Sunday, September 22, 2013

प्रमोशन के पहलू...

कट्रीना कैफ ने  'धूम 3' के प्रमोशन के लिए परिवार के साथ बिताए जाने वाले सुकून के एक महीने को कुर्बान करने का फैसला लिया है।कट्रीना  प्रति वर्ष क्रिसमस और नव वर्ष की छुट्टियाँ लन्दन में अपने परिवार के साथ बिताती आयी हैं,पर इस वर्ष वे ऐसा नहीं कर पाएंगी। चूंकि,क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान 'धूम 3' प्रदर्शित होगी इसलिए पूर्व योजना के अनुसार प्रमोशन की गतिविधियों के लिए कट्रीना का भारत में रहना आवश्यक है। उधर रणबीर कपूर  भी अपनी फिल्म 'बेशरम' के प्रमोशन के लिए कट्रीना कैफ से जुड़े मीडिया के सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हो गए। रणबीर ने मान लिया कि यदि 'बेशरम' को चर्चा में बनाए रखना है,तो उन्हें अखबारों और टीवी चैनलों में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी पड़ेगी।  दरअसल,'प्रमोशन' इन दिनों हिंदी फिल्मों के शब्दकोष का सबसे प्रचलित शब्द बन गया है। फिल्म के निर्माण के बाद निर्माता,निर्देशक और कलाकार अपनी सारी ऊर्जा और पूंजी फिल्म के प्रमोशन में निवेश करते हैं। कई बार तो फिल्म का प्रमोशन उसकी निर्माण प्रक्रिया के शुरू होने से पहले ही प्रारंभ हो जाता है।  यदि कहें कि मौजूदा दौर में फ़िल्मी दुनिया से जुड़े लोग फिल्म के प्रमोशन के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं ...तो गलत नहीं होगा ....।

दर्शकों का ध्यानाकर्षण
फिल्म प्रमोशन की विचारधारा के पीछे सबसे बड़ा तर्क है कि बाजारवाद के इस युग में अपनी फिल्म के लिए बाज़ार तैयार करना जरूरी है। फिल्म की जितनी अधिक चर्चा होगी,फिल्म देखने के प्रति दर्शक उतने ही उत्सुक होंगे। एक-दूसरे से फिल्म के विषय में वे चर्चा करेंगे जिससे फिल्म के प्रति लोगों की जिज्ञासा बढ़ेगी। दर्शकों की इसी जिज्ञासा और उत्सुकता को बढाने के लिए निर्माता-निर्देशक अपनी मार्केटिंग टीम के साथ मिलकर प्रमोशन की पूर्व योजना बनाते हैं। वह तय करते हैं कि कहां,कैसे और कब फिल्म प्रमोशन से सबंधित गतिविधियां प्रारंभ करनी है। इसके बाद उस अनुसार वे अपनी फिल्म के सितारों से इस सबंध में विचार-विमर्श कर उनकी तारीखें सुरक्षित कर लेते हैं ताकि प्रमोशन के दौरान सितारे उनके लिए उपलब्ध रहे। सितारे भी अपनी फिल्म के प्रमोशन अभियान को लेकर गंभीर रहते हैं। कट्रीना कैफ  का मानना है कि जब तक वे दर्शकों तक अपनी फिल्म की रिलीज के बारे में जानकारी नहीं पहुंचाएंगी,दर्शक सिनेमाघरों में बड़ी मात्रा में नहीं जाएंगे। कट्रीना कहती हैं,'फिल्म प्रमोशन बेहद जरूरी है। हालांकि,यह सही है कि किसी भी फिल्म की किस्मत ऑडिएंस तय करती है,पर जब तक ऑडिएंस तक फिल्म के रिलीज होने की जानकारी नहीं पहुंचेगी,वह थिएटर तक कैसे जाएगी? मैं हमेशा अपनी हर फिल्म के प्रमोशन इवेंट में एक्टिव रहती हूं। यह मेरी जिम्मेदारी भी है।


