Monday, February 27, 2017

फिर आ रहा है 'बाहुबली'

-सौम्या अपराजिता
एक बार फिर 'बाहुबली' अपनी भव्यता और तकनीकी उत्कृष्टता के साथ दर्शकों को रिझाने आ रहा है। इस बार 'बाहुबली' पहले से ज्यादा शानदार है। तकनीक ने उसे और भी प्रभावशाली बना दिया है। यहां बात हो रही है एस राजामौली की बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित फ़िल्म 'बाहुबली:द कंक्लूजन' अर्थात 'बाहुबली 2' की। पिछले दो वर्षों से बेसब्री से इंतज़ार कर रहे दर्शकों को 'बाहुबली 2' के प्रदर्शन के बाद पता चल जाएगा कि आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? दरअसल, दो वर्ष पूर्व प्रदर्शित हुई 'बाहुबली' के बाद इस सवाल के प्रति दर्शकों को जिज्ञासा ने ही एस राजामौली को 'बाहुबली' के  सीक्वल को बनाने की प्रेरणा दी। परिणामस्वरूप 'बाहुबली 2' के निर्माण की योजना बनी और अब दो वर्ष के अथक परिश्रम और बड़े पूँजी निवेश के बाद 'बाहुबली 2' प्रदर्शन के लिए तैयार है।
रिलीज से पहले हिट
उल्लेखनीय है कि एस एस राजामौली की 'बाहुबली 2' ने प्रदर्शन से पूर्व ही सेटेलाइट राइट के जरिए 500 करोड़ का कारोबार कर लिया है। चार भाषाओं तेलुगु, तमिल, मलयालम और हिंदी में एकसाथ प्रदर्शित हो रही 'बाहुबली 2' के विषय में एक और उल्लेखनीय तथ्य है कि करण जौहर की धर्मा प्रोडक्‍शन ने इसके हिंदी संस्करण के अधिकार को 120 करोड़ रुपये में खरीदा है। गौरतलब है कि 'बाहुबली' हिंदी में डब की गई दक्षिण भारत की पहली ऐसी फिल्म थी जिसने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ का व्यवसाय किया था।
भव्य और शानदार
ज्ञात तथ्य है कि 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?' सवाल के जवाब के कारण 'बाहुबली 2' इस वर्ष की सर्वाधिक बहुप्रतीक्षित फिल्मों में शामिल है। फ़िल्म के प्रति दर्शकों की इसी उत्सुकता को ध्यान में रखते हुए इसे और भी भव्य और तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने की कोशिश की गयी है। फ़िल्म के विजुअल इफ़ेक्ट को दमदार और विश्वसनीय बनाने के लिए पूरी ताकत और मेहनत झोंक दी गयी है। 'बाहुबली 2' के विज़ुअल इफ़ेक्ट्स सुपरवाइज़र आरसी कमलाकन्नन के अनुसार,' यह बेहद मुश्किल काम है, लेकिन इससे बहुत संतुष्टि भी मिलती है।'बाहुबली 2' के विज़ुअल इफ़ेक्ट्स का काम हाथ में लिए तक़रीबन 15 महीने हो चुके हैं। लगभग सभी बड़े वीएफ़एक्स स्टूडियो में काम चल रहा है। पोस्ट प्रोडक्शन का काम दुनियाभर के 33 स्टूडियो में चल रहा है।' जहां तक 'बाहुबली 2' के बजट का सवाल है,तो वह भी बेहद उल्लेखनीय है। निर्माता शोबु यरलगड्डा के अनुसार,' बजट का बड़ा हिस्सा इसकी मेकिंग पर खर्च हुआ है। मुझे ख़ुशी है कि पैसा फ़िजूल नहीं गया। 'बाहुबली' की दोनों फ्रेंचाइजी पर लगभग 450 करोड़ का खर्च आया है। कई लोगों ने सोचा कि इतना पैसा खर्च करना बेवकूफ़ी है। मेरे ज़हन में भी ये बात आती थी कि क्या मैं सही काम कर रहा हूं? और सच कहूं तो 'बाहुबली' की रिलीज़ से पहले तक मुझे भी अंदाज़ा नहीं था कि इस तरह के रिटर्न्स मिलेंगे।'
