Friday, October 11, 2013

अमिताभ बच्चन और मैं...

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर विशेष-
('जागरण डॉट कॉम' पर प्रकाशित हो चुका अमिताभ बच्चन से जुड़ा मेरा संस्मरण...आप भी पढ़ें...--------)

घर आते ही स्कूल बॉक्स रखकर मा से पूछा, पापा कब तक आएंगे?' मा ने कहा, आते ही होंगे।' उस दिन मैं बेहद बेचैन थी। दरअसल, चौथी कक्षा में पहली बार मुझे होमवर्क के लिए पापा की सहायता लेने की जरूरत महसूस हुई थी। पापा के घर में प्रवेश करते ही मैंने उन्हें बताया, पापा.आज मुझे मेरे प्रिय अभिनेता' विषय पर निबंध लिखने को कहा गया है। मैं क्या लिखूं?' मुझे नहीं पता था कि अभिनेता कैसे होते हैं? जानती भी कैसे..हम लालटेन युग में जो जी रहे थें..रात में घर को कभी बल्ब की रोशनी से रोशन होते नहीं देखा था..टीवी के बारे में इतना ही पता था कि वह ड्राइंग रूम में रखने वाली अच्छी चीज होती है। ऐसे में, उस रंगीन दुनिया से मैं अनभिज्ञ थी, जिसके करीब होने का अवसर मुझे पिछले कुछ वर्षों में मिला है। पापा ने कहा, मेरे प्रिय अभिनेता' निबंध में अमिताभ बच्चन के बारे में लिखो।' मैंने उनसे तपाक से पूछा, वह कौन हैं?' पहली बार इस नाम से मेरा परिचय हो रहा था। पापा ने बताया, अमिताभ बच्चन कवि हरिवंश राय बच्चन के पुत्र हैं। उनके बारे में तो तुम्हें पता है ना..उनकी लिखी किताब मधुशाला' का नाम तुमने याद किया था।' मैंने जवाब में सिर हिला दिया। फिर पापा ने आगे बताया, शुरुआती असफलता के बाद अमिताभ बच्चन ने अपनी मेहनत, समर्पण और प्रतिभा के बल पर सफलता पाई। उनकी फिल्में सभी पसंद करते हैं।' पापा ने जंजीर का विशेष जिक्र किया। उन्होंने बताया कि अमिताभ बच्चन छह फीट लंबे आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी हैं। मैंने पापा की बातें सुनकर मेरे प्रिय अभिनेता' विषय पर अमिताभ बच्चन का जिक्र करते हुए 10-15 वाक्यों का निबंध तो लिख दिया, पर मैं उनकी छवि से अनजान थी। उनकी कोई तस्वीर मैंने नहीं देखी थी। अमिताभ बच्चन को देखने और जानने की मेरी जिज्ञासा बरकरार थी।
फिर वह वक्त भी आया जब पापा के दूसरे शहर में तबादले के बाद मुझे पहली बार अमिताभ बच्चन को टेलीविजन पर निहारने का मौका मिला। उस दिन मंगलवार था। दूरदर्शन पर मुकद्दर का सिकंदर दिखाई जा रही थी। मा ने मुझे अमिताभ बच्चन के चलते-फिरते रूप से पहली बार परिचय कराया। मैं बेहद खुश हुई। मैंने निबंध वाले अपने प्रिय अभिनेता को जो देख लिया था। हालाकि, अमिताभ बच्चन मुझे उस समय अच्छे लगने लगे, पर इतने भी नहीं कि उन्हें मैं अपना प्रिय अभिनेता कहूं। किशोरावस्था की दहलीज थी। मन चंचल था। दूरदर्शन पर दिखाई जाने वाली लगभग हर फिल्म में अमिताभ बच्चन को देखकर मुझे बोरियत होने लगी। मैंने मा से पूछा, मा दूरदर्शन पर सिर्फ अमिताभ बच्चन की ही फिल्में क्यों दिखाते हैं?' मा ने जवाब दिया क्योंकि सबको उनकी फिल्में पसंद आती हैं।' मा और पापा की बातों से ऐसा लगता था कि अमिताभ बच्चन उनके प्रिय अभिनेता हैं। इतना ही नहीं, दादाजी भी अमिताभ बच्चन को बेहद पसंद करते थे।..लेकिन मैं अपने प्रिय अभिनेता को लेकर कशमकश में थी। जब तक किसी को अच्छी तरह जाच-परख नहीं लूं, तब तक मैं उसे अपना प्रिय नहीं बनाती हूं..और यहा बात तो मेरे प्रिय अभिनेता की थी।
पढ़ाई के बढ़ते बोझ के साथ टीवी देखने पर पाबंदी लग गई। कुछ वषरें बाद एक ऐसा कार्यक्रम आया, जिसे नियमित रूप से देखने के लिए टीवी देखने की इजाजत मिल गई। वह कार्यक्रम था कौन बनेगा करोड़पति'। उसमें एक नए अंदाज में मैं निबंध वाले अपने प्रिय अभिनेता से परिचित हो रही थी। अमिताभ बच्चन के इस नए रूप ने मुझे आकर्षित किया। उनके व्यक्तित्व के नए पहलू के बारे में मुझे पता चला। मैंने महसूस किया कि संभवत अभिनय प्रतिभा के साथ-साथ अमिताभ बच्चन के पास ज्ञान शक्ति भी है। हालाकि, अभी-भी यथार्थ के धरातल पर पूरी संतुष्टि नहीं हुई थी।
कई शहरों से गुजरता हुआ जिंदगी का कारवा मुंबई पहुंचा। सौभाग्यवश व्यावसायिक जीवन का ताना बाना फिल्मी दुनिया से जुड़ गया और फिर वह वक्त भी आया जब फिल्मी दुनिया की रंगीन गलियों से गुजरते हुए एक दिन खुद को अमिताभ बच्चन के सामने पाया। उनसे मिलकर, बातें करकर, उनके विचारों को जानकर अनुभव हुआ कि अमिताभ बच्चन अमिताभ बच्चन' क्यों हैं? वे क्यों अतुल्य और विशिष्ट हैं? लोकप्रियता और सफलता की पराकाष्ठा पर भी उनकी आत्मीयता और स्नेहशीलता अद्भुत है। वक्त के थपेड़ों ने उनके जोश, उत्साह और जुनून को कम नहीं किया है। सबसे विशेष बात है कि दूसरे तथाकथित व्यावसायिक अभिनेताओं की तरह अमिताभ बच्चन सिर्फ फिल्मों की चमकीली दुनिया के बाशिदे नहीं हैं। वे सक्रिय और जागरूक भारतीय नागरिक भी हैं। जीवन, समाज, विज्ञान, खेल और देश से जुड़े हर मुद्दे पर वे अपनी स्पष्ट और संयमित राय रखते हैं। पापा ने सच ही कहा था..मेरे प्रिय अभिनेता सिर्फ अमिताभ बच्चन ही हो सकते हैं। आज मैं गर्व के साथ कह सकती हूं कि मैं भी उन करोड़ों भारतीयों में शुमार हूं, जिसके दिल के फिल्मी कोने में सबसे स्पष्ट अक्षरों में एक नाम लिखा है अमिताभ बच्चन'।
-सौम्या अपराजिता

1 comment:

  1. amitabh bachchan ke baare me jis sahajataa aur saralataa se jikra kiya bahut achchha lagaa. man me ek gudgudi hui us pal ko ek baar aur jia jo kabhi mere man ko gudgudaaya thaa.

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