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Friday, June 17, 2016

चार की चमक : पृष्ठभूमि नहीं,हुनर है हिट

-सौम्या अपराजिता

फ़िल्मी दुनिया में खुद को स्थापित करना गैरफ़िल्मी पृष्ठभूमि के कलाकारों के लिए टेढ़ी खीर होती है। इन कलाकारों के पास प्रतिभा और कुछ कर दिखाने का हौसला तो होता है,मगर शुरुआती पहचान और अवसर के लिए आवश्यक फ़िल्मी संपर्क और प्रभाव का अभाव होता है। कई पापड़ बेलने के बाद यदि शुरुआती अवसर मिल भी जाता है,तो उसके बाद फ़िल्मी पृष्ठभूमि वाले स्टार कलाकारों की प्रभावशाली मौजूदगी के बीच खुद को स्थापित करने की चुनौती होती है। विशेषकर गैरफ़िल्मी पृष्ठभूमि की अभिनेत्रियों के लिए तो फ़िल्मी दुनिया में सफलता का सफ़र मुश्किल भरा होता है। ऐसे ही मुश्किल भरे सफ़र को अपने बुलंद हौसलों और हुनर के साथ तय कर हिंदी फिल्मों में सफलता की कहानी लिखी है-बरेली की प्रियंका चोपड़ा,मंडी की कंगना रनोट,बैंगलुरु की अनुष्का शर्मा और दीपिका पादुकोण ने। कंगना,प्रियंका,दीपिका और अनुष्का शर्मा ने खुद को सिर्फ समर्थ अभिनेत्री के रूप में ही स्थापित नहीं किया है,बल्कि इन चारों अभिनेत्रियों ने बता दिया है कि अगर हौसला,हुनर और जोश हो,तो गैर फ़िल्मी पृष्ठभूमि की अभिनेत्रियां भी सफलता के सोपान को छू सकती हैं। बाहर से आयी इन अभिनेत्रियों ने अपने अभिनय और आकर्षण के दम पर फ़िल्मी दुनिया में प्रभावशाली पहचान बनायी है। इन्होंने पुरुष प्रधान हिंदी फ़िल्मी दुनिया के समीकरण को बदल कर नायिका प्रधान फिल्मों के सुनहरे भविष्य की नींव रखी है।

प्रियंका की प्रतिभा
विविध रंग की भूमिकाओं में ढलने की कला में पारंगत हो चुकी प्रियंका चोपड़ा हर अंदाज और कलेवर में दर्शको को प्रभावित करती हैं। गैर फ़िल्मी पृष्ठभूमि की यह अभिनेत्री अभिनय की हर कसौटी पर खरी उतरने के लिए तैयार रहती है। 'अंदाज' से 'मैरी कॉम' तक के फ़िल्मी सफ़र में प्रियंका ने तमाम उतार-चढाव के बीच हिंदी फिल्मों में अपनी प्रभावी पहचान बनायी है। सही मायने में प्रियंका ने हिंदी फिल्मों में अभिनेत्रियों के अस्तित्व को सकारात्मक उड़ान दी है। अपने संघर्ष भरे सफ़र के विषय में प्रियंका कहती हैं,' मैं जब फिल्म जगत में आई तो मेरी उंगली पकड़ने और मुझे यह कहकर रास्ता दिखाने वाला कोई नहीं था कि 'यह सही दिशा है।' मुझे कभी कोई मार्गदर्शक नहीं मिला और न ही मेरी ऐसे लोगों से दोस्ती थी, जो फिल्मों के बारे में कुछ जानते हों। मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने के बावजूद शुरूआती दिनों में मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा। मुझे साइन करने के बावजूद कई बार तो इसलिए फिल्मों से बाहर कर दिया गया कि कोई और अभिनेत्री किसी तगड़ी सिफारिश के साथ निर्माता के पास पहुंच गई थी। लेकिन मैं उस समय कुछ करने की स्थिति में नहीं थी। इससे मुझे दुख तो हुआ, लेकिन यह सीख भी मिली कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। आज जब पीछे मुड़कर देखती हूं,तो मुझे अपने संघर्ष पर गर्व होता है। उसी संघर्ष की बदौलत आज मैं इस मुकाम पर हूं।'