सृजन और तकनीक का तालमेल
'बाहुबली' के बाद 'बाहुबली 2' के कला निर्देशन की भी जिम्मेदारी संभाली है साबू सायरिल ने। 'बाहुबली 2' के लिए उन्होंने अपनी सृजनशीलता को नया और वृहत आयाम दिया है। वे बताते हैं,'बाहुबली' एक बड़ा प्रोजेक्ट था। जब यह प्रोजेक्ट सफल हो गया तो हमें पार्ट 2 में और भी चीजें करने की हिम्मत आ गई। इसलिए पार्ट 2 के लिए मुझे बड़ा बजट और मैटेरियल मिला। बाहुबली के लिए नया साम्राज्य बनाया गया। हालांकि, मैं इसके बारे में ज्यादा जानाकारी शेयर नहीं कर सकता। इन सबके लिए मुझे बहुत ज्यादा रिसर्च करनी पड़ी। अधिकांश लोगों का सोचना था कि 'बाहुबली' में कंप्यूटर ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन ऐसा है नहीं। उदाहरण के तौर पर जब घोड़ा युद्ध में गिरता है तो वह असली नहीं होता। ना ही कंप्यूटर ग्राफिक्स होता है। हम उन घोड़ों को बनाते हैं ताकि उन्हें असली जानवर को बिना नुकसान पहुंचाए हम उन्हें दिखा सकें। हम लोग रियल लुकिंग ह्यूम डमी बनाते हैं जिन्हें युद्ध में गिरते हुए और ऊंचाई से फेंकते हुए देखा जा सकता है। हमने 'बाहुबली-2' के लिए ऐसे हथियार भी बनाए हैं जो कलाकार को नुकसान पहुंचाए बिना असली दिखें।'
इंटरनेट की सेंध
गौरतलब है कि तमाम मेहनत और सावधानी के बाद भी 'बाहुबली 2' का नौ मिनट लंबा वॉर सीक्वेंस पिछले दिनों इंटरनेट पर लीक हो गया था जिस्कर बाद निर्देशक एसएस राजमौली ने हैदराबाद के जुबली हिल्स पुलिस स्टेशन में इस घटना की शिकायत दर्ज करवाई थे। इस शिकायत के चलते पुलिस ने एक ग्राफिक डिजाइनर को फिल्म की फुटेज चुराने को लेकर गिरफ्तार किया। हालांकि, राजामौली ने रिपोर्ट दर्ज करवाकर सीन को इंटरनेट से हटवा दिया, लेकिन उससे पहले यह फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थी। दरअसल,जब से 'बाहुबली 2' की शूटिंग शुरू हुई है,तब से इस फिल्म के सेट से कुछ-न-कुछ लीक होने की ख़बरें सुर्खियां बनती रही हैं। हालांकि... 'बाहुबली 2' की पटकथा की गोपनीयता के मद्देनजर सेट पर मोबाइल फोन तक बैन कर दिए थे।
कसौटी पर कलाकार
'बाहुबली' में राजा भल्लादेव के किरदार में राणा डुग्गुबाती ने प्रभावी अभिनय किया था। 'बाहुबली 2' में उनका किरदार और भी दमदार होने वाला है। फ़िल्म में अपने किरदार को और असरदार बनाने के लिए राणा ने करीब 5 महीने रोज ढाई घंटे अपनी बॉडी पर मेहनत किया है,वहीँ बाहुबली की केंद्रीय भूमिका निभाने वाले अभिनेता प्रभास भी काफी उत्साहित हैं। प्रभास इस बार 'बाहुबली 2' में बाहुबली और शिवुडु की दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। ये दोनों भूमिकाएं एक दूसरे से एकदम अलग है। इन दोनों भूमिकाओं को निभाने के लिए प्रभास ने बेहद चुनौतियां झेली हैं। शिवुडु के किरदार के लिए प्रभास को सामान्य सा दिखना था जिसमे उन्हें अपने शरीर का वजन 80 से 88 किलो रखना था,बाहुबली के किरदार के लिए करीब अपना वजन 105 किलो रखना था। इन दोनों रुपों के लिए प्रभास ने बेहद मेहनत की,साथ-ही-साथ अलग-अलग डाइट चार्ट फॉलो किया।
एक और 'बाहुबली'!
