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Saturday, May 3, 2014

सितारों का क्रिकेट कनेक्शन

फिल्मी दुनिया के चमकते सितारों का क्रिकेट से लगाव किसी से छिपा नहीं है। ..फिर वह सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न की उपाधि देने के लिए लता मंगेशकर और अमिताभ बच्चन की सक्रिय पहल हो या भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और जॉन अब्राहम की दोस्ती या फिर फटाफट क्रिकेट की क्रांति 'इंडियन प्रीमियर लीग' (आईपीएल) में शाह रुख खान,जूही चावला,प्रीति जिंटा और शिल्पा शेट्टी की सक्रियता। आईपीएल की व्यवस्था में फ़िल्मी सितारों की औपचारिक सहभागिता ने क्रिकेट और सिनेमा के संबंध को प्रगाढ़ किया है।

रिश्ता हुआ मजबूत
क्रिकेट से फ़िल्मी सितारों का रिश्ता नया नहीं है। कभी क्रिकेट के चमकते सितारों के साथ अभिनेत्रियों के प्रेम सम्बन्ध ने सुर्खियां बटोरी,तो कभी क्रिकेट के मैदान में दर्शक दीर्घा में सितारों की ग्लैमरस उपस्थिति आकर्षण का केंद्र बनी। क्रिकेट के साथ फ़िल्मी सितारों का यह अप्रत्यक्ष सम्बन्ध तब औपचारिक हो गया जब आईपीएल का आरम्भ हुआ। शाह रुख खान,जूही चावला,प्रीति जिंटा और शिल्पा शेट्टी जैसे फ़िल्मी सितारों ने फटाफट क्रिकेट के इस वृहत आयोजन में अपनी सक्रियता से क्रिकेट संग हिंदी फ़िल्मी सितारों के रिश्ते को मजबूत आधार दिया है।

मनोरंजन की दोहरी गारंटी
फिल्म प्रेमी दर्शक अपने प्रिय सितारों की क्रिकेट में सक्रियता से उत्साहित हैं। आईपीएल के मौसम में दर्शकों की नजर फिल्मों पर नहीं,बल्कि फिल्मों के सितारों की क्रिकेट जगत से जुडी गतिविधियों पर होती है। क्रिकेट की नयी क्रांति आईपीएल के महाकुंभ के आरम्भ के साथ ही क्रिकेट के मैदान में सितारों की उपस्थिति दिन-दुनी रात-चौगुनी बढ़ने लगती है। दरअसल,आईपीएल के मंच पर क्रिकेट से फ़िल्मी सितारों का जुड़ना दर्शकों के लिए मनोरंजन की दोहरी गारंटी होती है। दर्शकों को अपने प्रिय क्रिकेट सितारों के चौकों-छक्कों पर तालियां बजाने का मौका मिलता है,तो उन चौकों-छक्कों पर झूम रहे दर्शक दीर्घा में बैठे लोकप्रिय सितारों को करीब से निहारने का मौका भी मिलता है। यह फ़िल्मी सितारों की सक्रिय सहभागिता का ही परिणाम है कि आईपीएल का आरंभ और समापन समारोह किसी फ़िल्मी आयोजन की तरह ही आकर्षक,मनोरंजक और ग्लैमरस होता है। वरीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर भी फ़िल्मी सितारों की उपस्थिति वाले आईपीएल के ऐसे आयोजनों के प्रशंसक है। वे कहते हैं,' मुझे भारतीय फिल्मी दुनिया का आईपीएल से जुड़ना विशेष रूप से पसंद है क्योंकि यही वह चीज है जिसके लिए प्रीमियर लीग जाना जाता है।'

