Thursday, September 15, 2016

अतुलनीय रजनीकांत...

-सौम्या अपराजिता

रजनीकांत का व्यक्तित्व,उनकी लोकप्रियता का दायरा और दर्शकों के बीच उनकी स्वीकार्यता का प्रभाव इतना गहरा और व्यापक है कि भाषा,क्षेत्र और समय की दीवारें टूट जाती हैं। रजनीकांत का प्रभावशाली व्यक्तित्व पूरे भारत को एक सिरे से बांधता है...उनकी फ़िल्में उत्तर-दक्षिण की दूरियों को पाटती हैं,विदेश में बसे भारतीयों में देश प्रेम का संचार करती हैं,तो दर्शकों में 'आम से खास' बनने के जज्बे का संचार करती हैं। दरअसल,'रजनीकांत' सिर्फ एक अभिनेता का नाम नहीं रहा,बल्कि यह 'विशेषण' बन गया है।भला... किसी अभिनेता की लोकप्रियता का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है!

दरअसल,रजनीकांत की बेपनाह लोकप्रियता और प्रभाव की विशेष वजह है। दरअसल,दूसरे लोकप्रिय अभिनेताओं की तरह रजनीकांत व्यावसायिक लाभ के लिए अपनी ऑन स्क्रीन छवि को बेचते नहीं हैं। गौर करें तो लोकप्रियता के सोपान पर अमिताभ बच्चन भी हैं,शाहरुख़ खान भी हैं और सलमान खान भी।...मगर उन सबसे अलग हैं रजनीकांत...। रजनीकांत की तरह दूसरे अभिनेता भी स्क्रीन पर अन्याय के खिलाफ लड़ते हैं और असहायों की सहायता करते दिखते हैं,मगर जब उस अभिनेता की रियल लाइफ की बात आती है,तो वे अक्सर विज्ञापनों में शराब,गुटखा या किसी अन्य उत्पादों को बेचते हुए दिख जाते हैं जिससे असहायों की मदद करने वाले आम आदमी के हीरो वाली उनकी छवि धूमिल होने लगती है। वे सिर्फ व्यावसायिक अभिनेता के रूप में दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनकर रह जाते हैं। वहीँ दूसरी तरफ रजनीकांत अपनी अभिनय कला को सिर्फ फिल्मों तक सीमित रखते हैं जिससे उनकी पहचान में सिर्फ उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व की झलक दिखती है जो उन्हें दूसरे  व्यावसायिक अभिनेताओं  से अलग दर्शकों के लिए पूजनीय बनाती है। गौरतलब है कि 2006 में एक 'कोला-कंपनी' ने रजनीकांत को अपना ब्रांड-अम्बैसडर बनने का प्रस्ताव दिया था, किन्तु 2 करोड़ का प्रस्ताव होने के बावजूद रजनीकांत ने उस कंपनी को मीटिंग के लिए समय तक नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि रजनीकांत फ़िल्मों के बाहर कभी मेकअप में नहीं दिखते। वे न तो टेलीविजन रियलिटी शो की शोभा बनना पसंद करते हैं और न ही अवार्ड शो या स्टेज पर प्रस्तुति देते हैं। निजी जीवन में रजनीकांत स्वयं को 'लार्जर देन लाइफ' बनाकर प्रस्तुत नहीं करते। वे दर्शकों को कहानियाँ बेचना पसंद करते हैं, पर कभी भी खुद की बोली नहीं लगाते। कैमरे से बाहर होते ही वे अपने सामान्य रूप में आ जाते हैं।

रजनीकांत का अपने दर्शकों के साथ अद्भुत परस्पर रिश्ता है। वे दर्शकों का शोषण नहीं करते हैं। वे दर्शकों के विश्वास की रक्षा के लिए कृत संकल्पित हैं। लोकप्रियता के शिखर पर भी रजनीकांत ने अपने आपको आभामंडल में छिपाने की कोशिश नहीं की, बल्कि अपने द्वारा निभाए गए 'लार्जर दैन लाइफ' चरित्रों को भी अपनी जमीनी पहचान से जोड़े रखा है। इसीलिए दर्शक जब फ़िल्म में उनके चरित्र विशेष के लिए तालियाँ बजा रहे होते हैं, तो कहीं न कहीं वह तालियाँ रजनीकांत को मिल रही होती हैं। रजनीकांत की कोशिश होती है कि उनके चरित्र में भी लोग उनकी पहचान कर सके, उस रजनीकांत की पहचान जो उनके बीच उनकी तरह का है। शूटिंग पर समय के पाबंद, साथी कलाकारों से अच्छा व्यवहार, प्रशंसकों का हाथ जोड़ कर अभिवादन करना उनकी पहचान है।

