Monday, April 6, 2009

तभी देश को कुशल राजनीतिक नेतृत्व मिलेगा-प्रीति जिंटा

-सौम्या अपराजिता
[स्लम की आड़ में वोट बैंक]

हमारे देश का पॉलिटिकल सिस्टम इतना गिर गया है कि वोट बैंक जमा करने के लिए शहरों में स्लम बसाए जाने लगे हैं। जानवरों की तरह लोगों को एक-के-ऊपर एक डालकर स्लम में रखने से भी वोट बैंक के लालची राजनेता नहीं हिचकते हैं। ये राजनेता ही हैं जो महानगरों में बाहर से लोगों को
ला-कर भर रहे हैं। वे गरीबों से कहते हैं कि तुम यहाँ रहो और हमें वोट देते रहो। हर-एक इंसान को

अच्छी जिंदगी जीने का हक है। हम क्यों इन्हें जानवर की तरह रख रहे हैं? अब, यही स्लम हमारी पहचान बन गए हैं। स्लमडॉग मिलिनेयर के कारण विदेशों में हमारी पहचान स्लम वाले देश के रूप में हो रही है। कुर्सी के पीछे ऐसा बना दिया गया है। मेरी दरख्वास्त है लोगों से कि आप पार्टी को वोट मत कीजिए, इंसान को वोट दीजिए। उस इंसान को, जिसमें देश के मौजूदा हाल से लड़ने की ताकत हो। जो राजनेता अपने वादों को पूरा नहीं करे उसे वोट नहीं, दो थप्पड़ मारो। सच में देश के मौजूदा हालात देखकर मैं बेहद दु:खी हूँ और अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पा रही हूँ।

[प्लीज वोट दें]

मैं देश के हर एक इंसान को कहूंगी कि प्लीज वोट दें। सभी वोट देंगे तभी देश को एक कुशल राजनीतिक नेतृत्व मिलेगा। अब, देख लीजिए ओबामा क्यों यूएसए के प्रेसिडेंट बनें? क्योंकि सभी ने उन्हें वोट दिया। केवल अफ्रीकी लोगों ने ही नहीं, अमेरिकन, इंडियन, एफ्रो-एशियन सभी ने वोट दिया। इसीलिए मैं कहूंगी कि देश का हर परिवार अपने वोट देकर हिन्दुस्तान का भविष्य बनाए। जो गलत है, वह गलत है..इस मानसिकता के साथ वोट दें। हमें ऐसा हिन्दुस्तान चाहिए जो हमारे दिलों में बसा है। जहाँ जीने का स्तर अच्छा हो,सड़कें अच्छी हों। पिछले दिनों मुंबई में अटैक हुआ, सभी ने अपनी आवाजें उठायी और राजनेताओं के खिलाफ नारेबाजी की। अब,वक्त आ गया है कि वही लोग वोट देने के अपने अधिकार का फायदा उठाएं। हम बता दें कि जिन्होंने हमारे शहर-हमारे देश की बैंड बजायी है, हमें ऐसे राजनेता नहीं चाहिए। पॉलिटिक्स में यंग लोगों को आना चाहिए और ओल्ड टाइम पॉलिटिशियन को बाय, बाय करना चाहिए।

[सभी राजनीतिक पार्टियां एक जैसी]

सभी मुझसे पूछते हैं कि क्या आप राजनीति में रूचि रखती हैं? मैं बता देना चाहती हूँ कि राजनीति में मेरी कोई रूचि नहीं है। वोट के दौरान मेरे रूझान की बात है तो एक इंसान को मैं सपोर्ट कर सकती हूँ, किसी पार्टी को नहीं। पॉलिटिकल पार्टियां जिस तरह एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए घमासान करती हैं, वह मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। सभी राजनीतिक पार्टियां एक जैसी ही होती हैं। हिन्दू-मुस्लिम पॉलिटिक्स को मैं सपोर्ट नहीं करती हूँ।

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