रोचक तथ्य है कि 'बाहुबली' अर्थात 'बाहुबली:द बिगनिंग' और 'बाहुबली 2' अर्थात 'बाहुबली:द कंक्लूजन' के बाद एक और संस्करण निर्माण की दिशा में अग्रसर है। इसका संकेत पिछले दिनों एस एस राजामौली ने 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' में दिया। एसएस राजामौली ने लिटलेचर फेस्टिवल में पुस्तक लॉन्च की जिसमें 'बाहुबली बिगिनिंग' से भी पहले की कहानी कही गई है। यह पुस्तक है-'राइज़ ऑफ़ शिवगामी- बाहुबली बिफोर द बिगिनिंग'। गौरतलब है कि 'राइज़ ऑफ़ शिवगामी' बाहुबली सीरीज़ की पहली बुक है जिसमें 'बाहुबली- द बिगिनिंग' से भी पहले की कहानी कही गई है। इस नॉवल में शिवगामी को अपने पिता की हत्या का बदला लेते हुए दिखाया जाएगा। संभव है कि 'बाहुबली 2' की सफलता के बाद इस पुस्तक की कहानी को फ़िल्म में उकेरने की योजना बने और दर्शक एक बार फिर 'बाहुबली' की रोचक कहानी के नए आयाम को सिल्वर स्क्रीन पर देख पाएं। हालांकि..फ़िलहाल 'बाहुबली 2' अर्थात 'बाहुबली: द कंक्लूजन' के प्रदर्शन पर निगाहें टिकी हैं...क्योंकि यह जानना जरुरी है कि...'आखिर कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?'

कानून के फ़िल्मी हाथ

-सौम्या अपराजिता
'कानून के हाथ लंबे होते हैं'...मगर जब हमारी फिल्मों में कानून के इन लंबे हाथों को जज और वकील थामने की कोशिश करते हैं,तो कानूनी दांव-पेंच से भरपूर नाटकीय दृश्यों और संवादों की लड़ी-सी लग जाती है। दरअसल,हिंदी फिल्मों में जज के हथौड़े की धमक और वकीलों की बहस हमेशा से बेहद प्रभावी अंदाज में प्रयोग किये जाते रहे हैं। 'जॉली एल एल बी 2' इसका ताज़ा उदहारण है। फ़िल्म में कोर्ट रूम ड्रामा के रीयलिस्टिक अप्रोच को दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं। साथ ही वकील जगदीश्वर मिश्रा बने अक्षय कुमार के कानूनी दांव पेंच के मनोरंजक अंदाज को भी प्रशंसा मिल रही है। अगर कहें कि सुभाष कपूर निर्देशित इस फ़िल्म की सफलता में हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय फार्मूले 'कोर्ट रूम ड्रामा' का का योगदान उल्लेखनीय है,तो गलत नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि जब-जब कोर्ट रूम ड्रामा के दृश्यों की प्राथमिकता वाली फ़िल्में सिनेमाघरों में आई हैं,दर्शकों की उस फ़िल्म विशेष के प्रति उत्सुकता बढ़ी है।
यदि बीते वर्ष की ही बात करें तो दो सफल फ़िल्मों की कहानी 'रुस्तम' और 'पिंक' अदालती तेवर और कानूनी दांव-पेंच के इर्द-गिर्द बुनी गयी थीं। 'रूस्तम' एक ऐसे नौसेना अधिकारी की कहानी थी जिसे खुद को कोर्ट के सामने बेगुनाह पेश करना होता है। ...तो दूसरी तरफ 'पिंक' पूरी तरह कोर्ट ड्रामा पर आधारित थी जिसमें अमिताभ बच्चन ने ऐसे वकील की भूमिका निभायी थी जो झूठे केस में तीन लड़कियों को बचाता है। इन दोनों ही फिल्मों को दर्शकों ने सर-आँखों पर बिठाया। दरअसल,आम दर्शकों में 'कोर्ट','कचहरी' और 'जज के हथौड़े' का प्रकोप इतना है कि वह इनसे दूर ही रहना चाहता है। रियल लाइफ में इनसे दूर रहने की इच्छा ही फिल्मों में इनके प्रति दर्शकों का रुझान बढ़ाती है। दर्शक रियल लाइफ में तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर से दूर रहना चाहते हैं,मगर सिल्वर स्क्रीन पर उन्हें यही कोर्ट रूम ड्रामा बेहद पसंद आता है। रुस्तम के निर्देशक टीनू सुरेश के अनुसार,'कोर्ट के अंदर चलने वाली बहस, वकीलों के तर्क, गवाहों की चालाकी और जज की पैनी नज़र दर्शकों में दिलचस्पी पैदा कर देती है। साथ ही,जब कठघरे में ख़ुद हीरो खड़ा होकर अपनी पैरवी कर रहा हो, तो भला कौन उसे हारता देखना चाहेगा?'
