Friday, December 6, 2013

रैंप से रुपहले पर्दे तक...

मॉडलिंग की दुनिया हिंदी फिल्मों का प्रवेश द्वार बन गयी है। मौजूदा दौर में हर दूसरे-तीसरे अभिनेता या अभिनेत्री के तार मॉडलिंग की दुनिया से जुड़े हैं। ऐसा लगता है जैसे रैंप और टीवी कमर्शियल कोई 'रियलिटी शो' हो जिसमें कुछ चेहरों के आकर्षण और प्रतिभा को परख कर उन्हें फिल्मों का नायक या नायिका बनाने का सिलसिला चल पड़ा हो। मॉडलिंग जगत के चेहरों की हिंदी फिल्मों में बढती पैंठ की पड़ताल...


अभिनेत्रियां अधिक सफल
हिंदी फिल्मों के आकाश में चमकने वाले कई सितारों का मॉडलिंग की दुनिया से वास्ता रहा है। हालांकि,सफल अभिनेता के रूप में बेहद कम पुरुष मॉडल अपनी पहचान बनाने में सफल हुए हैं। वर्तमान में मॉडलिंग से हिंदी फिल्मों में प्रवेश करने वाले सफल अभिनेताओं में जॉन अब्राहम और अर्जुन रामपाल उल्लेखनीय हैं। अभिनेताओं के मुकाबले मॉडलिंग की पृष्ठभूमि की अभिनेत्रियों की सफलता का औसत बेहतरीन रहा है। शीर्ष की पांच अभिनेत्रियों में चार अभिनेत्रियां फिल्मों में प्रवेश के पूर्व रैम्प पर अपनी थिरकन का जादू चला चुकी हैं। यहां बात हो रही है  कट्रीना कैफ ,प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण और अनुष्का शर्मा की। मौजूदा दौर की इन शीर्ष चार अभिनेत्रियों ने मॉडलिंग की दुनिया से होते हुए फिल्मों का सफ़र तय किया है। कट्रीना कैफ 'बूम' की रिलीज़ से पूर्व देश-विदेश के कई फैशन शो में रैंप पर कैटवाक कर चुकी हैं। टीवी कमार्शियलों में दीपिका पादुकोण के बोलते चेहरे और भारतीय व्यक्तित्व से प्रभावित होकर  फराह खान ने उन्हें 'ओम शांति ओम' में शांतिप्रिया की भूमिका सौंपी। 'रब ने बना दी जोड़ी' में तानी की भूमिका के लिए आदित्य चोपड़ा की तलाश बंगलुरू की मॉडल अनुष्का शर्मा पर जाकर ख़त्म हुई।  'मिस वर्ल्ड' की उपाधि को अपने सर पर सजाए प्रियंका चोपड़ा के रैंप पर थिरकने वाले कदम जब फ़िल्मी दुनिया की तरफ मुड़े,तो ऐसा लगा मानो जैसे हिंदी फिल्मों को ऐश्वर्या राय बच्चन जैसी एक और स्टार मिस वर्ल्ड अभिनेत्री मिल गयी हो।

आकर्षक प्रस्तुति में माहिर
मॉडलिंग जगत की पृष्ठभूमि से आने वाली अभिनेत्रियां और अभिनेता अपने बाहरी व्यक्तित्व पर विशेष ध्यान देते हैं। उन्हें अपेक्षाकृत फैशन और स्टाइल की अच्छी समझ होती है। विशेषकर अभिनेत्रियाँ अपने रंग-रूप को लेकर अधिक सजग होती हैं इसलिए निर्माता-निर्देशक का ध्यान अपनी हीरोइनों की साज-सज्जा से अधिक उनके कैरेक्टर पर रहता है। वे निश्चिंत होकर अपनी फिल्म के दूसरे पक्ष पर नजर रख सकते हैं। गौर करें तो इन दिनों दीपिका पादुकोण की सफलता में हर फिल्म में भूमिका के अनुसार उनके बदलते लुक और प्रस्तुति का भी महत्वपूर्ण योगदान है। एक सफल मॉडल होने के कारण दीपिका जानती हैं कि किस भूमिका के लिए उन्हें किस तरह के लुक को अपनाने की जरुरत है। फिल्म विशेषज्ञ मयंक शेखर कहते हैं,'दीपिका स्क्रीन पर  शानदार नजर आती हैं।वे अपने रंग-रूप को लेकर बेहद जागरूक लगती हैं।'

अनुशासन और व्यावसायिक समझ
मॉडलिंग जगत से हिन्दी फिल्मों में प्रवेश करने वाले चेहरे अपने साथ खूबसूरती और ग्लैमर के साथ ही अनुशासन भी लेकर आते हैं। रैंप पर कैटवाक के दौरान एक निश्चित अवधि में कई पोशाक बदलने पड़ते हैं,दूसरे सहयोगी मॉडल के साथ कदम-ताल करना पड़ता है। ऐसा वे अपने अनुशासित व्यवहार से कर पाते हैं। जब इस अनुशासित अनुभव के बाद मॉडल फिल्मों में प्रवेश करते हैं..तो अपने साथ अनुशासित कार्य प्रणाली भी लाते हैं। साथ ही,उनकी कार्य शैली में व्यावसायिकता का पुट दूसरी पृष्ठभूमि के अभिनेता-अभिनेत्रियों के मुकाबले अधिक होता है। वे ज्यादा प्रोफेशनल होते हैं। उनके निर्णय में निजी लाभ से अधिक प्रोफेशनल लाभ का संकेत अधिक होता है। अभिनेता-अभिनेत्रियों के इस प्रोफेशनल रवैये से फिल्म मेकर भी सकरात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। अपनी फिल्म के नायक-नायिका के प्रोफेशनल व्यवहार के कारण फिल्म निर्माण की गतिविधि तेजी से आगे बढती है।