कंगना की खनक
फिल्मों में अवसर मिलने के शुरूआती संघर्ष से लेकर दो बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार की विजेता बनने तक का कंगना रनोट का सफ़र उन युवतियों के लिए प्रेरणादायक है जो देश के सुदूर इलाकों में बैठकर अभिनेत्री बनने का सपना संजोया करती हैं। कंगना ने सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि की मजबूरियों के साथ तमाम परेशानियों से जूझते हुए आज वह मुकाम बनाया है जो फ़िल्मी चकाचौंध में पली-बढ़ी अभिनेत्रियों के लिए भी दूर की कौड़ी साबित हो रही है। अपने संघर्ष के अनुभवों को बांटते हुए कंगना कहती हैं,'बीच में एक दौर ऐसा आया था, जब मुझे लग रहा था कि अब मेरा कुछ भी नहीं हो सकता है। मुझे ढंग की फिल्में नहीं मिल रही थी। हर तरफ मेरी आलोचना हो रही थी। ‘तनु वेड्स मनु’ और ‘क्वीन’ के बाद बहुत फर्क आ गया है। नाकामयाबी के उस दौर में भी मैंने हिम्मत नहीं हारी थी। मैंने कभी परवाह नहीं की कि लोग मेरे बारे में क्या कह रहे हैं। खुद को मांजती रही और आने वाले अवसरों के लायक बनती रही। मेरा तो एक ही लक्ष्य रहा कि जो मुझे अभी लायक नहीं मान रहे हैं, उनके लिए और बेहतर बनकर दिखाऊंगी। मैं खुद को भाग्यशाली नहीं मानती हूं। मैंने हमेशा हर चीज में बहुत संघर्ष किया है। पिछले दस सालों में मैंने काफी कुछ सहा है। मैं हमेशा से ही  यहाँ एक बाहरी व्यक्ति थी और हमेशा ही रहूंगी। एक समय था जब मेरे लिए हिंदी फिल्मों में काम पाना मुश्किल था पर अब ऐसा बिल्कुल नहीं है। अब अलग तरह का संघर्ष है लेकिन पहले जितना नहीं।'

दीपिका की दिलकशी
बंगलुरु में जब दीपिका पादुकोण अपने पिता प्रकाश पादुकोण के साथ बैडमिंटन की प्रैक्टिस किया करती थीं,तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि एक दिन वे हिंदी फिल्मों की शीर्ष श्रेणी की नायिका बनेंगी। उन्हें इस बात का इल्म नहीं था कि जिन हाथों में अभी रैकेट है उसमें कभी फिल्मफेयर अवार्ड की ट्रॉफी होगी। ...पर ऐसा हुआ और आज हिंदी फ़िल्मी दुनिया में गैर फ़िल्मी पृष्ठभूमि की दीपिका की सफलता और लोकप्रियता का दीप अपनी रौशनी बिखेर रहा है। उनकी खूबसूरती के चर्चे तो हमेशा ही होते रहे हैं। अब तो, अजब सी अदाओं वाली इस हसीना के अभिनय का जादू भी चलने लगा है। अब वे सिर्फ अपनी बदौलत किसी फ़िल्म को कामयाब बनाने की क्षमता रखती हैं। उन्होंने नए दौर में अभिनेत्रियों के अस्तित्व को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभायी है। दीपिका को गर्व है कि गैर फ़िल्मी पृष्ठभूमि से होने के बाद भी वे हिंदी फिल्मों में खुद को स्थापित करने में सफल रहीं हैं। दीपिका कहती हैं,'अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं कि तुम बिना किसी सपोर्ट के,बिना किसी गॉडफादर के यहाँ तक आई हो। यह बड़ी उपलब्धि लगती है।'