यदि गौर करें तो बीते कुछ वर्षों में कोर्ट रूम ड्रामा वाली फिल्मों ने दर्शकों को खूब रिझाया है जिनमें 'जॉली एलएलबी','शाहिद' और 'ओ माय गॉड' उल्लेखनीय हैं। 'जॉली एलएलबी' में अदालत की गंभीर कार्यवाही को हल्के-फुल्के तरीके से दिखाने की कोशिश की गई,तो 'शाहिद' शाहिद आजमी की जिंदगी पर बनी थी जो देश के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है। कुछ साल जेल में बिताने के बाद वह बाहर निकलकर कानून की पढ़ाई करता है और उन लोगों की मदद करता है जिनपर आतंकवाद के झूठे आरोप लगे थे। उधर 'ओ माय गॉड' में भगवान को ही अदालत में लाकर खड़ा कर दिया गया था। सबूतों और दलीलों की कसौटी पर कसी इस फ़िल्म ने दर्शकों को अपने मोहपाश में बांध लिया था। एक दशक पूर्व प्रदर्शित हुई 'ऐतराज' के भी अधिकांश दृश्य कोर्ट रूम में फिल्माए गए थे। अक्षय कुमार, करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा अभिनीत इस फ़िल्म में बेबुनियाद आरोपों से पति को बचाने के लिए एक पत्नी का वकील के किरदार में आना दर्शकों को पसंद आया था।
भारतीय न्याय व्यवस्था से आम नागरिकों की शिकायत को बयां करता 'दामिनी' के लोकप्रिय संवाद 'तारीख़ पे तारीख' को भला कौन भूल सकता है! इस फ़िल्म में क़ानून की सुस्त रफ़्तार और अदालती कार्यवाहियों को लेकर आक्रोश को सही मायनों में सामने रखा गया था। उस दौर में इस फ़िल्म के पूर्व आयी कई फिल्मों की कहानियां कानून और अदालत के इर्द-गिर्द बुनी गयी थीं जिनमें 'मेरी जंग','आज का अंधा क़ानून', 'फ़र्ज़ और क़ानून', 'क़ानून अपना-अपना', 'क़ानून क्या करेगा', 'क़ायदा-क़ानून' और 'कुदरत का क़ानून' जैसी फ़िल्में आयीं जिनमे 'मेरी जंग' सफल रही जबकि शेष फिल्मों को लचर पटकथा के कारण बॉक्स ऑफिस की सफलता से हाथ धोना पड़ा।
दरअसल,हिंदी फिल्मों में कानूनी दांव-पेंच वाले दृश्यों को बी आर चोपड़ा की फ़िल्म 'कानून' के प्रदर्शन के बाद से प्राथमिकता मिलनी शुरू हुई। इस फ़िल्म के बाद तो जैसे निर्माता-निर्देशकों की नजर में अदालत के दृश्य अवश्यम्भावी से हो गए। उसके बाद तो दर्शकों को हर दूसरी-तीसरी फ़िल्म में अदालत में वकीलों की ज़िरह वाले दृश्यों को देखने की आदत-सी हो गयी। रोचक तथ्य है कि अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी अभिनीत 'अँधा कानून' की सफलता के बाद 'कानून' और 'अदालत' जैसे शब्द फिल्मों के दृश्यों के साथ-साथ उसके शीर्षक में भी शामिल हो गए।
यदि कहें कि न्याय व्यवस्था के प्रति आम जनता के असंतोष और आक्रोश के चित्रण के कारण ही कोर्ट रूम ड्रामा वाली फ़िल्में दर्शकों को भाती हैं,तो गलत नहीं होगा। 'अदालत' और 'कानून' के दांव-पेंच से संघर्ष करते फ़िल्मी नायक में दर्शक अपनी छवि देखते हैं और जब वही नायक तमाम संघर्षों से दो-चार होता हुआ न्याय की मंजिल पाता है,तो उसकी जीत में दर्शक अपनी जीत महसूस करते हैं। दरअसल,रील लाइफ में 'कानून' का डर ही रियल लाइफ के 'कानूनी दांव-पेंच' की ओर दर्शकों को आकर्षित करता है।