क्रिकेट में किंग
क्रिकेट से औपचारिक सम्बन्ध स्थापित करने वाले फ़िल्मी सितारों में सबसे उल्लेखनीय हैं,...किंग खान' शाह रुख खान। शाह रुख खान ने 2008 में औपचारिक तौर पर अपने क्रिकेट प्रेम का इजहार किया जब उनकी कंपनी रेड चिली एंटरटेनमेंट ने कोलकाता नाईटराइडर्स को खरीद लिया। शाह रुख बताते हैं,' मुझे याद है जब आईपीएल के शुरू होने की बात चली थी, तो कई लोगो का कहना था कि इंडिया में राष्टीय क्रिकेट का कोई मतलब नही है। आईपीएल को लोग पसंद नही करेंगे।सिटी टीम का कोई महत्त्व नही होगा,लेकिन आज मै इंडिया से बाहर भी कही जाता हूं, तो यह महसूस करता हूँ कि लोग आइपीएल पसंद करते हैं। मुझे टीवी की टीआरपी का नही पता है,लेकिन इतना पता है कि यह लोगो को मनोरंजन देता है।' प्रत्येक आईपीएल टूर्नामेंट के दौरान अपनी टीम के खिलाडियों को शाह रुख खेल-भावना का पाठ पढ़ाते हैं।  हर मैच से पहले शाह रुख़ अपनी टीम के सभी खिलाडियों को इस सन्देश से प्रोत्साहित करते हैं,-'आपको एक्टिंग नही आती, मुझे क्रिकेट नही आती।क्रिकेट खेलना आपका काम है,लेकिन आप मैच हार नही मानने के जज्बे के साथ ही खेलें।' गौरतलब है कि कोलकाता नाईट राइडर्स में जूही चावला भी शाह रुख खान की साझेदार हैं। जूही कहती हैं,'हमने कभी नहीं सोचा था कि आईपीएल इतना बड़ा हो जाएगा। जब मैंने और शाह रुख ने आईपीएल का हिस्सा बनने का निर्णय किया था तब हमें बस इतना पता था कि हम क्रिकेट यानि उस खेल से जुड़ रहे हैं जो हमारे देश का पैशन है।'

क्रिकेट के लिए करियर कुर्बान
प्रीति जिंटा ने क्रिकेट के लिए अपने चमकते हुए फ़िल्मी करियर को दांव पर लगा दिया। प्रीति ने क्रिकेट के लिए अभिनय से विराम ले लिया जिसका खामियाजा आज उन्हें भुगतना पड़ रहा है। आईपीएल में अपनी टीम 'किंग्स एलेवेन पंजाब' के प्रति पूरी तरह समर्पित होने के लिए प्रीति ने कई बड़ी फिल्मों में अभिनय का प्रस्ताव ठुकरा दिया। प्रीति के प्रशंसक सिल्वर स्क्रीन पर अपनी प्रिय अभिनेत्री को नहीं देखकर निराश हैं,मगर प्रीति को अपने फ़िल्मी करियर को हाशिए पर रखकर आईपीएल से जुड़ने पर गर्व है। प्रीति कहती हैं,' मैंने क्रिकेट को नहीं चुना.....क्रिकेट ने मुझे चुना। अगर,किसी दूसरे खेल से जुड़ा कोई क्लब खुल रहा होता और उसमें अवसर मिलता तो जरूर,मैं उससे जुड़ती। मुझे स्पोर्ट में रूचि थी और यह मौका क्रिकेट में मिला इसलिए जुड़ गयी। आई पी एल बहुत बड़ा इंवेस्टमेंट था। मैं सीखना चाहती थी। जब मैं फिल्मों में नयी आयी थी तब मैंने सब कुछ छोड़कर सिर्फ फिल्में की थी। ऐसे में,जब क्रिकेट में आयी तो थोड़ा वक्त तो क्रिकेट में लगाना ही था।'