अनुष्का का आकर्षण
बचपन में जब अनुष्का शर्मा अपने प्रिय अभिनेता शाहरुख़ खान और अक्षय कुमार की फ़िल्में देखती थीं,तो अक्सर अपनी मां से मजाक में कहा करती थी,'मां...देखना मैं एक दिन शाहरुख़ और अक्षय के साथ फ़िल्म करूंगी।' उन्हें नहीं पता था कि उनका यह मजाक एक दिन हकीकत बन जायेगा। अनुष्का की पहचान आज सिर्फ शाहरुख़ खान की नायिका के रूप में नहीं,बल्कि हिंदी फिल्मों की समर्थ और सक्षम अभिनेत्री की है। अनुष्का ने अपने स्वाभाविक अभिनय और आकर्षण से खुद को स्टार अभिनेत्री बनाया और यह साबित कर दिया कि फ़िल्मी दुनिया में सफलता के लिए पृष्ठभूमि से अधिक हुनर मायने रखता है। अभी तक दस फिल्मों में अपने शानदार अभिनय की बानगी पेश कर चुकी अनुष्का कहती हैं,'मैं फ़िल्मी बैकग्राउंड से नहीं हूं। फिल्मों को लेकर जो ज्ञान मुझे आज है वो सात सालों में सात फिल्में करने के बाद आया है। अब ये मेरा पैशन बन चुका है। '

Friday, October 4, 2013

हीरोइनों का हॉलीवुड कनेक्शन....

हिंदी फिल्मों में लोकप्रियता और सफलता का परचम लहराने के बाद हीरोइनों का अगला लक्ष्य हॉलीवुड होता है। वे हॉलीवुड की हीरोइन बनकर खुद को अपनी प्रतिस्पर्धी हीरोइनों से बेहतर साबित करना चाहती हैं। ..और इस तरह हिंदी फिल्मों की  हीरोइनों में हॉलीवुड का हिस्सा बनने की होड़- सी लग जाती है।
हॉलीवुड जाने के लिए हीरोइनों में लगी होड़ का सबसे ताजा उदाहरण है 'फ़ास्ट एंड फ़्युरियस 7' प्रकरण। दरअसल,पिछले दिनों कुछ दिनों से हॉलीवुड फिल्म 'फ़ास्ट एंड फ़्युरिअस 7' से जुड़ने के लिए हीरोइनों में रेस लगी हुई है। दीपिका पादुकोण, चित्रांगदा सिंह और कंगना रनोट के बीच चल रही इस रेस में दीपिका की जीत की खबर भी आई। कहा गया कि दीपिका को 'फ़ास्ट एंड फ़्युरिअस 7' में अभिनय का अवसर मिल गया है। हालांकि, कुछ दिनों पहले ही दीपिका के इस फिल्म को छोड़ने की खबर भी आ गयी। इसकी वजह शूटिंग के लिए तारीख नहीं मिल पाने की समस्या बतायी गयी। दरअसल,'फ़ास्ट एंड फ़्युरिअस' के लिए भारतीय चेहरे की तलाश की खबर पिछले चार-पांच महीने से सुर्ख़ियों में है।

दरअसल, कुछ ही हीरोइनें ऐसी हैं जिन्होंने हिंदी फिल्मों से होते हुए हॉलीवुड का सफ़र तय किया है। ऐसी हीरोइनों में ऐश्वर्या राय बच्चन सबसे उल्लेखनीय हैं। ऐश्वर्या ' पिंक पैंथर','ब्राइड एंड प्रेज्युडिज' और 'मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेस' और ' प्रोवोक्ड' जैसी हॉलीवुड फिल्मों में आकर्षक उपस्थिति दर्ज करा चुकी हैं। हॉलीवुड में ऐश्वर्या के प्रशंसकों की कमी नहीं है। तभी तो,ऐश्वर्या के साथ आज भी कई हॉलीवुड फिल्म मेकर काम करने की इच्छा रखते हैं। तब्बू ने भी अपने बेहतरीन अभिनय से हॉलीवुड में विशेष पहचान बनायी है। तब्बू की पहली हॉलीवुड फिल्म मीरा नायर निर्देशित 'द नेमसेक ' थी जिसकी सफलता में तब्बू के प्रभावशाली अभिनय का भी बड़ा योगदान था। पिछले वर्ष प्रदर्शित हुई सफल हॉलीवुड फिल्म 'लाइफ ऑफ़ पाई' में भी तब्बू की प्रभावशाली उपस्थिति आकर्षण का केंद्र थी।