सिल्वर स्क्रीन पर 'कोर्ट रूम ड्रामा'
*जॉली एलएलबी
*रुस्तम
*पिंक
*शाहिद
*दामिनी
*ऐतराज
*ओ माय गॉड
*कानून
*अंधा कानून

सेट' पर 'दिल मिले'

-सौम्या अपराजिता
फिल्मों और धारावाहिकों की शूटिंग के दौरान अभिनेता-अभिनेत्री प्रत्येक दिन साथ-साथ घंटों बिताते हैं। एक-दूसरे के सुख-दुःख बांटते हैं। धीरे-धीरे उन्हें एक-दूसरे का साथ भाने लगता है।उनके बीच आपसी समझ,सम्मान,स्नेह और विश्वास की भावना पनपने लगती है। ...और इस तरह वे एक-दूसरे के प्रेम पाश में बंधने लगते हैं। जल्द ही वह वक़्त भी आता है जब दिल से मजबूर होकर वे एक-दूसरे को जीवनसाथी बनाने का निर्णय ले लेते हैं। तभी तो,कभी सह-कलाकार रह चुके अभिनेता-अभिनेत्रियों की कई जोड़ियां आज खुशहाल वैवाहिक जीवन बीता रही हैं। एक नजर सिल्वर और स्मॉल स्क्रीन की ऐसी जोड़ियों पर जो पहले सह-कलाकार थे...और आज पति-पत्नी हैं ....
फिल्मों के सेट पर फूटा 'प्यार का अंकुर'-
जया बच्चन-अमिताभ बच्चन
जया बच्चन और अमिताभ बच्चन का परिचय ऋषिकेश मुखर्जी ने अपनी फिल्म 'गुड्डी'के सेट पर कराया था। इस मुलाकात के बाद 'ज़ंजीर' के सेट पर दोनों के बीच नजदिकियां बढ़ीं और इसी फिल्‍म की शूटिंग के दौरान दोनों ने शादी करने का फैसला‌ कर लिया। शालीन और सादे अंदाज में जया संग अमिताभ परिणय सूत्र में बंध गएं।
नीतू सिंह-ऋषि कपूर
ऋषि कपूर और नीतू सिंह की पहली फिल्म 'जहरीला इंसान' थी। इसी फ़िल्म के सेट पर दोनों दोस्त बने और फिर लंबे प्रेम प्रसंग के बाद पति-पत्नी बन गएं। 'जहरीला इंसान' के सेट पर ऋषि अक्सर नीतू को छेड़ते रहते थे। शुरुआती नाराजगी के बाद धीरे-धीरे नीतू को ऋषि की शरारतें रास आने लगी और दोनों करीब आ गए।  'खेल खेल में' के सेट पर ऋषि-नीतू का रिश्ता दोस्ती से प्यार में बदला और फिर सही समय और मौका देखकर दोनों विवाह बंधन में बंध गए।
हेमा मालिनी-धर्मेन्द्र
हेमा मालिनी और धर्मेन्द्र की मुलाकात 1970 में आई फिल्म 'शराफत' के सेट पर हुई थी। कहा जाता है कि 'मैं हसीन तू जवान' के सेट पर दोनों के बीच प्यार भरे रिश्ते की नींव पड़ी। धर्मेंद्र पहले से शादीशुदा और चार बच्चों के पिता थे। इसके बाद भी धर्मेंद्र ने हेमा मालिनी से शादी कर ली और पिछले 36 वर्षों से दोनों का संग-साथ बना हुआ है।
करीना कपूर-सैफ अली खान
'टशन' के सेट पर करीना कपूर और सैफ अली खान एक-दूसरे के प्रेम पाश में बंधे। लद्दाख और राजस्थान में फ़िल्म की शूटिंग के दौरान करीना और सैफ को एक-दूसरे के प्रति प्यार का अहसास हुआ। प्यार के इसी अहसास के बाद दोनों ने शादी का फैसला किया। आज करीना और सैफ अपने नन्हे राजकुमार तैमूर के साथ खुशनुमा वैवाहिक जीवन बीता रहे हैं।
ट्विंकल खन्ना-अक्षय कुमार