ग्लैमरस सुर्ख़ियों के लिए
शिल्पा शेट्टी ने अपने करियर की ढलान पर क्रिकेट का हाथ थामा और पति राज कुंद्रा के साथ राजस्थान रॉयल की बागडोर अपने हाथों में ले ली।  ग्लैमरस सुर्खियों में बने रहने के लिए शिल्पा ने क्रिकेट से खुद को जोड़ लिया। शिल्पा कहती हैं,'हम क्रिकेट से प्यार करते हैं। इस खेल के प्रति जज्बे के कारण हम आईपीएल का हिस्सा बने। क्रिकेट के प्रति मेरा लगाव शुरू से ही रहा है, इसलिए इतना अच्छा मौका मैं मिस नहीं करना चाहती हूं। मैं अपनी टीम के साथ हमेशा रहना चाहती हूं।' उल्लेखनीय है कि राजस्थान रॉयल के प्रचार गीतों में शिल्पा की ग्लैमरस उपस्थिति को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है। कहा जा सकता है कि फिल्मों में गिरती साख को बचाने के लिए क्रिकेट से जुड़ने का फैसला शिल्पा के लिए सकारात्मक रहा है।


सितारों की क्रिकेट लीग
आईपीएल में शाह रुख खान,जूही चावला,प्रीति जिंटा और शिल्पा शेट्टी  की सहभागिता ने फ़िल्मी दुनिया के अन्य सितारों को भी क्रिकेट से सक्रिय रूप से जुड़ने के लिए प्रेरित किया है। इस प्रेरणा के परिणाम ने क्रिकेट से जुड़े फ़िल्मी सितारों के एक नए ग्लैमरस आयोजन 'सेलिब्रिटी क्रिकेट लीग' की स्थापना की।इस लीग में टीमों के स्वामी भी फ़िल्मी सितारे हैं और खिलाड़ी भी क्रिकेट में रचे-बसे फ़िल्मी सितारे ही हैं। सेलिब्रिटी क्रिकेट लीग से सोहेल खान,रितेश देशमुख,सुनील शेट्टी,बॉबी देओल और आदित्य रॉय कपूर जैसे सितारे जुड़े हैं। इस लीग में सलमान खान की सक्रियता भी उल्लेखनीय हैं। तीसरे 'सेलिब्रिटी क्रिकेट लीग' के आरंभ के दौरान सलमान ने क्रिकेट में फ़िल्मी सितारों की रूचि को कुछ यूँ बयां किया था,'यह देखकर अच्छा लग रहा है कि हमारे फिल्म स्टार्स मैदान पर उतरकर भी अच्छे हाथ दिखा रहे हैं। लंबे-लंबे शेड्यूल में काम करने के बावजूद फिल्म स्टार अच्छा खेल रहे हैं।यह काबिले तारीफ है। यह सब उनका क्रिकेट के लिए प्यार है। सच कहूं तो एक्टर्स का पहला प्यार क्रिकेट ही होता है।'
क्रिकेट के लिए फ़िल्मी सितारों के इस क्रेज से जाहिर हो गया है कि आम भारतीयों की तरह वे भी क्रिकेट के प्रेम-पाश में बंधे हुए हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सितारों के क्रिकेट कनेक्शन की कुछ और नयी कहानियां सामने आएंगी जो देश को एक सूत्र में पिरोने वाले क्रिकेट और सिनेमा को और भी करीब लाएंगी...।
-सौम्या अपराजिता

Tuesday, October 1, 2013

सिनेमा,शहर और सितारे...

 हिंदी सिनेमा ने हमेशा शहरों को जोड़ा है। सिनेमा पटल पर गढ़ी गयी एक शहर की कहानी दूसरे शहर में देखी-सुनी जाती है। फिल्मों के माध्यम से एक शहर की चारित्रिक विशेषताओं को दूसरे शहर के लोग जान और समझ पाते हैं। शहर और सिनेमा के इस कनेक्शन को और भी प्रगाढ़ बनाने के प्रयास हो रहे हैं। मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों के अतिरिक्त अन्य शहरों की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्मों के निर्माण के साथ-साथ अब फिल्म प्रमोशन में भी छोटे शहरों को प्राथमिकता दी जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान छोटे शहर के प्रशंसकों को अपने प्रिय सितारों को देखने-सुनने के अवसर मिलने लगे हैं। अब छोटे शहर के दर्शक भी खुद को अपने प्रिय सितारे के करीब पा रहे हैं।

