Thursday, August 1, 2013

निर्देशन की राहों पर अभिनेता...

-सौम्या अपराजिता

रणबीर कपूर ने पिछले दिनों अपनी ख्वाहिश जाहिर करते हुए कहा था कि वे फिल्म निर्देशन करना चाहते हैं। फिल्म निर्देशन की रणबीर की उत्कंठा इतनी अधिक है कि उन्होंने अपनी प्रिय मित्र दीपिका पदुकोण से कह दिया है कि वे बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म में उन्हें निर्देशित करना चाहते हैं।दरअसल,रणबीर कपूर ने पिछले दिनों कहा था,'अभी अभिनय में व्यस्त हूं,पर अगले दो-तीन साल में मैं फिल्म निर्देशन और निर्माण करना चाहता हूं। अपने बैनर आरके को एक बार फिर सक्रिय कर अच्छी फिल्में बनाना चाहता हूं। वैसे भी इम्तियाज अली ने मुझसे कहा है कि मैं अच्छा फिल्ममेकर बन सकता हूं।' रणबीर कपूर के साथ 'सांवरियां' में अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत करने वाली सोनम कपूर ने भी 'राँझना' के प्रदर्शन के बाद वर्षों से मन में दबी फिल्म निर्देशन की इच्छा को जगजाहिर कर दिया है। सोनम ने अपने मन की बात कुछ यूं बयां की,' निर्देशक बनना मेरा पहला सपना था। मुझे पढ़ना पसंद है, फिल्में पसंद हैं, कहानियां पसंद हैं। इसलिए मैं हमेशा से निर्देशक बनना चाहती थी। मैं निर्देशन से जुड़ाव महसूस करती हूं। मैं झूठ नहीं बोलूंगी, निर्देशन मेरी पहली पसंद हैं, अभिनय दूसरे नंबर पर आता है। मैं भविष्य में जरूर फिल्म निर्देशन करूंगी, लेकिन फिलहाल अभिनय पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हूं। अभी निर्देशन के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी।' नयी पीढ़ी के ये दो युवा,लोकप्रिय और सफल कलाकार अभिनय के साथ-साथ फिल्म निर्देशन के रचनात्मक पहलू से जुड़कर दर्शकों को अपनी कला के दूसरे पहलू से परिचित कराना चाहते हैं। सोनम और रणबीर अभी अभिनय से निर्देशन की राहों पर अग्रसर नहीं हुए हैं,पर उन्होंने यह संकेत जरूर दे दिया है कि अभिनय और निर्देशन की दोहरी जिम्मेदारी निभाकर वे भविष्य के हिंदी सिनेमा में हरफनमौला कलाकारों के लिए नयी राह बनायेंगे।


सोनम और रणबीर से पूर्व हिंदी फिल्मों में कदम रखने वाले जॉन अब्राहम ने भी फिल्म निर्देशक की कुर्सी पर बैठने का मन बना लिया है। जॉन के अनुसार,'मेरे इर्द-गिर्द अच्छे मित्र हैं जो निर्देशक और लेखक हैं। वे मेरे साथ बैठना, मेरी मदद करना और पटकथाएं लिखना चाहते हैं। मेरे दिमाग में कहानियां हैं और मैं जल्दी ही निर्देशक बनना चाहता हूं और जब ऐसा होगा तो मैं इस क्षेत्र में अच्छा करूंगा।5 साल बाद मैं एक फिल्म का निर्देशन करूंगा। मैं अभी मनोरंजन उद्योग में केवल 7 साल पुराना हूं। इसलिए मैं सबसे पहले खुद को स्थापित और साबित करना चाहता हूं और उसके बाद में निर्देशन के क्षेत्र में जाऊंगा। ' यहां, दीगर बात है कि जॉन फिल्म निर्माण में सफल हो चुके हैं। बतौर निर्माता उनकी पहली फिल्म ' विक्की डोनर' सफल हो चुकी है और अब उनकी फिल्म निर्माण कंपनी के बैनर तले बनने वाली दूसरी फिल्म 'मद्रास कैफ़े' प्रदर्शन के लिए तैयार है।


गौर करें तो अधिकांश अभिनेताओं ने फिल्म निर्माण में कदम रखने के बाद निर्देशन की बागडोर संभाली है। ऐसे अभिनेताओं में आमिर खान और अजय देवगन का नाम उल्लेखनीय है।' लगान','मंगल पांडे द राइजिंग' के निर्माण के बाद आमिर खान ने ' तारें जमीं पर ' के निर्देशन की जिम्मेदारी संभाली। 'तारें जमीं पर ' में आमिर ने अभिनय के साथ-साथ निर्देशक के रुप में भी अपनी संवेदनशीलता और प्रतिभा का परिचय दिया। फलस्वरूप...बतौर निर्देशक आमिर की पहली फिल्म ही हिंदी सिनेमा की कालजयी फिल्मों में शुमार हो चुकी है। आमिर अपनी दूसरी फिल्म के निर्देशन का संकेत भी दे चुके हैं। आमिर कहते हैं,' मैंने एक कहानी चुनी है और उम्मीद है कि इसका निर्देशन करूंगा। लेकिन फिलहाल मैं अभिनेता हूं और इसके साथ एक टीवी शो ‘सत्यमेव जयते सीजन-2’ कर रहा हूं। उन्होंने बताया, ‘कहानी की पटकथा कोई अन्य व्यक्ति लिखेगा। मैंने लेखक को बता दिया है कि अभी इस फिल्म के निर्देशन में कुछ समय लगेगा। मुझे नहीं मालूम कि इसका निर्देशन कब होगा।’ 