जब अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना 'इंटरनेशनल खिलाडी' और 'जुल्मी' फिल्मों में अभिनय कर रहे थे तब उन्हें नहीं पता था कि इन फिल्मों का सेट उनके शादीशुदा भविष्य की नींव रखेगा। 'इंटरनेशनल खिलाड़ी' के सेट पर अक्षय और ट्विंकल एक-दूसरे के इतने करीब आ गए कि दोनों ने विवाह बंधन में बंधने का फैसला कर लिया। आज दोनों फ़िल्मी दुनिया के सबसे खुशहाल वैवाहिक जोड़ियों में एक एक हैं।
ऐश्वर्या राय बच्चन- अभिषेक बच्चन
अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन ने 'ढाई अक्षर प्रेम के' और 'कुछ न कहो' के सेट पर दोस्ती का रिश्ता बनाया। 'गुरु' के सेट पर दोनों के बीच प्यार का अंकुर फूटा जो 'उमराव जान' के सेट पर पौधा बन गया। इस पौधे को संवारने और निखारने के लिए दोनों ने शादी का फैसला किया। आज बिटिया आराध्या के साथ वैवाहिक जीवन के खुशनुमा पल जी रहे हैं।
जेनेलिया-रितेश देशमुख
जेनेलिया देशमुख और रितेश देशमुख ने 'तुझे मेरी कसम' में पहली बार साथ काम किया और इसी फ़िल्म के सेट पर दोनों के बीच मजबूत रिश्ते की शुरुआत हुई। यह रिश्ता कुछ वर्ष बाद विवाह के खूबसूरत मोड़ पर पहुंच गया।
काजोल-अजय देवगन
अजय देवगन और काजोल की पहली मुलाकात 'हलचल' के सेट पर हुई थी। सेट पर साथ-साथ वक़्त गंवाते हुए दोनों का एक-दूसरे की ओर झुकाव हुआ। उसके बाद लगभग चार वर्षों तक प्रेम सम्बन्ध में बंधने के बाद अजय और काजोल एक सादे समारोह में विवाह बंधन में बंध गए।
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सीरियल के सेट ने 'बना दी जोड़ी'
गौतमी गाडगिल-राम कपूर
राम कपूर और गौतमी गाडगिल की मुलाकात बालाजी टेलेफिल्म्स के धारावाहिक 'घर एक मंदिर' के सेट पर हुई थी। दोनों घंटों सेट पर साथ-साथ रहा करते।  जल्द ही दोनों के दिल में एक-दूसरे के लिए कोमल भावनाएं पनपने लगीं और बिना वक़्त गवाएं गौतमी और राम ने विवाह बंधन में बंधने का फैसला किया। राम और गौतमी के जीवन में पुत्री सिया और पुत्र अक्स खुशियाँ लेकर आए हैं।
देबिना-गुरमीत चौधरी
'रामायण' में आदर्श पति-पत्नी राम-सीता की भूमिका निभाते हुए गुरमीत चौधरी और देबिना को अहसास नहीं था कि एक दिन दोनों निजी जीवन में भी पति-पत्नी की भूमिका निभाएंगे।  'रामायण' की शूटिंग के दौरान चले लम्बे प्रेम प्रसंग के बाद दोनों ने विवाह रचा लिया। 
गौरी प्रधान-हितेन तेजवानी
'कुटुंब' में हितेन तेजवानी और गौरी प्रधान की ओन स्क्रीन जोड़ी को दर्शकों ने बेहद प्यार दिया। इन दोनों आकर्षक कलाकारों का साथ दर्शकों को बेहद अच्छा लग, तो निजी जीवन में भी हितेन और गौरी एक-दूसरे के करीब आने लगें और दोनों के बीच प्यार की मजबूत डोर बंध गयी। जल्द ही हितेन और गौरी ने विवाह का निर्णय लिया। दोनों के जीवन में जुड़वाँ बच्चे उपहार बनकर आये।
गौरी यादव-यश टोंक