मुश्किल,पर जरूरी
फिल्म प्रमोशन के लिए इंटरव्यू देने से लेकर फिल्म से संबंधित चीजें दर्शकों को बांटना, सिनेमाहॉल की खिड़की पर बैठकर टिकटें बेचना, यह सब अब पुराना फलसफा रह गया है। भारी प्रतियोगिता के बीच कुछ नया कर दिखाने की चाह, सबके बीच खुद को विजेता साबित करने की होड़ ने कलाकारों को बदल कर रख दिया है। अब वे समझने लगे हैं कि यदि उन्हें जीत हासिल करनी है तो आम जनता के बीच जाना होगा।गोविंदा कहते हैं,' अब प्रचार किसी भी फिल्म का एकबहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यह एक महत्वपूर्ण तत्व है।  अब हमें प्रचार का ध्यान रखना पड़ता है। पहले यह फिल्म निर्माण का हिस्सा नहीं होता था। मैं हमेशा सोचता था कि शूटिंग पूरी होने के बाद मेरा काम खत्म हो गया लेकिन अब आपको फिल्म के लिए स्वीकृति देने से लेकर उसके पर्दे पर उतरने तक काम करना पड़ता है। यह बताना बहुत महत्वपूर्ण है कि आप क्या कर रहे हैं और दूरदराज के इलाकों में भी दर्शकों तक पहुंचना महत्वपूर्ण है। फिल्म का प्रचार एक मुश्किल काम है लेकिन यह आज की जरूरत बन गया है।'

अनूठी गतिविधियाँ
यह  ज्ञात तथ्य है कि फिल्मों का भविष्य दर्शक तय करते है न कि फिल्म प्रमोशन की गतिविधियाँ। ....पर इस बात से गुरेज नहीं किया जा सकता कि फिल्म कैसी भी हो ....अब उसका भविष्य एक हफ्ते में ही तय हो जाता है। अगले शुक्रवार कुछ नयी फिल्में आ जाती हैं और पुरानी फिल्म बदल जाती है। अर्थात यदि कहें कि फिल्म के  भविष्य का अनुमान एक सप्ताह में होने वाले व्यवसाय पर निर्भर करता है,तो गलत नहीं होगा। अतः पहले एक सप्ताह में ही अधिक-से-अधिक  दर्शक बटोरने के लिए फिल्म निर्देशक और निर्माता फिल्म प्रमोशन के अलग-अलग तरीके अपनाते हैं।हर कोई कुछ नया करना चाहता है। 'स्पेशल 26' के प्रमोशन के दौरान एक नंबर लोगों को दिया गया। कहा गया कि यदि उन्हें किसी नकली सीबीआई पर शक है तो वह इस नंबर पर फोन करें। विशाल भारद्वाज की फिल्म 'मटरू की बिजली का मनडोला' में गुलाबी भैंस के एक स्टेच्यू को रिक्‍शे में बैठाकर मुंबई की सड़कों में घुमाया गया था। 'थ्री इडियट्स', 'शूट आउट एट वडाला' और 'रागिनी एमएमएस' के प्रमोशन भी अनोखे रहे हैं। 'जोकर' फिल्म के प्रमोशन में सोनाक्षी सिन्हा एलियन के साथ डांस करती नजर आयीं। "भाग मिल्खा भाग" के प्रमोशन के लिए  सोनी टीवी के शो "इंडियन आइडल जूनियर" के सेट पर फरहान अख्तर ने प्रतिभागियों को "मिल्क ट्रीट" दी। फिल्म में अपने किरदार के अनुरूप फरहान ने बच्चों और बाकी सभी लोगों को दूध पिलाया ।दरअसल,फिल्म के विषय और मूड के अनुसार फिल्म प्रमोशन की गतिविधियाँ तय की जाती हैं। फिल्म मार्केटिंग के गुरु कहे जाने वाले आमिर खान कहते हैं,'अगर फिल्म का सब्जेक्ट यूनिवर्सल टाइप का है तो हम उसकी मार्केटिंग भी उसी तरह करते हैं। लेकिन कुछ सब्जेक्ट होते हैं,जिन्हें पढऩे के बाद आपको लगता है कि ये यूनिवर्सल नहीं है।ऐसी फिल्मों के प्रमोशन के लिए अलग तरह की स्ट्रेटेजी बनानी पड़ती है।'