ऐश्वर्या राय बच्चन की हॉलीवुड में बढती पैंठ से कई और हीरोइनें प्रेरित हुईं जिनमें मल्लिका शेरावत उल्लेखनीय हैं। मल्लिका शेरावत को हॉलीवुड फिल्मों में अभिनय का अवसर तो मिला,पर तमाम प्रयासों के बाद भी वे ऐश्वर्या की तरह अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में कामयाब नहीं हुईं। बिपाशा बसु भी हॉलीवुड की ओर रुख करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा चुकी हैं। दरअसल,दो वर्ष पूर्व बिपाशा को एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म में अभिनय का अवसर मिला था। बड़े जोश-खरोश के साथ बिपाशा ने हॉलीवुड अभिनेता जोश हार्नेट के साथ अंतर्राष्ट्रीय फिल्म ' सिंगुलैरिटी' की शूटिंग पूरी की,पर बिपाशा के लिए हॉलीवुड की राह में अवरोध तब आ गया जब ' सिंगुलैरिटी' के डब्बा बंद होने की खबर आयी। हालांकि, अब एक बार फिर 'सिंगुलैरिटी' के प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। उत्साहित बिपाशा कहती हैं,'सिंगुलैरिटी में काम करना शानदार अनुभव था । इस फिल्म ने अभिनय के क्षेत्र में मेरे लिए नई सम्भावनाएं पैदा की है।'

हॉलीवुड का हिस्सा बनने की इच्छा हमारी हीरोइनों के मन में उमड़ती रहती हैं। समय-समय पर वे अपनी इस इच्छा को उजागर भी करती रहती हैं। सोनम कपूर ने पिछले दिनों ही हॉलीवुड फिल्मों में अभिनय की इच्छा जतायी थी। सोनम पिता अनिल कपूर की तरह हॉलीवुड की ओर अपने कदम बढ़ाना चाहती हैं।सोनम ने कहा है कि वे हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता जॉन डेप के साथ काम करना चाहती हैं। वह डेप के साथ उनकी फिल्म ' पॉयरेटस ऑफ कैरेबियन' के पांचवे संस्करण में काम करना चाहती है और इसके लिए वे कथित रूप से ऑडिशन भी दे चुकी हैं। कंगना रनोट भी हॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा बनने के लिए बेचैन हैं। वह कहती हैं,' मैं हॉलीवुड की फिल्मों में काम करना चाहती हूं क्योकि वहां का लेवल बहुत ऊंचा होता है।'

प्रियंका चोपड़ा भी इन दिनों हॉलीवुड की और मुखातिब हैं। हालांकि, प्रियंका ने अभी तक किसी हॉलीवुड फिल्म में अभिनय नहीं किया है,पर हॉलीवुड में उन्हें शुरुआती पहचान मिल चुकी है। प्रियंका का चेहरा हॉलीवुड के लिए अब अपरिचित नहीं है। दरअसल,प्रियंका के अंतर्राष्ट्रीय म्यूजिकल सिंगल ने हॉलीवुड में उन्हें लोकप्रिय बनाया। साथ ही,हॉलीवुड एनीमेशन फिल्म 'प्लेंस' की नायिका ईशानी की आवाज बनकर प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड में औपचारिक रूप से प्रवेश कर चुकी है। अब उन्हें हॉलीवुड फिल्मों में अभिनय के प्रस्ताव भी मिल रहे हैं। प्रियंका कहती हैं,' हॉलीवुड से कुछ प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन वे उन प्रस्तावों को ही स्वीकार करेंगी, जो उन्हें रोमांचित करेंगे।' फिल्म विशेषज्ञों के अनुसार गायन,नृत्य और अभिनय में पारंगत प्रियंका चोपड़ा में हॉलीवुड में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने की क्षमता है। संभवतः ऐश्वर्या राय बच्चन के बाद प्रियंका चोपड़ा हिंदी फिल्मों की ऐसी हीरोइन हैं जो सही मायने में हॉलीवुड में लोकप्रिय,सक्रिय और प्रिय शक्सियत के रूप में उभर रही हैं।