यह जीवित किंवदंती बन चुके रजनीकांत का अपने प्रशंसकों के साथ बंधे अटूट रिश्ते का ही असर है कि उनकी फिल्मों की रिलीज-डेट पर कई बड़ी कंपनियां 'छुट्टी' की घोषणा कर देती हैं क्योंकि उन्हें इस बात की आशंका ही नहीं, बल्कि पूरा ज्ञान है कि अगर छुट्टी नहीं भी की गयी तो तमाम कर्मचारी 'बीमारी' या कोई और 'बहाना' करके छुट्टी ले ही लेंगे। उनके लिए रजनीकांत की फ़िल्म देखने के कोई जरूरी शर्त नहीं होती है क्योंकि भगवान के दर्शन ही 'भक्त' के लिए पर्याप्त होते हैं। रजनीकांत की उपस्थिति मात्र दर्शकों को यह विश्वास दिलाने में सक्षम होती है कि फ़िल्म में जो कुछ भी होगा...सर्वोत्तम होगा। साथ ही,उनके चलने की खास शैली और संवाद अदायगी का अनोखे अंदाज को निहारना दर्शकों के लिए सोने पे सुहागा जैसा होता है। रोचक तथ्य हऐ कि बालों को हाथ से झटकना, हाथों-उंगलियों को संगीत की टेक पर आगे लाकर घुमाना, कोट-पेंट में हाथ लटकाना और लहराती चाल में चलना जैसी अस्सी के दशक वाली सिनेमाई हरकतें आज भी रजनीकांत की स्टाइल बनी हुई है। 'किंग ऑफ स्टाइल' के रूप में अपने प्रशंसकों के बीच पहचान बना चुके रजनीकांत रूपहले परदे पर जितने भी स्टाइलिश लगें, लेकिन निजी जीवन में उनके जैसी साधारण वेश-भूषा वाला सितारा शायद ही सिने जगत में मिले। स्क्रीन पर हमेशा जवान नजर आनेवाले रजनीकांत निजी जीवन में कभी जवान दिखने की कोशिश भी नहीं करते हैं।

सच कहें तो रजनीकांत अपने चिरपरिचित अंदाज में वर्षों से दक्षिण भारतीय फ़िल्म उद्योग की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं। पिछले दिनों प्रदर्शित हुई 'कबाली' की बेपनाह सफलता ने एक बार फिर रजनीकांत को सिर्फ दक्षिण भारत का ही नहीं,बल्कि भारतीय फ़िल्म उद्योग के 'थलाइवा (सेनापति)' के रूप में स्थापित कर दिया है। 'कबाली' के क्रेज ने यह सिद्ध कर दिया है कि पैंसठ वर्षीय बेहद साधारण व्यक्तित्व वाले इस मितभाषी और विनम्र अभिनेता ने लोकप्रियता और सफलता का वह शिखर छू लिया है जो अकल्पनीय,अतुलनीय और अद्भुत है।

क्रेज कबाली का:

*'कबाली' भारत की ऑल टाइम बिगेस्‍ट ओपनर फि‍ल्‍म बन गई है। यह रजनीकांत के करियर की 159वीं फि‍ल्‍म है, जो एक गैंगस्‍टर के जीवन पर आधारित है। इसमें राधिका आप्‍टे, धनशिखा और कलाईरासन प्रमुख भूमिका में हैं।

*22 जुलाई को रिलीज हुई फिल्म 'कबाली' ने दुनिया भर में अभी तक 600 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय किया है। आंकड़ों के मुताबिक 'कबाली' ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर अबतक 211 करोड़ का व्यवसाय किया है जिसमें 40 करोड़ रुपए उत्तर भारत से हैं।

* 'कबाली' पूरी दुनिया में लगभग 8000-10,000 स्‍क्रीन पर रिलीज की गई है। अमेरिका में 480 स्‍क्रीन, मलेशिया में 490 और गल्‍फ देशों में 500 से ज्‍यादा स्‍क्रीन पर यह फि‍ल्‍म दिखाई जा रही है। चीन में यह 4500 स्क्रीन पर रिलीज की गयी है। संभवत: ‘कबाली’ एकमात्र भारतीय फिल्म है, जो एशिया के सभी देशों में एक साथ रिलीज हो रही है। 

