Monday, April 20, 2009

अनुभव मिला-जुला रहा-राज सिंह चौधरी




-सौम्या अपराजिता
गुलाल के प्रदर्शन के साथ ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक नए चेहरे राज सिंह चौधरी ने दस्तक दी। गुलाल में दिलीप सिंह की भूमिका निभाने वाले राज का सफर अब रफ्तार पकड़ चुका है। जल्द ही उनकी दो और फिल्में मेरेडियन लाइन्स और मेहमानजी प्रदर्शित होंगी। पिछले दिनों हुई मुलाकात में इस उभरते हुए अभिनेता-लेखक ने फिल्मी दुनिया में प्रवेश के प्रारंभिक लम्हों और भावी योजनाओं के विषय में विस्तृत जानकारी दी ........
किस्मत लाई इंडस्ट्री में
अभिनेता बनने की तमन्ना नहीं थी। किस्मत ने मुझे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बनाया है। दार्जिलिंग के बोर्डिग स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं बेंगलुरु आया। वहां मैंने साफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उसके बाद दोस्तों के साथ एक सॉफ्टवेयर फर्म खोला। कुछ दिनों बाद ही फर्म बंद हो गया। इस बीच टाइम-पास के लिए मैं मॉडलिंग भी करता रहा। इसी दौरान बेंगलुरु में मेरी मुलाकात एक निर्देशक से हुई। उन्होंने मुझे एक्टिंग का वर्कशॉप ज्वॉइन करने के लिए कहा। मैंने उनकी बात मान ली। हालांकि उनकी फिल्म नहीं बन पाई, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने की शुरुआत वहीं से हो गई।
अनुराग का सान्निध्य
पहली बार ब्लैक फ्राइडे में अनुराग कश्यप के साथ सहायक-निर्देशक के रूप में काम किया। साथ ही फिल्म में मुस्ताख तरानी का रोल भी किया। अनुराग के सान्निध्य ने अभिनय में मेरी रुचि जगाई और अभिनय के प्रति मैं गंभीर हुआ। इसी बीच गुलाल की योजना बनी। इसकी कहानी मैंने कॉलेज के दिनों के अपने अनुभव से लिखी थी। अनुराग को मैंने कहानी सुनाई और बताया कि यह मैंने खुद के लिए लिखी है। अनुराग ने कहा, इस कहानी को फिल्म में ढाला जा सकता है। अनुराग ने गुलाल की कहानी को पटकथा का रूप दिया। इसके नायक दिलीप सिंह की भूमिका निभाने का प्रस्ताव अनुराग ने मुझे दिया।
गुलाल का अनुभव
फिल्म की शूटिंग के दौरान मैं ज्यादातर कॉलेज के दिनों के अपने अनुभवों को जी रहा था। हालांकि लेखन के पहले मैंने कॉलेज में होने वाली रैगिंग की घटनाओं पर रिसर्च भी किया था और उसे भी इसमें पिरोने की कोशिश की। इस तरह अपने अनुभव और दूसरे परिचितों के अनुभव को मैंने गुलाल की शूटिंग के दौरान अभिनीत करने का प्रयास किया, जो मेरे लिए चुनौती थी।
अपने दम पर हूं
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश का मेरा अनुभव काफी मिला-जुला रहा। एक साल कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला। फिर गुलाल की मेकिंग के बाद सब कुछ सहज हो गया। धीरे-धीरे काम मिलना शुरू हुआ और काफी काम मिला है। गुलाल को समीक्षकों ने सराहा। यह दर्शकों को भी पसंद आई। अच्छा लग रहा है कि गुलाल के लिए की गई हमारी मेहनत रंग लाई। सबसे अधिक खुशी है कि आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने दम पर ही हूं।
आने वाली फिल्में
मेरी दो फिल्में मेहमानजी और मेरेडियन लाइन्स आएंगी। मेहमानजी बिहार की पृष्ठभूमि पर है। बिहार के सुदूर गांव में लड़कों को किडनैप कर उनकी जबरन शादी कराने की परंपरा प्रचलित है। इसी के इर्दगिर्द है मेहमानजी की कहानी। इसका निर्देशन सुशील राजपाल ने किया है। मेरेडियन लाइन्स में सोहा अली खान के साथ मैं केंद्रीय भूमिका में हूं।

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है...