोकप्रियता और सफलता में राजश्री ठाकुर की प्रभावशाली मौजूदगी का महत्वपूर्ण योगदान है। राजश्री कहती हैं,'मैं हमेशा कुछ रोचक और नया करना चाहती हूं जिससे दर्शक जब भी मुझे देखें तो उन्हें मुझमें कोई नयी बात नजर आये। मेरे लिए सफलता संतुष्टि है।'

गौतमी कपूर
वर्षों पहले धारावाहिक 'घर एक मंदिर' की नायिका बनकर पहली बार दर्शकों से परिचित हुई गौतमी कपूर का आकर्षण आज भी बना हुआ है। उनकी मासूमियत के आज भी दर्शक कायल हैं। हालांकि,राम कपूर की पत्नी गौतमी लम्बे अर्से से छोटे पर्दे से गायब रहीं, पर जब पिछले दिनों उन्होंने धारावाहिक ' खेलती है जिंदगी आँख मिचौली' से वापसी की तो दर्शकों ने उनका शानदार स्वागत किया। गौतमी कहती हैं,' अभिनय के अनुभव के कारण ही मुझे आजादी है कि आज मैं 'खेलती है जिंदगी आँख मिचौली' में श्रुति की भूमिका अपने अंदाज में निभा सकती हूं। मुझपर किसी तरह का दबाव नहीं है। अपने करियर के इस दौर को एन्जॉय कर रही हूं ।' उम्मीद है ...इन अनुभवी अभिनेत्रियों के अभिनय का रंग यूं ही छोटे पर्दे पर छलकता रहेगा....!
-सौम्या अपराजिता 

Friday, October 18, 2013

लाइफ तो चलती रहती है...

'सात फेरे' की सलोनी की भूमिका में साधारण नैन-नक्श वाली सांवली-सलोनी राजश्री ठाकुर जब दर्शकों से रूबरू हुईं थीं,तो सबने उनमें अपने आस-पास रहने वाली घरेलू लड़की की  छवि देखी । लगभग चार वर्षों तक सलोनी का सफर छोटे पर्दे पर चलता रहा। फिर अचानक राजश्री ठाकुर दर्शकों की नजरों से ओझल हो गयीं। हालांकि इस बीच वे 'सपना बाबुल का बिदाई' में मेहमान भूमिका निभाती हुई नजर आयीं, पर राजश्री के प्रशंसकों को इससे संतुष्टि नहीं हुई। ..फिर भी राजश्री ने मनपसंद भूमिका के प्रस्ताव के अभाव में परिवार को प्राथमिकता देते हुए छोटे पर्दे से दूरी बनायी रखी।राजश्री बताती हैं,'सात फेरे' के बाद मेरी जिंदगी में काफी बदलाव आए। इमोशनल लगाव हो गया था 'सात फेरे' की पूरी टीम से। खैर,लाइफ तो चलती रहती है। 'सात फेरे' के बाद मैंने खुद को अपने परिवार के लिए समर्पित कर दिया।  पति और परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका मिला। घरेलू काम भी करती हूँ। पति संज्योत के लिए खाना बनाना मेरा पैशन है। योगा क्लास भी ज्वॉइन किया। सच कहूं तो मैंने उस दौरान लाइफ एन्जॉय की।'

लगभग तीन वर्ष के अन्तराल के बाद जब राजश्री को अपनी पसंद की भूमिका निभाने का अवसर मिला,तो वे एक बार दर्शकों के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तैयार हो गयीं। राजश्री कहती हैं,'मैं कैमरा के सामने लौटने के लिए जल्दबाजी में नहीं थी। अच्छी,स्ट्रांग और चैलेंजिंग भूमिका का इंतज़ार कर रही थी। यह इंतज़ार जयवंता बाई की भूमिका के साथ ख़त्म हुआ।'  ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित सोनी टीवी के धारावाहिक 'भारत का वीरपुत्र-महाराणा प्रताप' में प्रताप की मां जयवंता बाई की भूमिका में अपने सशक्त अभिनय की बानगी पेश कर रही राजश्री कहती हैं,'यह एक ऐतिहासिक किरदार है । मैं हमेशा से किसी ऐतिहासिक चरित्र को भूमिका निभाना चाहती थी।ऐसे में जब मुझे जयवंताबाई की भूमिका निभाने मौका मिला तो मैंने तीन सालों बाद छोटे पर्दे पर वापसी करने का निर्णय लिया।'

जयवंता बाई की भूमिका में ढलने के लिए राजश्री को काफी अभ्यास करना पड़ा। वे बताती हैं,'यह सोशल ड्रामा नहीं है। हिस्टोरिकल शो है। ऐसे में उस दौर के हाव-भाव अपनाने में वक़्त लगा। मेहनत करनी पड़ी।जयवंता बाई के बैठने-चलने और बात करने के लहजे पर विशेष ध्यान देना पड़ा।' जयवंता बाई की भूमिका के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए राजश्री कहती हैं,'महाराणा प्रताप अपनी मां जयवंताबाई के कारण ही 'महाराणा' बनें। मां से मिले संस्कारों ने ही महाराणा प्रताप को महान,उदार और रणविजय बनाया। जयवंताबाई के व्यक्तित्व की इन्हीं खूबियों ने मुझे आकर्षित किया।' दरअसल,धारावाहिकों की भीड़ में गुम नहीं होना चाहती हैं राजश्री। गुणात्मक कार्य करने में यकीन रखने वाली राजश्री कहती हैं,'मैं हर तरह के किरदार निभाना चाहती हूं, पर वह मेरे व्यक्तित्व से मेल खाने चाहिए। मैं कभी भी ऐसी भूमिका नहीं करूंगी जो मुझे पसंद नहीं होगी।'

-सौम्या अपराजिता