'कहीं किसी रोज' में अभिनय के दौरान यश टोंक और गौरी यादव की मुलाकात हुई थी। हालांकि,उस धारावाहिक में गौरी ने यश की भाभी की भूमिका निभायी थी,पर शूटिंग के दौरान दोनों को साथ वक़्त गुजारने के मौके मिलते रहे और उनकी प्रेम कहानी शुरू हो गयी।  यश और गौरी इनदिनों अपनी दो बेटियों के साथ खुशहाल वैवाहिक जीवन बीता रहे हैं।
बरखा बिष्ट-इन्द्रनील सेनगुप्ता
धारावाहिक 'प्यार के दो नाम ..एक राधा और एक श्याम' के सेट पर इन्द्रनील सेनगुप्ता और बरखा बिष्ट एक-दूसरे के साथ काम तो कर रहे थे,पर उन्हें एक-दूसरे के प्रति प्यार का अहसास नहीं था। दोनों एक-दूसरे को लेकर पूर्वाग्रह से ग्रसित थे। ...पर जब धारावाहिक ख़त्म होने लगा तब बरखा और इन्द्रनील को एक-दूसरे की कमी का अहसास होने लगा। दोनों ने आपसी प्यार को महसूस किया। दो वर्ष लबे प्रेम सम्बन्ध के बाद इन्द्रनील और बरखा ने विवाह बंधन में बंधने का फैसला किया। आजकल दोनों अपनी दो वर्षीय बेटी मीरा के साथ ख़ुशी के पल बीता रहे हैं।
सईं देवधर-शक्ति आनंद
'सारा आकाश' की शूटिंग के दौरान सईं देवधर और शक्ति आनंद को एक-दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा। लगभग दो वर्षों तक साथ काम करने के बाद दोनों ने महसूस किया कि उन्हें शादी कर लेनी चाहिए। जल्द ही शक्ति और सईं ने विवाह रचा लिया।
श्वेता क्वात्रा-मानव गोहिल
'कहानी घर घर की' शूटिंग के दौरान श्वेता और मानव के बीच  की नींव पड़ी जो बाद में विवाह के परिणाम तक पहुंची। गौरतलब है कि इन दिनों श्वेता और मानव अपनी नन्हीं परी जारा के साथ सुखी वैवाहिक जीवन बीता रहे हैं।
सनाया ईरानी-मोहित सहगल
धारावाहिक 'मिले जब हम तुम' की शूटिंग के दौरान सनाया ईरानी और मोहित सहगल एक-दूसरे के संपर्क में आए। दोनों पहले पहले मित्र,फिर हमराज और अब पति-पत्नी बन गए।
रिद्धि डोंगरा-राकेश
राकेश वशिष्ठ और रिद्धि डोंगरा के बीच प्यार का अंकुर धारावाहिक 'मर्यादा' की शूटिंग के दौरान फूटा। राकेश को रिद्धि की सादगी पसंद आई,तो रिद्धि को राकेश का अपनापन भा गया। 'मर्यादा' में विवाहित जोड़े की भूमिका निभाने के दौरान राकेश और रिद्धि को अहसास हुआ कि निजी जीवन में भी उन्हें विवाह रचा लेना चाहिए। दोनों ने जल्द ही अपने दिल की बात सुनी और 'मर्यादा' की शूटिंग से कुछ समय का ब्रेक लेकर विवाह कर लिया।
बॉक्स के लिए-
और भी विवाहित जोड़े हैं जिनकी प्रेम कहानी 'फिल्मों के सेट' से शुरू हुई-
*दिलीप कुमार-सायरा बानो
*सुनील दत्त-नरगिस
*देव आनंद-कल्पना कार्तिक
*रणधीर कपूर-बबीता
*कुणाल केमु-सोहा अली खान
*बिपाशा बसु-करण सिंह ग्रोवर
और भी विवाहित जोड़े हैं जिनकी प्रेम कहानी 'सीरियल के सेट' से शुरू हुई-
*दिव्यांका त्रिपाठी-विवेक दाहिया
*रवि दुबे-शरगुन मेहता
*किरण कर्माकार-रिंकू धवन
*गुरदीप कोहली-अर्जुन पुंज
*संजीव सेठ-लता सबरवाल
*मजहर सैयद-मौली गांगुली
*आदित्य रेडिज-नताशा शर्मा
*मोहित मालिक-अदिति मालिक