धमाकेदार और धुंआधार ...
करोड़ों रुपए के निवेश से बनीं फिल्‍मों का बजट खर्च निकालने के लिए फिल्‍म निर्माता हर संभव कोशिश करते हैं । फिल्‍म रिलीज के पहले ही दिन भीड़ जुटाने के लिए फिल्‍म निर्माताओं द्वारा  फिल्‍म प्रोमो को आकर्षक  बनाने के साथ-साथ उसके रिलीज मौके को भी फिल्‍म रिलीज समारोह जैसा रोचक बनाने पर जोर दिया जा रहा है। जाहिर है जब प्रमोशन  धुंआधार होगा तो खर्चा भी बेशुमार होगा।राजकुमार हीरानी की '3 ईडियट्स' के प्रचार पर15 करोड़ रुपये की भारी-भरकम रकम खर्च की गई थी । इतने बजट में कोई मध्यम बजट की फिल्म भी बनाई जा सकती है। प्रचार का फायदा भी हुआ और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तकरीबन 300 करोड़ रुपये की कमाई की। प्रदर्शन के बाद कुछ ही दिनों में 100 करोड़ क्लब में शामिल हुई 'ये जवानी है दीवानी' और 'चेन्नई एक्सप्रेस' की सफलता का श्रेय  ट्रेड विशेषग्य  फिल्म  के देश-विदेश में किए गए धमाकेदार प्रमोशन को दे रहे हैं। ये धुआंधार प्रमोशन का ही असर है कि 'चेन्नई एक्सप्रेस' अब तक की सबसे अधिक व्यवसाय करने वाली हिंदी फिल्म बन गयी है। दिबाकर  बनर्जी कहते हैं,'आज के दौर में फिल्मों का प्रमोशन बहुत महत्वपूर्ण है। फिल्म के प्रति लोगों की जागरूकता बढाने के लिए प्रमोशन जरुरी है।'  हालांकि,गौर करें तो अभी तक ऐसा कोई मापदंड नहीं आया है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि फिल्म प्रमोशन  से कितने दर्शक बढ़े। फिर भी इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि आक्रामक प्रचार से फिल्म की जानकारी बढ़ती है। दर्शकों को इतना पता चल जाता है कि कौन सी फिल्म कब आ रही है? कौन सी फिल्म उन्हें देखनी चाहिए और कौन नहीं?

ऊर्जा,वक़्त और पूंजी की बर्बादी या ...
..फिल्म के प्रमोशन में निर्माता बड़ी पूंजी ,तो कलाकार अपनी ऊर्जा और समय निवेश कर रहे हैं  ताकि दर्शकों में दिलचस्पी जगाई जा सके और उन्हें थियेटर तक खींचा जा सके। हालांकि,कई ऐसे कलाकार हैं जो फिल्म प्रमोशन के फंडे से सहमत नहीं है। वे आए दिन फिल्म प्रमोशन के प्रचलन के विरोध में अपनी राय रखते रहते हैं। ऐसे कलाकारों में सन्नी देओल उल्लेखनीय हैं। वे  फिल्म प्रमोशन को समय और पैसे की बर्बादी मानते हैं।  सन्नी कहते हैं,'फिल्मों का प्रचार समय, पैसे और हर चीज की बर्बादी है।जितना पैसा फिल्म के प्रचार में लग जाता है, उतने में आप नई फिल्म बना सकते हैं।फिल्मों  का बड़े पैमाने पर प्रचार आजकल का फैशन है।यदि आप यह सब नहीं करते हैं, किसी को आपकी फिल्म के बारे में मालूम ही नहीं होगा।अब तो यह चलन बन गया है और हमें इसे निभाना पड़ता है।' अनिल कपूर भी सन्नी देओल के नजरिये से सहमत हैं। वह मानते हैं कि हर बार फिल्म प्रमोशन फायदेमंद नहीं होता है। अनिल कहते हैं,'इन दिनों इतने सारे फिल्म प्रमोशन हो रहे हैं कि लोग इससे उकता गए हैं। फिल्म अच्छी होनी चाहिए।कई ऐसी फिल्में हैं, जिनका प्रमोशन बड़े स्तर पर हुआ, लेकिन फिल्म ने अपेक्षित परिणाम नहीं दिया।मेरा मानना है कि अभिनय और प्रमोशन हमेशा सही दिशा में होना चाहिए।'
-सौम्या अपराजिता

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