प्रशंसक हुए खुश
रणबीर कपूर ' बेशरम' के प्रमोशन के लिए जयपुर और जालंधर पहुंचते हैं,तो पटना में 'गैंग ऑफ़ वासिपुर' के गीत 'जिय हो बिहार के लाला' की पहली झलक से पर्दा उठता है। 'बॉडीगार्ड' के प्रमोशन के लिए सलमान खान इंदौर जाते हैं,तो ' राँझना' की सफलता के बाद सोनम कपूर सबसे पहले बनारस का रुख करती हैं। दरअसल,छोटे शहरों को फिल्म प्रमोशन के दौरान दी जा रही प्राथमिकता ने सितारों और छोटे शहरों के प्रशंसकों के बीच की दीवार गिरा दी है। अब सितारे फिल्म के प्रदर्शन के दौरान उनके बीच होते हैं। अब छोटे शहर के प्रशन्सक भी अपने प्रिय सितारे को करीब से निहार सकते हैं। पिछले दिनों 'शूटआउट एट वडाला' के प्रमोशन के दौरान जॉन अब्राहम से मुलाकात के बाद छोटे शहर की एक युवा प्रशंसक ने अपनी ख़ुशी कुछ इस अंदाज में जाहिर की,'अपने फेवरेट स्टार को सामने देखने का एक्सपीरियंस फिल्म देखने से ज्यादा अच्छा और हैपेनिंग होता है।'

छोटे शहरों से परिचय
 छोटे शहरों में फिल्म प्रमोशन की बढती गतिविधियों के कारण सितारे भी अब खुद को छोटे शहर की संस्कृति के करीब पा रहे हैं। मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर में पले-बढे सितारे फिल्म प्रमोशन के बहाने छोटे शहर के लोगों की जीवन शैली,मूल्य,सुविधा-असुविधा और छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढने की कला को समझ पा रहे हैं। इंडिया के साथ-साथ 'भारत' से भी उनका परिचय होने लगा है। महानगरों की भाग-दौड़ से दूर छोटे शहरों की सुकून और शांति की जिन्दगी से वे दो-चार हो रहे है। महानगरों के कूपमंडूक जीवन से वे बाहर निकल रहे हैं। तभी तो बनारस में 'राँझना' की शूटिंग और फिर प्रमोशन की गतिविधियों में हिस्सा लेने के बाद बचपन से मुंबई की महानगरीय जीवनशैली का हिस्सा रही सोनम कपूर ने कहा,' बनारस में जो बात है, जो जोश है वह कहीं, किसी और शहर में नहीं है।'

 अपने शहर में..
 लम्बे अन्तराल के बाद जब फिल्म प्रमोशन के बहाने सितारे अपने शहर में पहुंचते हैं,तो उन्हें अपने दोस्तों,परिवारजनों के साथ कुछ खुशनुमा पल बिताने के मौके मिल जाते हैं। फिल्म प्रमोशन की गतिविधियों में सितारे अपने शहर को जोड़ने का व्यक्तिगत आग्रह करते हैं। वे चाहते हैं कि वे अपने शहर में अपने लोगों के बीच अपनी फिल्म के बारे में जानकारी दें। 'शुद्ध देसी रोमांस' के प्रमोशन के लिए सुशांत सिंह राजपूत का पटना जाने के लिए आग्रह किया,तो सलमान ने ' बॉडीगार्ड' के प्रमोशन के दौरान इंदौर पहुंचकर  बचपन की यादें ताज़ा की। इसी फिल्म प्रमोशन के दौरान इंदौर वासियों से आत्मीयता जाहिर करते हुए सलमान ने इंदौर की किसी लड़की से विवाह की इच्छा भी जता दी। दरअसल,जब सितारे  फिल्म शूटिंग की व्यस्तता के बीच अपने शहर पहुंचते हैं,तो उन्हें स्वदेश लौट आने का अहसास होता है। साथ ही,जब सितारे उपलब्धियों का आसमान छूने के बाद अपने शहर जाते हैं,तो उन्हें अपने शहर के लोगों का उत्साह बढाने का अवसर भी मिलता है। इसका ही एक उदहारण है बरेली वासियों से कहा गया प्रियंका चोपड़ा का यह कथन,' जब मैं बरेली से होते हुए भी मिस वर्ल्ड बन सकती हूं। इतनी बड़ी स्टार बन सकती हूं, तो दूसरी लड़कियां क्यों नहीं बन सकती।दूसरी लड़कियों के परिवार भी उनका साथ दें तो वे भी यह सब हासिल कर सकती हैं।'

