-सौम्या अपराजिता 
खूबसूरत अभिनेत्री और सुरीली गायिका सलमा आगा की बिटिया साशेह आगा हिंदी फिल्मों की राह चल पड़ी हैं। मां से मिली अभिनय की विरासत को आगे बढाते हुए खुद को अच्छी और सक्षम अभिनेत्री साबित करना चाहती हैं साशेह। साशेह  का लक्ष्य हर रंग की भूमिकाओं को रुपहले पर्दे पर जीवंत करना है। नयी पीढ़ी की यह जोशीली अभिनेत्री यशराज बैनर की फिल्म 'औरंगजेब' से अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत कर रही हैं। साशेह से बातचीत-

यशराज बैनर के साथ आप अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत कर रही हैं। इस सुनहरे अवसर को  कितनी बड़ी उपलब्धि मानती हैं?
-यशराज बैनर से करियर की शुरुआत हो रही है मेरी। यह बहुत बड़ी बात है मेरे लिए। 'औरंगजेब' में मैंने अपना हंड्रेड परसेंट देने की कोशिश की है। मैं इस गोल्डन चांस का पूरा फायदा उठाना चाहती हूं।

अपनी पहली फिल्म के रूप में आपने 'औरंगजेब' को ही क्यों चुना?
-पहली वजह यशराज बैनर और दूसरी वजह 'औरंगजेब' में मेरा  कैरेक्टर है। मैंने जब 'औरंगजेब' के लिए ऑडिशन दिया था,तभी आदित्य सर ने मुझे बताया था कि बहुत डिफरेंट कैरेक्टर है। मुझे भी लगा कि मेरा कैरेक्टर काफी डिफरेंट और हटके है। मुझे लगा कि मुझे ऐसे ही कैरेक्टर से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करनी चाहिए जो टिपिकल नहीं हो।

अपनी भूमिका के विषय में कुछ और बताएं?
-मेरा कैरेक्टर बहुत पावरफुल है। वह बहुत एग्रेसिव और डोमिनेंट लड़की है। उसे  जो चाहिए वह हासिल करके ही दम लेती है। अर्जुन के कैरेक्टर के साथ उसका रिलेशनशिप भी काफी ऐग्रेसिव है।

इस भूमिका को निभाने के दौरान किसी तरह की मुश्किल पेश आई?
-मुश्किल तो नहीं हुई,पर हां काफी रिहर्सल करनी पड़ी। खुद को उस कैरेक्टर में ढलने के लिए तैयारियां करनी पड़ी। सब बहुत हेल्पफुल थें इसलिए मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।

अर्जुन आपके पहले हीरो हैं। उनके साथ कैसा एक्सपीरियंस  रहा?
-अर्जुन को मैं पहले से जानती हूं। हम दोनों फ़िल्मी माहौल में पले-बढे हैं। जब आप किसी को बचपन से जानते हों तो साथ काम करने में एक कम्फर्ट लेवल होता है। साथ ही अर्जुन अच्छे और सहयोगी एक्टर भी  हैं। 

पहली फिल्म रिलीज़ होने जा रही है। किस तरह के भाव आपके मन में आ रहे हैं?
-ख़ुशी है ..... बहुत ज्यादा ख़ुशी है। अपनी पहली फिल्म की रिलीज़ को लेकर उत्साहित हूं। घबराहट नहीं है ...बस रिलीज़ के बाद अच्छी खबर आने का इंतज़ार है।

मां से किस तरह का सहयोग या सुझाव आपको मिलता है?
-वे मुझे सलाह देती तो हैं,पर अपने निर्णय खुद  लेने के लिए प्रेरित करती हैं। वे मुझे अक्सर कहती हैं कुछ करने के लिए सोचो नहीं बल्कि उसे कर दिखाओ।

हिंदी फिल्मों में अपने भविष्य को किस तरह देखती हैं?
-एक अच्छे एक्टर के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहती हूं। मेहनत और लगन के बल पर अपना अलग मुकाम बनाना चाहती हूं। स्क्रीन पर अलग-अलग अवतारों में दिखना चाहती हूं। हर दूसरी फिल्म में अपनी भूमिकाओं से दर्शकों को चौंकाना चाहती हूं। कुल मिलाकर मैं भविष्य में खुद को अच्छी और सफल अभिनेत्री के रूप में देखना चाहती हूं।