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Monday, October 21, 2013

फिल्म नयी,गीत पुराने....

पुराने गीतों को नए कलेवर में पेश करने का सिलसिला जारी है। आलोचना-प्रत्यालोचना से बचने के लिए जब भी संगीतकार पुराने सदाबहार गीतों को अपनी फिल्म में नए कलेवर के साथ पेश करना चाहते हैं तो उसे रीमिक्स नहीं,बल्कि ट्रिब्यूट का नाम दे देते हैं। पिछले दिनों प्रदर्शित हुई फिल्म बॉस में 'हर किसी को नहीं मिलता' गीत को नए संयोजन और नए अंदाज में पेश किया गया। कहा गया कि इस गीत से अक्षय कुमार स्वर्गीय फिरोज खान को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते थे। इस वर्ष ऐसे ही कई और गीत श्रोताओं के कानों में गूंजे जिनके धुन और बोल से वे पूर्व परिचित थे।

वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा के गीत 'तैयब अली प्यार का दुश्मन' को सुनते ही श्रोताओं की आँखों के सामने 'अमर अकबर एन्थोनी' में ऋषि कपूर पर फिल्माए गए इसी क़व्वाली गीत की तस्वीरें घूम गयी। दरअसल, इस गीत की रीमेक की इच्छा इमरान खान ने जतायी थी जिसे संगीत निर्देशक प्रीतम ने पूरा किया।' वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' के निर्माता 'तैयब अली ..' से मिलता-जुलता गाना फिल्म के लिए चाहते थे। गहन विचार-विमर्श के बाद इमरान के सुझाव को मद्देनजर रखते हुए  यह तय किया गया कि 'तैयब अली प्यार का दुश्मन'  गाने को ही फिल्म में शामिल किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि निजी जीवन में इमरान ऋषि कपूर के प्रशंसक हैं और  'अमर अकबर ऐंथनी' उनकी पसंदीदा फिल्मों में से एक है। श्रोताओं और दर्शकों की आलोचना से बचने के लिए प्रचारित किया गया कि इस गीत के जरिए इमरान खान अपने प्रिय अभिनेता ऋषि कपूर के प्रति अपना सम्मान जताना चाहते हैं। स्क्रीन पर इस सदाबहार गीत पर ठुमके लगाने की अपनी इच्छा तो इमरान ने पूरी कर ली,पर दर्शक और श्रोता इमरान खान के तथाकथित ऋषि कपूर अंदाज को पचा नहीं पाएं।
साजिद खान की 'हिम्मतवाला' के तो सभी गीत मूल 'हिम्मतवाला' से ज्यों के त्यों ले लिए गए थे। बस वाद्य यंत्रों का संयोजन और और पार्श्व गायक-गायिका नए थे। एक बार लोकप्रियता का परचम छू चुके 'नैनों में सपना' और 'ताकी-ताकी' जैसे गीत दोबारा अपना जादू नहीं चला पाए। हालांकि,यह जरुरी नहीं कि यदि फिल्म रीमेक हो,तो उसका संगीत भी मूल फिल्म के संगीत की कॉपी हो।' हिम्मतवाला' को छोड़ दें तो सभी रीमेक फिल्मों में संगीत नया रहा है। संगीतमय सफल फिल्म 'आशिकी' की रीमेक 'आशिकी 2' के सभी गीत मौलिक थे। 'आशिकी 2' की सफलता में काफी हद तक उसके मौलिक संगीत का योगदान है। हां..कभी-कभी पुरानी फिल्म के फ्लेवर के लिए एक-दो गीतों को रीमेक में नए कलेवर में ढ़ालकर पेश जरुर किया गया है,पर शेष गीत मौलिक ही रहे हैं। फिल्म विशेषज्ञों के अनुसार 'हिम्मतवाला' की असफलता में उसके गीतों ने बड़ी भूमिका निभायी है। यदि गीत नए और मौलिक होते,तो उसका कुछ लाभ फिल्म को जरुर मिलता।

'नौटंकी साला' में दो पुराने और लोकप्रिय गीतों को रीमिक्स अंदाज में पेश किया गया। ये गीत थे ' सो गया ये जहां' और 'धक्-धक् करने लगा।' ये दोनों ही गीत श्रोताओं के एक वर्ग को ही लुभा पाए। अधिकांश श्रोताओं ने इन रीमिक्स गीतों को नकारात्मक प्रतिक्रिया दी। हालांकि,आयुष्मान खुराना अभिनीत इस फिल्म के अन्य मौलिक गीतों ने श्रोताओं के कानों में लम्बे समय तक मधुर रस घोला। संभवतः 'सड़क' और ' बेटा' के इन लोकप्रिय गीतों का जादू आज भी बरकरार है इसलिए ' नौटंकी साला' में उनके नए रूपांतर लुभा नहीं पाए। 'चालबाज' के गीत 'न जाने कहां से आई है' से प्रेरित होकर 'आई मी और मैं' में ' ना जाने कहां से आया है' की रचना की गयी। धुन वही रखी गयी,बोल बदल दिए गए। इस तरह तैयार हो गया दो दशक पूर्व के लोकप्रिय गीत से प्रेरित नए जमाने का एक हिप-हॉप गीत।  नए कलेवर में ढले इस गीत को युवा श्रोताओं ने पसंद किया।
रचनाशीलता के अभाव में पुराने गीतों को रीसायकल करने के इस सिलसिले पर प्रश्न चिह्न लगाए जाते रहे हैं। फ़िल्मी दुनिया से जुडी कई शक्सियतें इस सन्दर्भ में अपना विरोध जाहिर करती रही हैं। अरशद वारसी कहते हैं,'मैं खूबसूरत पुराने गानों के नए फिल्मों में इस्तेमाल करने पर खुश नहीं हूं। मुझे पुराने गानों के रीमिक्स पसंद नहीं है। मुझे लगता है कि पुराने गाने की जगह नए गाने पेश करने चाहिए।' संगीत पारखी निर्माता-निर्देशक सुभाष घई अपनी बात रखते हुए कहते हैं,'पर्सनली मुझे  पसंद नहीं है कि किसी पुराने क्लासिक गीत को नए सिरे से किसी फिल्म में लिया जाए। लेकिन आजकल ऐसे गाने कम हैं, जो श्रोताओं की जुबां पर चढ़े हों। इसलिए पुराने सदाबहार गानों को नयी फिल्मों में लिया जाता है।'
तर्क जो भी हो..इतना तो तय है कि जब तक संगीतकार अपनी रचनाशीलता को नयी चुनौतियों के लिए नहीं तैयार करते तब तक उनके सामने पुराने गीतों को तथाकथित रूप से नए अंदाज में पेश करने का विकल्प मौजूद रहेगा.....।
-सौम्या अपराजिता