रजनीकांत:सिफर से शिखर तक
रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर, 1950 को बेंगलुरू में हुआ। उनके बचपन का नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनके पिता रामोजी राव गायकवाड़ एक हवलदार थे। मां जीजाबाई की मौत के बाद चार भाई-बहनों में सबसे छोटे रजनीकांत को अहसास हुआ कि घर की माली हालत ठीक नहीं है। बाद में उन्होंने परिवार को सहारा देने के लिए कुली और बस कंडक्टर का भी काम किया।अभिनय में दिलचस्पी के चलते उन्होंने 1973 में मद्रास फिल्म संस्थान में दाखिला लिया और अभिनय में डिप्लोमा लिया।
रजनीकांत की मुलाकात एक नाटक के मंचन के दौरान फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर से हुई थी, जिन्होंने उनके समक्ष उनकी तमिल फिल्म में अभिनय करने का प्रस्ताव रखा। इस तरह उनके करियर की शुरुआत बालाचंदर निर्देशित तमिल फिल्म 'अपूर्वा रागंगाल' (1975) से हुई, जिसमें वह खलनायक बने। यह भूमिका यूं तो छोटी थी, लेकिन इसने उन्हें आगे और भूमिकाएं दिलाने में मदद की। इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। करियर की शुरुआत में तमिल फिल्मों में खलनायक की भूमिकाएं निभाने के बाद वह धीरे-धीरे एक स्थापित अभिनेता की तरह उभरे। तेलुगू फिल्म 'छिलाकाम्मा चेप्पिनडी' (1975) में उन्हें मुख्य अभिनेता की भूमिका मिली। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ सालों में ही रजनीकांत तमिल सिनेमा के महान सितारे बन गए और तब से सिनेमा जगत में एक प्रतिमान बने हुए हैं।

रजनीकांत:रोचक तथ्य
* रजनीकांत एक वक्त बस कंडक्टर का भी काम करते थे और यात्री सड़क पर उनकी बस का इंतजार करते थे। लोग उनके टिकट देने तथा खुले पैसे लौटाने के अंदाज से प्रभावित रहते थे। वह अपने अंदाज में मुसाफिरों को टिकट देते थे और खुले पैसे देते थे। उनके मशहूर अंदाज के चलते ही लोग उनकी बस का इंतजार करते थे और सामने से अनेक बसें खाली जाने देते थे। 

* संघर्ष के दिनों में रजनीकांत ने बेंगलुरू में मैसूर मशीनरी में भी कुछ दिन काम किया और चावल के बोरे ट्रकों में लादने का भी काम किया जिसके लिए उन्हें 10 पैसे प्रति बोरा मिलता था। 

*जब भी रजनीकांत की कोई फिल्म रिलीज़ होती है उनके फैंस एसोसिएशन से जुड़े लोग रजनीकांत के पोस्टर को दूध से नहलाते हैं।

*रजनीकांत को समर्पित 1,50,000 से अधिक फैन क्लब हैं जो दुनिया भर में फैले हुये है।

* वे देश के एकमात्र ऐसे फिल्म अभिनेता है जो कि सीबीएसई की 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किए हैं। बस कंडक्टर से सुपरस्टार तक उनकी जीवन यात्रा का पाठ छात्रों को पढ़ाया जाता है।

* रजनीकांत अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। निजी जीवन में आम आदमी की तरह रहते हैं। रोचक घटना है कि एक बार एक औरत ने सुपरस्टार रजनीकांत को भिखारी समझकर 10 रूपए का नोट थमा दिया था।दरअसल,रजनीकांत अपने सादे पहनावे में एक मंदिर गए थे जहां दर्शन के बाद वे मंदिर के किनारे थोड़ी देर के लिए बैठ गए। तभी वहां से एक महिला गुजरी और उसने रजनीकांत को भिखारी समझते हुए 10 रूपए का नोट भीख में दिया।

लोकप्रिय और सफल फ़िल्में -
*कबाली
*रोबोट
*शिवाजी
*लिंगा
*कोच्चदियां
*बाशहा
*थालापट्ठी
*चंद्रमुखी
*मुत्तु
*राणा

प्रमुख हिंदी फ़िल्में:
*हम
*अंधा कानून
*जॉन जॉनी जनार्दन
*चालबाज़
*फूल बने अंगारे
*असली नकली

अमिताभ बच्चन:
इतना लंबा वक्त बीत गया है रजनी को स्टार बने, लेकिन आज भी वो पहले जैसे ही नर्म, सरल, ईमानदार और जमीन से जुड़े हुए हैं। मैं रजनीकांत के गुणों से सदा प्रभावित रहा हूं। रजनीकांत सही मायनों में धरतीपुत्र हैं।

सचिन तेंदुलकर: रजनीकांत का उत्साह अद्भुत है, जो आस-पास के अन्य लोगों के अन्दर भी उत्साह जगा देता है।

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