Wednesday, October 15, 2008

बजा पगड़ी का डंका

-सौम्या अपराजिता
लहलहाते सरसों के खेत, रंग-बिरंगी पोशाकों में भांगड़ा करते युवक और संगीत की धुनों पर थिरकती युवतियों की लंबी-लंबी चोटियां; पंजाबी संस्कृति के इन संकेतों का प्रयोग हिंदी फिल्मों में प्रारंभ से ही होता रहा है। अगर कहें कि प्रारंभ से ही पंजाबी संस्कृति हिन्दी फिल्मों के कथ्य पर हावी रही है,तो गलत नहीं होगा। कभी अमिताभ बच्चन तो कभी संजय दत्त, कभी अक्षय कुमार तो कभी सनी देओल ने अपने सिर पर पगड़ी धारण कर बड़े पर्दे पर सिख नायक की भूमिका को जीवंत किया है। अब ऐसे नायकों की सूची में सलमान खान और छोटे नवाब सैफ अली खान के नाम भी शुमार होने जा रहे हैं। हीरोज में सलमान खान पगड़ी लगाए सिख रेजीमेंट के बहादुर आर्मी ऑफिसर के रूप में दर्शकों से रू-ब-रू होंगे वहीं सैफ अली खान ने भी इम्तियाज अली के निर्देशन में अपनी होम प्रोडक्शन फिल्म में पगड़ी पहनने की तैयारी शुरू कर दी है।
[विदेशी दर्शकों की खातिर]
हिन्दी फिल्मों के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पगड़ी और सिख नायक के बढ़ते प्रभाव की वजह है विदेशों में बसे भारतीय दर्शक। विदेशों में बसने वाले भारतीयों में पंजाबी पृष्ठभूमि से वास्ता रखने वाले लोग अधिक हैं जो अपनी मातृभूमि और अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए हिन्दी फिल्में देखते हैं। ऐसे में हमारे फिल्म निर्माता-निर्देशक भी उनकी भावनाओं का ख्याल रखते हुए पंजाबी परिवेश से जुड़ी हर विशेषता को फिल्मों में पिरोकर उपलब्ध कराते हैं। बॉलीवुड में भी पंजाब की मिट्टी में जन्मे कलाकारों और निर्देशकों का बोलबाला है। ऐसे में फिल्मों में पंजाबी तड़का लगना स्वाभाविक है। यही वजह है कि अब हिन्दी फिल्मों के नायक को केवल पंजाब का बाशिंदा ही नहीं बनाया जाता है बल्कि उन्हें अपनी चॉकलेटी छवि को परे रखकर पगड़ी धारण करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि विदेशी सिख दर्शक पगड़ी पहने नायकों को रुपहले पर्दे पर देखकर उनमें अपनी और अपने करीबियों की छवि को निहार सकें।
[पारंपरिक सिख वेशभूषा में नायक]
कुछ कुछ होता है में आसमान के तारों की गिनती करने में मशगूल रहने वाले बालकलाकार ने सिख बच्चों की मासूमियत को करीब से जीया वहीं अमिताभ बच्चन ने मेजर साब में ढलती उम्र में भी अपनी पत्नी के लिए थिरकने वाले एक जिंदादिल सिख आर्मी ऑफिसर की भूमिका को बखूबी निभाया। मेजर साब के साथ-साथ कोहराम और अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों में भी अमिताभ बच्चन के शानदार व्यक्तित्व में पगड़ीे चार-चांद लगा रही थी। 'पंजाब दा पुत्तर' सनी देओल ने कई फिल्मों में पगड़ी धारण की है। सबसे पहले बॉर्डर में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी की भूमिका में सनी ने सेना के जाबांज और कर्तव्यपरायण ऑफिसर की भूमिका में सिखों के गंभीर पक्ष से परिचित कराया। गदर में ट्रक ड्राइवर तारा सिंह की भूमिका में भी सनी देओल की पगड़ी उन्हें टफ लुक दे रही थी। सरदार की भूमिका में सनी देओल तीसरी बार दिखे जो बोले सो निहाल में। सनी देओल के साथ-साथ छोटे भाई बॉबी देओल भी 23 मार्च 1931:शहीद में भगत सिंह की भूमिका में पगड़ी में दर्शकों से रू-ब-रू हुए। भगत सिंह बने बॉबी देओल को अजय देवगन ने लेजेंड ऑफ भगत सिंह में कड़ी टक्कर दी। अजय देवगन और बॉबी देओल से पूर्व 'भारत कुमार' मनोज कुमार भी शहीद में भगत सिंह के विद्यार्थी जीवन की भूमिका निभाने के दौरान पगड़ी पहने नजर आएं। बचना ऐ हसीनों में हल्की दाढ़ी और लंबे बालों वाले कुणाल कपूर ने भी अपने सर पर पगड़ी सजायी। कुणाल की पगड़ी उनके आकर्षक व्यक्तित्व में चार-चांद लगा रही थी।
[धूम मचाई अक्षय की पगड़ी ने]
हाल-फिलहाल पगड़ी को हिप और हैपनिंग बनाया है अक्षय कुमार ने। सिंह इज किंग में अक्षय कुमार के नेतृत्व में सिख किरदारों की टोली ने ऐसा जादू चलाया कि दर्शक बस उन्हें देखते ही रह गए। सिंह इज किंग में सर पर रंग-बिरंगी पगड़ी लगाए हैप्पी सिंह की भूमिका में अक्षय कुमार ने दर्शकों को अपने मोहपाश में बांध लिया।
[अब बारी है सलमान खान की]
आने वाली फिल्म हीरोज में सलमान खान एक पारंपरिक सरदार की भूमिका में दर्शकों का मनोरंजन करेंगे। सिंह इज किंग में अक्षय कुमार की हीरा जड़ित पगड़ी को टक्कर देगी सलमान खान की साधारण सी पगड़ी। सलमान खान के पगड़ी वाले लुक से हीरोज के सहकलाकार बेहद प्रभावित हैं। हीरोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे वत्सल सेठ कहते हैं, ''सलमान खान से बेहतर सरदार पूरी दुनिया में कोई नहीं लग सकता।''
[अभिनेत्रियों का पगड़ी प्रेम]
पगड़ी प्रेम से अभिनेत्रियां भी अछूती नहीं हैं। श्वेत-श्याम फिल्मों में अभिनेत्रियां अक्सर अपनी पहचान छिपाने के लिए पगड़ी पहनकर सरदार का लुक अपनाया करती थी। इन दिनों द्रोण में प्रियंका चोपड़ा की पगड़ी भी चर्चा में बनी हुई है। प्रियंका की पगड़ी आम पगड़ी से कुछ अलग है। उनकी पगड़ी एक महिला के अंदर छिपी शक्तियों की संकेतात्मक रूप से दर्शकों के समक्ष ले आती है। ऐसा लगता है नायिकाएं भी नायकों से प्रभावित होकर अपने लंबे बालों को पगड़ी में छिपाकर स्वयं को नायकों के मुकाबले खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं।
आधुनिकता और पाश्चात्यीकरण के इस दौर में अपनी परंपराओं से जुड़ना और उसे व्यापक पैमाने पर अपनाना सकारात्मक संकेत है। अपने आधुनिक रूप-रंग को त्याग कर सिर पर पगड़ी लगाए घनी दाढ़ी में खुद को दर्शकों के समक्ष पेश कर बॉलीवुड नायक अभिनय के प्रति समर्पण का प्रशंसनीय परिचय दे रहे हैं।

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