-सौम्या अपराजिता
आमिर खान ने फिल्म प्रमोशन के नये ट्रेंड का आगाज किया। वे फिल्मों के मार्केटिंग गुरु कहे जाते हैं। ...पर आमिर खान के प्रिय भांजे इमरान खान फिल्म प्रचार के धुंआधार अभियान का हिस्सा तो बनते हैं,पर वे फिल्म प्रचार की विचारधारा का समर्थन नहीं करते हैं। 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' के विषय में बातें करते हुए इमरान ने फिल्म प्रचार अभियान से होती अपनी विरक्ति के विषय में बताया। इमरान से बातचीत।
वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा में अभिनय का प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद आपके सामने किस तरह की चुनौतियाँ थीं?
-जब आपके हाथ में इतनी तैयार और पकी हुई स्क्रिप्ट आती है तो एक्टर के रूप में आपका काम काफी कम हो जाता है। जब लेखक ने कैरेक्टर और उनके रिलेशन को इतनी अच्छी तरह डिफाइन किया हो तो मुश्किल नहीं होती। आपको उसके अंदाज,लुक और बॉडी लैंग्वेज पर काम करना होता है जो कैरेक्टर की मोटिवेशन है,जो उसकी जरूरतें है वह राइटर पन्ने पर उतार चुका होता है इसलिए आपका काम काफी कम हो जाता है।
आपको अपनी तरफ से किस तरह की तैयारियां या अभ्यास करना पड़ा?
-मुझे लगा कि जो डोंगरी(मुंबई का एक इलाका) का रहने वाला है,पैदा वहीँ हुआ है,बड़ा वहीँ हुआ है ..वह हिंदी फिल्में जरूर देखता होगा । हमारी फिल्म में एक सीन भी है । मुझे लगा कि वह हर किसी की तरह अपने हीरो को कॉपी जरूर करेगा । इसलिए मैंने जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर की बहुत फिल्में देखी। उस जमाने में जैकी श्रॉफ बहुत बड़े स्टाइल आइकॉन थे । सब उनके स्टाइल को कॉपी करते थे। तो मैंने उनसे बहुत प्रेरणा ली। फिर मैंने अनिल कपूर की फिल्म मशाल में उनके गले पर रुमाल बंधे होने के स्टाइल को यूज़ किया । अनिल उस फिल्म में एक स्पेशल टाइप के जूते पहने थे वे मैंने पहने हैं इस फिल्म में। असलम के कैरेक्टर के लिए अस्सी के दशक के हीरोज की स्टाइल हमने कॉपी करने की कोशिश की। असलम काम तो वह गैर कानूनी ही करता है। वह गैंगस्टर है , लेकिन दिल का बड़ा साफ़ है । वह बिना वजह किसी को दुःख नहीं पहुंचाएगा। अगर वह दुश्मन को दोस्त बना सकता है,तो वह बनाएगा। एक्चुअली,असलम का कैरेक्टर वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई के सुल्तान मिर्ज़ा से काफी मिलता है। सुल्तान मिर्ज़ा भी गैंगस्टर था,लेकिन दिल का अच्छा आदमी था।
वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई सफल थी। ऐसे में एक सफल फिल्म के सीक्वल का हिस्सा होने की अपनी जिम्मेदारियां होती होंगी?
-जिम्मेदारी जरूर होती है। जो पहली फिल्म के फैन थे हमें उन्हें निराश नहीं करना है। हमें उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना है। बहुत बड़ी जिम्मेदारी है हम पर। जब आप पार्ट वन बना रहे हैं,तो आपको पता नहीं है कि पार्ट वन चलेगी या नहीं ? आप दूसरा पार्ट बनायेंगे या नहीं? उस समय आप फ्री होते हैं। आप कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन जब फिल्म कामयाब हो जाती है और आप सीक्वल बनाने लगते हैं तो आप पर बड़ी जिम्मेदारी होती है।
लेकिन कलाकारो के लिए सीक्वल से जुड़ने के कुछ फायदे भी तो होते हैं!