आमिर खान के बाद अजय देवगन ने जब अभिनय से निर्देशन की बागडोर संभालने की जिम्मेदारी संभालने का निर्णय किया तो फ़िल्मी गलियारे में सुखद आश्चर्य की लहर-सी फ़ैल गयी। हालाँकि,आमिर खान की पहली निर्देशित फिल्म को प्रशंसा और सफलता दोनों मिली जबकि अजय देवगन की पहली निर्देशित फिल्म ' यू मी और हम' को प्रशंसा तो मिली,पर सफलता से वह वंचित रही। निर्देशन की चुनौती पर अपनी राय रखते हुए अजय कहते हैं,' मुझे लगता है कि जब आप अभिनय और निर्देशन करते हैं तो आपका काम दुगुना हो जाता है। आपकी एकाग्रता दोनों तरफ रहती हैं।'

सन्नी देओल ने भी अपनी फिल्म निर्माण कंपनी के बैनर तले ' दिल्लगी ' का निर्देशन किया था। 1999 में रिलीज हुई फिल्म ‘दिल्लगी’ को निर्देशित करने के बाद सनी ने कोई भी फिल्म निर्देशित नहीं की है। हालांकि, सनी भविष्य में अभिनय से विराम लेकर सिर्फ निर्देशन करने की योजना बना चुके हैं।वे कहते हैं,' अब बस मैं कुछ वर्ष और अभिनय करूंगा फिर उसके बाद पूरी तरह डायरेक्शन में रम जाऊंगा। हो सकता है कि भविष्य में मैं अपने बेटे को डायरेक्ट करूं, परंतु फिलहाल अभी इस बारे में कहना मुश्किल है।'

राकेश रोशन,अमोल पालेकर,कमल हासन,देव आनंद,गुरुदत्त,सुनील दत्त,किशोर कुमार,शशि कपूर और राजकपूर मुख्य धारा के वे चुनिन्दा अभिनेता हैं जिन्होंने अभिनय के साथ-साथ अपनी निर्देशन क्षमता का भी शानदार परिचय दिया है।विशेषकर देव आनंद,गुरुदत्त और राज कपूर अभिनेता और निर्देशक के दोहरे दायित्व को कुछ यूं निभाया कि वे हिंदी सिनेमा के प्रिय अभिनेताओं के साथ-साथ प्रतिभावान निर्देशकों में भी शुमार हो गएँ । पिता राज कपूर की तरह रणधीर कपूर और ऋषि कपूर ने भी अपनी निर्देशन कला का परिचय दिया,पर निर्देशन का उनका प्रयास एक-दो फिल्मों तक ही सीमित रहा। 

यदि अभिनेत्रियों की बात करें तो मुख्य धारा की अभिनेत्रियाँ निर्देशन का जोखिम कम ही उठाती हैं। हेमा मालिनी,पूजा भट्ट,रेवती,नंदिता दास ...ये ऐसी अभिनेत्रियाँ हैं जिन्होंने अभिनय के बाद निर्देशन में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। फिल्म निर्देशन में कदम रखने वाली मुख्य धारा की अभिनेत्रियों में हेमा मालिनी सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं। हालांकि, फिल्म निर्देशन में उनको सफलता नहीं मिल पायी,पर उन्होंने दूसरी अभिनेत्रियों को फिल्म निर्देशन के लिए प्रेरित जरूर किया। पूजा भट्ट ने पिता महेश भट्ट से प्रेरणा लेकर फिल्म निर्देशन में कदम रखा और उन्होंने हिंदी सिनेमा की चुनिन्दा महिला निर्देशकों की सूची में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पाप,धोखा और जिस्म 2 जैसी फिल्मों में उन्होंने निर्देशन की अपनी अलग शैली का परिचय दिया। नंदिता दास ने फिराक और रेवती ने फिर मिलेंगे जैसी प्रशंसित और सामाजिक सरोकार वाली फिल्म का निर्देशन कर बता दिया कि वे अच्छी अभिनेत्री होने के साथ-साथ समर्थ निर्देशक भी हैं।

अभिनय के साथ-साथ निर्देशन की राहों पर चलना सरल नहीं है। दोहरी चुनौतियाँ होती है,दोहरी जिम्मेदारी होती है और खुद को साबित करने का दोहरा दबाव होता है। विरले अभिनेता ही इन कसौटियों पर खरे उतर पाते हैं। राज कपूर और गुरु दत्त जैसे अभिनेता-निर्देशक शताब्दी में एक बार फ़िल्मी दुनिया में अवतरित होते हैं। हालांकि,नयी प्रतिभाओं,नए दृष्टिकोण और नए उत्साह के आगमन के बाद नए कलेवर में ढलते हिंदी सिनेमा ने उम्मीद बंधायी है। संभव है .. भारतीय सिनेमा की दूसरी शताब्दी में गुरुदत्त और राज कपूर जैसे अभिनेता-निर्देशक अस्तित्व में आएं और एक बार फिर हिंदी फिल्म प्रेमियों को एक ही सितारे में समर्थ अभिनेता और सक्षम निर्देशक की छवि की झलक  मिल पाए...।

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