पोशाक से जुड़े खुले विचार..
अंग प्रदर्शन को लेकर मॉडलिंग पृष्ठभूमि की अभिनेत्रियों का नजरिया साफ होता है।मॉडलिंग इंडस्ट्री से जुड़े होने के कारण वे दर्शकों के समूह के बीच हर तरह के पोशाक पहनने की आदी होती हैं। इसलिए वे पोशाक के मामले में खुले विचारों वाली होती हैं। जिस कारण फिल्म निर्माता पोशाक को लेकर अभिनेत्रियों की आनाकानी से बच जाते हैं। वे बेफिक्र होकर इन अभिनेत्रियों को अपनी फिल्म के आकर्षण के रूप में पेश कर सकते हैं। सुपर मॉडल रह चुकी कट्रीना कैफ कहती हैं,'अगर फिल्मों की बात है,तो मैं किसी भी तरह के लुक में ढलने के लिए तैयार रहती हूं। फिल्मों में  अपने लुक को लेकर मैं ओपन रहती हूं।' गौर करें तो मॉडलिंग पृष्ठभूमि की अभिनेत्रियों के प्रवेश के बाद से ही हिंदी फिल्मों की नायिकाओं के पोशाक पहनने का अंदाज बदला। वे तथाकथित आधुनिक और विविध अंदाज के पोशाक पहनने लगीं। मॉडलिंग से फिल्मों का रुख करने वाली अभिनेत्रियों  का ही असर है कि अब दर्शक भी फिल्मों की नायिकाओं के छोटे-छोटे पोशाक को लेकर काना फूसी नहीं करते हैं।

होती है आलोचना
ऐसा नहीं है कि मॉडलिंग से हिंदी फिल्मों की राह आसान है। शुरूआती संघर्ष और आलोचना से दो-चार होना पड़ता है। बिपाशा बसु ने जब मॉडलिंग से हिंदी फिल्मों का रुख किया,तो उनके अभिनय की जमकर आलोचना हुई। बिपाशा बताती हैं,' मैं 18 साल की थी जब मैंने अपना करिअर शुरू किया और मैं मॉडलिंग से बोर हो चुकी थी । बोरियत की वजह से ही मैंने पहली फिल्म की थी, जिसको लेकर मेरी बहुत आलोचना हुई।' ' आयशा' और 'रास्कल्स' जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी लिजा हैडेन कहती हैं,'मुझे लगता है कि एक मॉडल होने के कारण खुद को एक एक्टर के तौर पर स्थापित करना बेहद मुश्किल है। लोगों के मन में पहले से धारणा बन चुकी होती है कि मॉडल एक्टिंग नहीं कर सकते हैं।'

 संघर्ष भी..
दरअसल,मॉडलिंग इंडस्ट्री से आयी लडकियां कैमरे की भाषा समझती हैं। वे फिल्मी दुनिया की चकाचौंध में खुद को ढाल भी लेती हैं,पर हिंदी फिल्मों के  लटके-झटके वे जल्दी पचा नहीं पाती हैं। अनुभव के अभाव में उन्हें अभिनय में पारंगत होने में वक़्त भी लगता है। कट्रीना कैफ को भी वक़्त लगा। वे बताती हैं,' फ़िल्में मेरे लिए माउंट एवरेस्ट की तरह थीं,जहाँ तक पहुंचना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी। धीरे-धीरे बात बनी। सेट पर कम्फर्ट के साथ रहने में वक़्त लगा। बोलने के लहजे,डांस और एक्टिंग स्किल पर ध्यान देना पड़ा। यह एक सफ़र था जिसे डेस्टिनी ने मेरे लिए प्लान किया था।' कॉकटेल' से हिंदी फिल्मों में पदार्पण करने वाली डियाना पेंटी कहती हैं,'मॉडलिंग और फ़िल्में  एक-दूसरे से बहुत अलग हैं, वे पूरी तरह से अलग हैं। काम की प्रकृति के लिहाज से दोनों पूरी तरह से अलग हैं। अभिनय बहुत कुछ चाहता है।इसमें आपको शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक रूप से डूबना पड़ता है। खुद से संघर्ष करना पड़ता है।'

आलोचना और संघर्ष से दो-चार होने के बाद भी मॉडलिंग की पृष्ठभूमि के चेहरों का फिल्मों में आगमन का सिलसिला जारी है। प्रतिवर्ष लगभग एक दर्जन नए चेहरे मॉडलिंग की दुनिया से होते हुए हिंदी फिल्मों में प्रवेश करते हैं। हालांकि, प्रशिक्षण और अनुभव के अभाव में उनके लिए फिल्मों में प्रारम्भिक दिन कठिन होते हैं। कुछ इन कठिनाइयों के आगे घुटने टेक देते हैं,तो कुछ अनुशासन,धैर्य और व्यावसायिक समझ के कारण धीरे-धीरे खुद को फ़िल्मों में स्थापित करने में सफल रहते हैं और दीपिका पादुकोण और कट्रीना कैफ की तरह सफलता का नया सोपान छूते हैं।

इस वर्ष मॉडलिंग से फिल्मों में प्रवेश करने वाले चेहरे-
वाणी कपूर
पूजा चोपड़ा
क्रिष्टिना अखीवा
कायनात अरोड़ा
पूजा साल्वी
पूनम पांडे
सारा लेओन
राशि खन्ना
अमायरा दस्तूर

-सौम्या अपराजिता

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