-जी हाँ। फायदा भी होता है। यदि पहली फिल्म हिट रही है तो उसकी सीक्वल की ऑडियंस तैयार रहती है। लेकिन अगर उनको आपका काम अच्छा नहीं लगा तो वे निराश हो जायेंगे। काफी सोचकर -संभलकर पिक्चर बनानी पड़ती है कि लोग कहीं निराश न हों,नाराज़ न हों। वे खुश होंने चाहियें। उन्हें लगना चाहिए सिर्फ पैसे कमाने के लिए यह फिल्म नहीं बनायी है।
निर्देशक मिलन लुथरिया और सोनाक्षी सिन्हा का साथ कैसा रहा?
-मिलन बहुत अच्छे डायरेक्टर हैं। वे एक्टर को बहुत सपोर्ट करते हैं।एक्टर पर बहुत भरोसा करते हैं। यह पहली बार है जब मैं अक्षय और सोनाक्षी के साथ काम कर रहा हूँ तो थोडा वक़्त लगता है उनके साथ केमिस्ट्री डेवेलप करने और ट्यूनिंग करने में।मिलन इस मामले में बेहद हेल्पफुल रहे। वे समझते हैं कि एक्टर के रूप में मेरी ताकत और कमजोरियां क्या है।जो काम मैंने किया है उसमें मिलन का बहुत योगदान है। मेरे हिसाब से मैंने अच्छा काम किया है। मुझे अपनी एक्टिंग अच्छी लगी,लेकिन मैं उसका क्रेडिट मिलन सर को दूंगा। मिलन ऐसे इंसान हैं जिसे आप नापसंद कर ही नहीं सकते।
व्यक्तिगत रूप से फिल्म की सफलता के लिए प्रमोशन के फंडे को आप कितना जरूरी मानते हैं?
-मुझे नहीं लगता कि आजकल प्रमोशन इतना जरूरी है। कुछ साल पहले जरूरी था,लेकिन आजकल प्रमोशन इतना अधिक हो गया है कि ऑडियंस इसे देखकर तंग हो जाती है। लोग बोर हो जाते हैं।अगर हम बार-बार रोज किसी रियलिटी शो में नजर आयें तो लोग फिल्म देखने जायेंगे ही क्यों? उनका मन भर जाता है। गाने तो हजार बार वे सुन चुके होते हैं। हरएक शो में जाकर हम उसी गाने पर परफॉर्म करते हैं। नाचते हैं। गाते हैं। जहाँ भी देखिये आप फिल्म के लुक में नजर आते हैं,तो फिल्म की फ्रेशनेस निकल जाती है।
यदि आपकी फिल्मोग्राफी देखें तो इधर आप काफी कम फिल्में कर रहे हैं। क्या फिल्मों के चुनाव में आप सतर्क हो गए हैं
-नहीं...ऐसी बात नहीं है। मैं एक वक़्त पर एक ही काम कर पाता हूं। मल्टीटास्किंग का काम मुझसे होता नहीं है। तो मैं अगर एक फिल्म की शूटिंग कर रहा हूं, तो किसी और चीज़ के विषय में सोच भी नहीं सकता।
गोरी तेरे प्यार की शूटिंग के अतिरिक्त आपकी व्यस्तता क्या है?
-उसके अलावा मेरे पास समय है ही नहीं।या तो प्रमोशन में बिजी रहता हूं या छुट्टियों में। समय मिलता भी है तो मैं कुछ नहीं करता हूं। आराम करता हूं। घर पर बैठा रहता हूं अपनी बीवी के साथ। अपने दोस्तों को घर में बुला लेता हूं या उनके घर चला जाता हूं।
जब आप शूटिंग या प्रमोशन में व्यस्त रहते हैं,तो अपने लिए समय की कमी महसूस होती है?
-जी जरूर होती है। कभी-कभी समय की बहुत कमी महसूस होती है। लेकिन यह वक़्त है काम करने का। यही वक़्त है जब मुझे काम करना है। पैसे कमाने हैं। नाम कमाना है। आराम करने के लिए बहुत वक़्त है।
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