दयाबेन की भूमिका में दिशा वकानी ने लोकप्रियता का नया आसमान छूया है। लम्बे अर्से से सब टीवी के 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' में दया बेन की मुख्य भूमिका में दर्शकों का मनोरंजन कर रही दिशा गुजराती रंगमंच की सक्रिय अदाकारा रहीं हैं। उनके लिए छोटे पर्दे से जुड़ना बेहद सकारात्मक और सुखद रहा है। दिशा मानती हैं कि दया बेन की भूमिका निभाने का निर्णय उन्होंने इसलिए किया था क्योंकि वे कुछ नया और अलग करना चाहती थीं। दिशा की बातें उन्हीं के शब्दों में..
कोई भूमिका छोटी या बड़ी नहीं
एक अभिनेत्री के रूप में मैं खुद को हर भूमिका में ढालना चाहती हूं। यही वजह है कि दस वर्ष की उम्र में मैंने थिएटर में नर्स की भूमिका निभाई थी। इस उम्र में मैं बुजुर्ग औरत की भी भूमिका निभा चुकी हूं। अपने लिए भूमिकाएं चुनते वक़्त लचीला रवैया रखती हूं। मेरे लिए कोई भी भूमिका छोटी या बड़ी नहीं होती है। वही करती हूं जो मेरा दिल कहता है।
एक अभिनेत्री के रूप में मैं खुद को हर भूमिका में ढालना चाहती हूं। यही वजह है कि दस वर्ष की उम्र में मैंने थिएटर में नर्स की भूमिका निभाई थी। इस उम्र में मैं बुजुर्ग औरत की भी भूमिका निभा चुकी हूं। अपने लिए भूमिकाएं चुनते वक़्त लचीला रवैया रखती हूं। मेरे लिए कोई भी भूमिका छोटी या बड़ी नहीं होती है। वही करती हूं जो मेरा दिल कहता है।
दया है ही ऐसी
जब दया बेन की भूमिका के लिए मैंने हांमी भरी थी,तो मुझे लगा था कि दया की भूमिका मैं बेहद एन्जॉय करूंगी। ..और यही हुआ भी। दया की भूमिका को सिर्फ मैं ही नहीं दर्शक भी एन्जॉय करते हैं। दया है ही ऐसी। दया के फैन दुनिया के हर कोने में हैं। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब लोग मुझे देखकर मेरी तरफ दौड़े चले आते हैं। अच्छी बात है कि अब धीरे -धीरे लोग मेरा नाम भी जानने हैं।
जब दया बेन की भूमिका के लिए मैंने हांमी भरी थी,तो मुझे लगा था कि दया की भूमिका मैं बेहद एन्जॉय करूंगी। ..और यही हुआ भी। दया की भूमिका को सिर्फ मैं ही नहीं दर्शक भी एन्जॉय करते हैं। दया है ही ऐसी। दया के फैन दुनिया के हर कोने में हैं। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब लोग मुझे देखकर मेरी तरफ दौड़े चले आते हैं। अच्छी बात है कि अब धीरे -धीरे लोग मेरा नाम भी जानने हैं।
हंसाने में मजा है
कॉमेडी में टाइमिंग जरुरी होती है। कॉमेडी में मायने रखता है कि आप किस तरह से खुद को पेश करते हैं। कॉमेडी की सबसे अच्छी बात यह है कि बिना किसी खींच-तान के हल्के-फुल्के माहौल में शूटिंग ख़त्म हो जाती है। मुझे दर्शकों को हंसाने में मजा आता है हालांकि, मैं जानबूझ कर हंसाने की कोशिश नहीं करती। दया की मासूम अदा दर्शकों को हंसा देती है।
कॉमेडी में टाइमिंग जरुरी होती है। कॉमेडी में मायने रखता है कि आप किस तरह से खुद को पेश करते हैं। कॉमेडी की सबसे अच्छी बात यह है कि बिना किसी खींच-तान के हल्के-फुल्के माहौल में शूटिंग ख़त्म हो जाती है। मुझे दर्शकों को हंसाने में मजा आता है हालांकि, मैं जानबूझ कर हंसाने की कोशिश नहीं करती। दया की मासूम अदा दर्शकों को हंसा देती है।
व्यस्तता की आदत हो गयी है
मैं बचपन से एक्टिंग कर रही हूं। इसलिए मुझे पता है कि इस प्रोफेशन में फॅमिली के लिए समय निकलना कठिन है। अच्छी बात है कि मेरी फॅमिली को भी इस बारे में पता है। उन्हें मेरी व्यस्तता की आदत हो चुकी है। हालाँकि, मुझे फॅमिली और काम के बीच बैलेंस बनाने में तकलीफ नहीं होती है। मेरी पर्सनल लाइफ भी प्रोफेशनल लाइफ की तरह खुशनुमा है।
मैं बचपन से एक्टिंग कर रही हूं। इसलिए मुझे पता है कि इस प्रोफेशन में फॅमिली के लिए समय निकलना कठिन है। अच्छी बात है कि मेरी फॅमिली को भी इस बारे में पता है। उन्हें मेरी व्यस्तता की आदत हो चुकी है। हालाँकि, मुझे फॅमिली और काम के बीच बैलेंस बनाने में तकलीफ नहीं होती है। मेरी पर्सनल लाइफ भी प्रोफेशनल लाइफ की तरह खुशनुमा है।
आभारी हूं
टेलीविज़न के दर्शकों की बेहद आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया है। मेरी मौजूदा पहचान टेलीविज़न के दर्शकों के प्यार और दुलार की वजह से ही है। सिर्फ एक धारावाहिक में अभिनय कर रही अभिनेत्री को दर्शकों का इतना पोजिटिव रिस्पांस कम ही मिलता है। मैं खुशनसीब हूं कि मुझे यह मिला है और मिल रहा है।
टेलीविज़न के दर्शकों की बेहद आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया है। मेरी मौजूदा पहचान टेलीविज़न के दर्शकों के प्यार और दुलार की वजह से ही है। सिर्फ एक धारावाहिक में अभिनय कर रही अभिनेत्री को दर्शकों का इतना पोजिटिव रिस्पांस कम ही मिलता है। मैं खुशनसीब हूं कि मुझे यह मिला है और मिल रहा है।
-सौम्या अपराजिता
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