संगीता घोष की छोटे पर्दे पर वापसी को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। सोनी टीवी के नए धारावाहिक 'कहता है दिल,जी ले ज़रा' में गंभीर और परिपक्व सांची की भूमिका में दर्शकों ने संगीता को स्वीकार कर लिया है। प्रशंसकों और शुभचिंतकों की इस स्वीकार्यता से संगीता इन दिनों बेहद उत्साहित और प्रसन्न हैं। संगीता कहती हैं,' सभी सांची के रूप में मुझे पसंद कर रहे हैं। खुश और उत्साहित हूं। सबसे अधिक अच्छा मुझे तब लगा जब अरुणा ईरानी ने मुझे कॉल किया और मेरी तारीफ़ की। उनकी तारीफ़ सुनकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने मुझसे कहा कि काश! तुम्हारी उम्र में जब मैं थी,तो मैं भी तुम्हारी जैसी रहती। उनकी यह तारीफ़ मेरे लिए बेहद मायने रखती है क्योकि उन्होंने मुझे खुद को प्रूव करने का बड़ा मौका दिया था। वे मेरे करियर का अहम् हिस्सा रही हैं।' गौरतलब है कि अरुणा ईरानी निर्मित 'देश में निकला होगा चांद' और 'मेहंदी तेरे नाम की' जैसे धारावाहिकों में केंद्रीय भूमिका निभाकर संगीता लोकप्रिय हुई थीं।
सात वर्ष के लम्बे अन्तराल की वजह और वापसी से पूर्व की व्यस्तता बताते हुए संगीता कहती हैं,'लगातार काम कर रही थी। शूटिंग की व्यस्तता के बीच अपनी फैमिली लाइफ मिस कर रही थी। कुछ निजी कारण भी थे। इसलिए मैंने ब्रेक लेने का फैसला किया था। इस बीच मैंने शादी की। पिछले कुछ सालों से शादीशुदा जिन्दगी जी रही थी। घर पर बैठकर मैं बोर नहीं हो रही थी,बल्कि खुशहाल फैमिली लाइफ का आनंद ले रही थी।'उल्लेखनीय है कि संगीता की शादी जयपुर निवासी पोलो प्लेयर शैलेन्द्र सिंह राठोड़ के साथ हुई है।
'कहता है,दिल जी ले ज़रा' को अपने कमबैक धारावाहिक के रूप में चुनने के निर्णय को संगीता सही मानती हैं। वे कहती हैं,' इस सीरियल ने मुझे ऐसी भूमिका निभाने का मौका दिया है जो रियल है।इसमें मुझे मेरी उम्र की भूमिका निभाने का मौका मिला है। सांची मेरे जैसी है। उसका नजरिया वैसा ही है जैसा मेरा है। साथ ही इस सीरियल की खास बात है कि लोग इससे कनेक्ट कर पा रहे हैं। तो इस तरह कई वजह थी जिसने सांची की भूमिका निभाने के लिए मुझे मजबूर किया।' सांची की भूमिका में पूरी तरह रची-बसी संगीता कहती हैं,'सांची की भूमिका निभाने के मौके ने मेरे अंदर उल्लास भर दिया है। 5-6 वर्ष बाद मुझे ऎसा महसूस हो रहा है कि मैं फिर से जी उठी हूं। एक बार फिर कैमरा का साथ अच्छा लग रहा है। एक बार फिर शूटिंग के पूरे प्रोसेस को एन्जॉय कर रही हूं।'
-सौम्या अपराजिता
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