Friday, October 25, 2013

तोड़ चुका हूं भाषा की दीवार


मिलिंद गुणाजी समय-समय पर छोटे और बड़े पर्दे पर अपनी प्रभावी उपस्थिति से दर्शकों का मन मोहते रहे हैं। अंग्रेजी,हिंदी,मराठी,तमिल,तेलुगु और मलयालम फिल्मों में अभिनय की बानगी पेश कर चुके मिलिंद फोटोग्राफी और लेखन कला में भी दखल रखते हैं।
अभिनय की दुनिया में पिछले पच्चीस वर्षों से सक्रिय मिलिंद  इन दिनों एक तरफ तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बन रही 'कामसूत्र-3 डी ' और दूसरी तरफ 'शिर्डी के साईं बाबा' फिल्म में अभिनय कर रहे हैं। मिलिंद बताते हैं,'मेरी आने वाली दोनों फिल्मों का विषय विपरीत है। एक में मैं जहाँ संसारिकता से दूर जन कल्याण करने वाले संत की भूमिका में हूं, तो दूसरी तरफ ऐसे क्रूर राजा की भूमिका में हूं जो संसारिकता में आसक्त है। दोनों ही भूमिकाओं को निभाना मेरे लिए चुनौती है। मेरी एक और फिल्म 'भाई का माल है'में मैं हास्यास्पद खलनायक की भूमिका में हूं।' अपनी आने वाली दूसरी फिल्मों के बारे में मिलिंद बताते हैं,'हिंदी में डीओ और फिल्में 'बाबूजी एक टिकट बम्बई' और 'सलाम साहब' कर रहा हूं। मराठी में 'चिंतामणि',पंजाबी में 'इश्क दा सोना रंग' और बंगाली में 'प्रमोशन' कर रहा हूं।हॉलीवुड की फिल्म 'सिंगुलारिटी' में भी हूं।'
विभिन्न भाषाओँ में फिल्में करना बड़ी चुनौती होती है। मिलिंद बताते हैं,'किसी भी भाषा में फिल्म करने का मेरा अंदाज एक सच्चे कलाकार की तरह होता है। एक बार जब फिल्म की कहानी और अपनी भूमिका समझ में आ जाती है तो उसके बाद भाषा की दीवार मेरे लिए मायने नहीं रखती है। एक सच्चे अभिनेता के लिए भाषा रुकावट नहीं बन सकती। यह सच है कि जब आप किसी भाषा को समझ लेते हैं और उसमें बोल सकते हैं,तो काम करना सरल हो जाता है। अलग-अलग भाषाओँ की फिल्मों में काम करने की चुनौती तो होती है,पर यह इतना मुश्किल भी नहीं है।'
अभिनय की दुनिया में अब तक के अपने सफ़र को मिलिंद खुशगवार मानते हैं। वह कहते हैं,'मैंने अब तक अलग-अलग भाषाओँ में 150 फिल्में की हैं। अधिकतर फिल्में और सीरियल हिंदी में किया है।कलाकार के रूप में मुझे तारीफ़ और दर्शकों का स्नेह मिलता रहा है। अभी मुझे बहुत कुछ करना है। कलाकार के रूप में बहुत कुछ पाना बाकी है।'
अभिनेता के साथ-साथ मिलिंद लेखक और फोटोग्राफर भी हैं। मिलिंद कहते हैं,'मेरे ख्याल से मेरे सन्दर्भ में अभिनय,लेखन और फोटोग्राफी तीनों कलाएं एक-दूसरे की पूरक हैं। जब मैं देश-विदेश में शूटिंग के लिए जाता हूं ,तो वहां की खूबसूरत लोकेशन को कैमरे में कैद कर लेता हूं और फिर उस लोकेशन और वहां की संस्कृति से जुड़े अनुभवों को लिख लेता हूं। इस तरह अभिनय के साथ-साथ फोटोग्राफी और लेखन का अवसर भी मिल जाता है। फोटोग्राफी और लेखन से मुझे सुकून और शांति मिलती है।मैं आजकल अध्यात्म पर एक किताब लिखने की योजना बना रहा हूं।'
-सौम्या अपराजिता

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