सिनेमा में शहर
जब फिल्म किसी शहर विशेष पर आधारित होती है,तो  फिल्म प्रमोशन की गतिविधियों में भी वह शहर केंद्र में होता है। पिछले दिनों प्रदर्शित हुई 'शुद्ध देसी रोमांस' जयपुर में रची-बसी थी इसलिए प्रदर्शन से पूर्व इस फिल्म के सितारे यदा-कदा जयपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते थे। बनारस पर आधारित 'राँझना' के प्रमोशन से जुडी गतिविधियों के लिए बनारस को प्राथमिकता दी गयी। दरअसल,इधर कुछ अर्से से निर्माता-निर्देशकों का रुझान छोटे शहरों की तरफ बढ़ा है। अब महानगरों के तिलिस्म से निकलकर फिल्मों की कहानियां उन शहरों को केंद्र में रखकर भी गढ़ी जा रही हैं जहां 'भारत' बसता है। हबीब फैजल, अनुराग कश्यप और दिबाकर बनर्जी जैसे निर्देशक इन्हीं शहरों की वास्तविकता को दिखाने के लिए दिल्ली और मुंबई से बाहर निकले और 'इशकजादे', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'शंघाई' जैसी फिल्में बनायी। हबीब फैजल कहते हैं,' छोटे शहर काफी जीवंत और रंगीन है। वहां के लोगों में हास्य को लेकर दिलचस्प भावना है और उनके जीवन में अलग तरह का लय होता है। इसी विशेषता ने 'इशकजादे' बनाने के लिए मुझे प्रेरित किया।'

शहर और सिने बाजार
फिल्म निर्माता और वितरक की नजर विभिन्न शहरों के दर्शकों की रूचि पर होती है। बाजार में अपनी फिल्म को लाने के पहले वे तय कर लेते हैं कि किस शहर को प्राथमिकता देनी है। इस सन्दर्भ में शहर विशेष में फिल्म की विधा विशेष की लोकप्रियता के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं। उदाहरण स्वरुप हास्य रस से भरपूर फिल्मों के लिए गुजरात के शहरों को प्राथमिकता दी जाती है,तो सलमान खान की एक्शन मसाला फिल्मों को राजस्थान के विभिन्न शहरों के दर्शक अधिक पसंद करते हैं। मुंबई-दिल्ली के अतिरिक्त जिन शहरों को फिल्म प्रमोशन के दौरान प्राथमिकता दी जाती है वे हैं-चंडीगढ़,जालंधर,लखनऊ,इंदौर,जयपुर,पटना,नागपुर,पुणे,बड़ोदा,अहमदाबाद। प्रतिष्ठित फिल्म मार्केटिंग और पी आर एजेंसी स्पाइस भाषा के प्रभात चौधरी कहते हैं,'छोटे शहर फिल्म व्यवसाय में बेहतरीन योगदान दे रहे हैं। छोटे शहरों में ज्यादा-से-ज्यादा मल्टी प्लेक्स खुल रहे हैं। इससे उन शहरों में फिल्म व्यवसाय की संभावनाएं भी अधिक बढ़ रही हैं। अब यह आवश्यक हो गया है कि फिल्म का प्रमोशन महानगरों के बाहर किया जाए।' सच तो यह है कि महानगरों की अपेक्षा शहरों को फिल्म प्रमोशन की गतिविधियों में प्राथमिकता देने के साथ-साथ यदि  अधिक-से-अधिक फिल्मों का निर्माण छोटे शहर की पृष्ठभूमि पर किया जाएगा तभी सही मायने में शहर, सिनेमा और सितारों का यह ताना-बाना निखरकर सामने आएगा ..

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सौम्या अपराजिता