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Tuesday, October 29, 2013

कुछ खिले,कुछ मुरझा गए...


हर वर्ष की तरह सिल्वर स्क्रीन पर नयी प्रतिभाओं की दस्तक इस वर्ष भी हुई। नयी अभिनेत्रियां और नए अभिनेता अपने साथ नयी सोच,नयी उर्जा और नए तेवर लेकर आए। हालांकि... इन नए चेहरों में सभी का पहला प्रयास सफल नहीं रहा। कुछ ही ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने पहली ही बार अपनी प्रतिभा से ध्यानाकर्षण किया। एक नजर इस वर्ष दस्तक दे चुके नए अभिनेता और अभिनेत्रियों पर जिनमें कुछ का पहला प्रयास शानदार और यादगार बन गया,तो कुछ को सिर्फ निराशा हाथ लगी।

बनाया मुरीद
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हिंदी फिल्मों के प्रतिभाशाली अभिनेताओं की सूची में इस वर्ष दो और नए नाम जुड़ गए। ये नाम हैं-सुशांत सिंह राजपूत और धनुष। सुशांत और धनुष में एक बात सामान है कि हिंदी फिल्मों में आगमन से पूर्व से ही दोनों अभिनय में सक्रिय थे। सुशांत जहां छोटे पर्दे के लोकप्रिय अभिनेता थे,वहीं धनुष दक्षिण भारतीय फिल्मों के स्टार अभिनेता थे। इन दोनों अभिनेताओं ने पहली हिंदी फिल्म में ही दर्शकों पर अपने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी। अपनी प्रतिभा से सुशांत ने 'काई पो चे' और 'शुद्ध देसी रोमांस' में,तो धनुष ने 'रांझणा' में दर्शकों और समीक्षकों को अपना मुरीद बना लिया।
taapsee pannu

बढाई उम्मीद
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हालांकि, इस वर्ष सिल्वर स्क्रीन पर दस्तक देने वाली जिन अभिनेत्रियों से सबकी उम्मीदें बंधी थीं,उनमें से अधिकांश ने निराश किया। कुछ ही ऐसी नयी अभिनेत्रियां हैं जिनका पहला प्रयास सफल रहा। इनमें सबसे उल्लेखनीय हैं तापसी पन्नू। दक्षिण भारतीय फिल्मों की इस स्टार अभिनेत्री ने डेविड धवन निर्देशित हास्य फिल्म 'चश्मेबद्दूर' से हिंदी फिल्मों में अपनी शानदार शुरुआत की। तापसी की मासूमियत ने अपना जादू चलाया और उनमें भविष्य की स्टार अभिनेत्री की झलक देखी जाने लगी। 'मद्रास कैफ़े' में छोटी,मगर प्रभावशाली भूमिका में राशि खन्ना की मौजूदगी असरदार रही। जॉन अब्राहम के साथ संवेदनशील दृश्यों में राशि ने अपनी प्रतिभा का बेहतरीन परिचय दिया। 'शुद्द देसी रोमांस' में तारा की भूमिका में वाणी कपूर की झलक भी आकर्षक रही। हालांकि, परिणीति चोपड़ा और सुशांत सिंह राजपूत के आकर्षण के सामने वाणी थोड़ी फीकी जरूर रहीं,पर अपनी पहली ही फिल्म में वाणी ने प्रशंसकों की नयी फ़ौज खड़ी कर ली है।
Nimrat Kaur

चमका निम्रत का सितारा
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यूं तो निम्रत कौर कई लीक से हटकर फिल्मों का हिस्सा रही हैं। रंगमंच की इस सक्रिय अदाकारा से हिंदी फिल्मों के दर्शक 'लंच बॉक्स' के पहले परिचित नहीं थे। प्रशंसित और सम्मानित फिल्म 'लंच बॉक्स' से हिंदी फिल्मों को निम्रत के रूप में एक प्रतिभाशाली और आकर्षक अभिनेत्री मिल गयी है। निम्रत वर्तमान में तब्बू और विद्या बालन जैसी सक्षम अभिनेत्रियों के विकल्प के रूप में उभर रही हैं।
Ram Charan Teja

असफल रहा पहला प्रयास
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राम चरण तेजा ने 'जंजीर' की रीमेक में अमिताभ बच्चन की लोकप्रिय भूमिका से हिंदी फिल्मों में अपने सफ़र का आगाज करने का जोखिम उठाया। रइस जोखिम को उठाने का खामियाजा राम को भुगतना पड़ा और हिंदी फिल्मों में उनका पहला प्रयास असफल रहा। निर्माता कुमार तौरानी के सुपुत्र गिरीश कुमार ने सोचा था कि उनकी पहली फिल्म 'रमैया वस्तावैया' दर्शकों को पसंद आएगी और एक सफल फिल्म के साथ अभिनय के उनके सफ़र की शुरुआत होगी,पर ऐसा नहीं हो पाया। दर्शकों को लुभाने का गिरीश का पहला प्रयास विफल रहा। कुछ ऐसा ही टेनिस स्टार लीएंडर पेस और शक्ति कपूर के पुत्र सिद्धांत कपूर के साथ भी हुआ  दोनों की पहली हिंदी फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आयी।

Tamanna
निराश किया
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तमन्ना भाटिया और पल्लवी शारदा को पहली फिल्म में बड़े निर्देशक और बड़े स्टार का साथ मिला,पर उन्हें दर्शकों का प्यार नहीं मिला। तमन्ना ने अपनी पहली हिंदी फिल्म के रूप 'हिम्मतवाला' को चुना,जो बाद में उनके लिए मुश्किल का सबब बन गया। पहली ही फिल्म में दर्शकों को तमन्ना ने निराश किया। पल्लवी शारदा के लिए बड़ी उपलब्धि थी कि कई फिल्मों में छोटी भूमिकाएं निभाने के बाद उन्हें 'बेशर्म' में रणबीर कपूर की हीरोइन बनने का मौका मिला था।... पर 'बेशर्म' की असफलता के बाद पल्लवी के हाथ सिर्फ निराशा लगी। साशा आगा ने 'औरंगजेब' में अपने हिस्से की भूमिका तो बखूबी निभायी,पर उनमें दर्शकों को कुछ खास नजर नहीं आया। साशा के सामने भविष्य में खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती है।
Kainaat Arora

ग्लैमरस,पर असरदार नहीं
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इस वर्ष ग्लैमर से लबरेज कई अभिनेत्रियों ने हिंदी फिल्मों की राह पर अपने पहले कदम बढ़ाये। हालांकि, उन्होंने अपने ग्लैमर का खूब प्रदर्शन किया,पर अभिनेत्री के रूप में वे अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकीं। पूनम पण्डे,पूजा साल्वी,सारा लेओन और क्रिस्टीना अखीवा ऐसी ही नयी-नवेली अभिनेत्रियां हैं जो अपनी पहली फिल्म को असफल होने से नहीं बचा पायीं। 'ग्रैंड मस्ती' में सजावट की वस्तु बनीं नयी अभिनेत्रियों करिश्मा तन्ना,सोनाली कुलकर्णी और कायनात अरोड़ा को पहली फिल्म सफल तो हुई,पर उनके लिए संघर्ष का दौर जारी है...।
-सौम्या अपराजिता