Tuesday, January 24, 2017

सीरियल से सिनेमा तक...

-सौम्या अपराजिता
पिछले दिनों विद्या बालन की एक ऐसी तस्वीर सामने आयी जिसने उन दिनों की याद दिला दी जब विद्या धारावाहिक 'हम पांच' में राधिका की भूमिका निभाया करती थी। दरअसल,एक आयोजन के दौरान विद्या की मुलाकात 'हम पांच' के कलाकारों से हुई,तो उन्होंने गर्व के साथ अपने पुराने साथी कलाकारों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं और उसे सोशल मिडिया पर शेयर की। उल्लेखनीय है कि विद्या उन चुनींदा कलाकारों में से एक हैं जिन्होंने स्मॉल स्क्रीन से सिल्वर स्क्रीन तक का सफ़र सफलता पूर्वक तय किया है। विद्या से पहले शाहरुख़ खान और इरफ़ान खान ने स्मॉल स्क्रीन से सिल्वर स्क्रीन का सफ़र तय किया और बता दिया कि अगर हुनर और हौसला हो,तो छोटे पर्दे से बड़े पर्दे तक के सफ़र को उपलब्धियों भरा बनाया जा सकता है। हालांकि...छोटे पर्दे से बड़े पर्दे तक का सफ़र इतना आसान नहीं है। कुछ ही कलाकार हैं जिन्होंने शाहरुख़ खान,इरफ़ान खान,मनोज बाजपेयी,आर माधवन और विद्या बालन की तरह अपनी मेहनत,लगन और धैर्य से छोटे पर्दे से बड़े पर्दे तक का सफ़र सफलतापूर्वक तय किया है।
यदि मौजूदा दौर की बात करें,तो आयुष्मान खुराना,सुशांत सिंह राजपूत और यामी गौतम ने यह साबित कर दिया है कि छोटे पर्दे का अनुभव बड़े पर्दे के सफ़र को शानदार बना सकता है। ये तीनों ही कलाकार कभी टेलीविज़न स्क्रीन पर अपने अभिनय के रंग भरते थे और आज ये बिग स्क्रीन के लोकप्रिय चेहरे बन गए हैं। यामी गौतम और आयुष्मान खुराना ने साथ-साथ छोटे पर्दे से बड़े पर्दे का रुख किया। अगर कहें कि 'विक्की डोनर' की रिलीज़ के बाद इडियट बॉक्स के दो चेहरे सिल्वर स्क्रीन पर चमक उठे,तो गलत नहीं होगा।। रियलिटी शो 'रोडीज' से उभरने वाले आयुष्मान खुराना और 'ये प्यार न होगा कम' में अपनी सहज अदायगी से मन मोहने वाली यामी गौतम ने बेहद कम वक़्त में फ़िल्म प्रेमियों के दिल में जगह बना ली है। आयुष्मान जहाँ हरफनमौला कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं,वहीँ यामी ने अपने आकर्षण और अभिनय से बड़े निर्माता-निर्देशकों का ध्यानाकर्षण किया है। आयुष्मान इस समय 'बरेली की बर्फी' और 'मेरी प्यारी बिंदु' जैसी चर्चित फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं,तो यामी के पास दो बड़ी फ़िल्में 'काबिल' और 'सरकार 3' है।
'एम एस धोनी' की सफलता के बाद सुशांत सिंह राजपूत के लिए बड़े पर्दे का सफ़र और भी सुहाना हो गया है। पिछले दिनों उन्हें 'सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के स्टार स्क्रीन अवार्ड से भी नवाजा गया। सुशांत के लिए अच्छी बात है कि  उनकी पहली फिल्म 'काय पो छे' बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित हुई थी। दरअसल,सुशांत जब धारावाहिक 'पवित्र रिश्ता' के मानव से 'काय पो छे' के ईशान भट्ट बने,तो उनके लिए दर्शकों का प्यार-दुलार और भी बढ़ गया। सुशांत कहते हैं,'मैं वहां (टीवी पर) एक ही जैसा रोल करके बोर हो गया था, तभी मैंने टीवी छोड़कर कुछ टाइम असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया और फिर फिल्म में काम करना शुरू किया।' सुशांत को सिर्फ दर्शकों से ही नहीं बल्कि हिंदी फिल्मों के प्रतिष्ठित निर्माता-निर्देशकों की भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।
छोटे पर्दे से बड़े पर्दे की ओर रुख करने वाले कलाकारों में राजीव खंडेलवाल,प्राची देसाई और ग्रेसी सिंह भी उल्लेखनीय हैं। धारावाहिक 'कहीं तो होगा' में धीर-गंभीर सुजल की भूमिका से दर्शकों के दिल में बसने वाले राजीव ने राजकुमार गुप्ता निर्देशित फिल्म 'आमिर' से सिल्वर स्क्रीन पर कदम रखा। दर्शकों ने उन्हें बड़े पर्दे पर भी स्वीकारा। हालांकि,राजीव को स्टार स्टेटस नहीं मिला है,फिर भी वे निर्माता-निर्देशक और  दर्शकों के चहेते बने हुए हैं। राजीव की ही तरह प्राची देसाई भी हिंदी फिल्मों में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुई हैं। 'कसम से' में बानी की लोकप्रिय भूमिका निभाने के बाद जब वे 'रॉक ऑन' में फरहान अख्तर की नायिका बनीं, तो दर्शकों ने प्राची में अच्छी अभिनेत्री की झलक देखी और निर्माता-निर्देशक भी इस मासूम सी दिखने वाली लड़की में अपनी फिल्म की नायिका की छवि देखने लगे। परिणामस्वरूप प्राची को रोहित शेट्टी और मिलन लुथरिया जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ अभिनय का मौका मिला। ग्रेसी सिंह ने धारावाहिकों से फिल्मों की दुनिया में बड़ी छलांग लगाते हुए पहली ही फ़िल्म 'लगान' में आमिर खान की नायिका बनीं। हालांकि,उसके बाद ग्रेसी का फ़िल्मी करियर रंग नहीं ला पाया।
टीवी स्क्रीन से निकलकर बिग स्क्रीन को रोशन करने वाले कलाकारों में हंसिका मोटवानी भी एक हैं। हालांकि,हंसिका ने हिंदी फिल्मों में नहीं,मगर साउथ की फिल्मों में अपनी स्थायी पहचान बना ली है। वे तमिल-तेलुगु फिल्मों की बड़ी अभिनेत्री बन चुकी हैं। जहाँ हंसिका ने अपने फ़िल्मी करियर के लिए साउथ की राह पकड़ी,वहीँ करण सिंह ग्रोवर,गुरमीत चौधरी,जय भानुशाली और पुलकित सम्राट जैसे युवा कलाकारों ने धारावाहिकों के बाद हिंदी फिल्मों को करियर के लिए चुना। हालांकि...गुरमीत,करण,जय और पुलकित अभी भी संघर्षरत अभिनेताओं में शुमार हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पहचान तो बना ली है,मगर वे स्थायी पहचान बनाने में असफल रहे हैं।
दरअसल,अभिनय के सफ़र में तरक्की पाने के लिए टीवी की दुनिया से फिल्मों की ओर रुख करने वाले कलाकारों के पास अनुभव और हुनर तो होता है,मगर हर बार किस्मत उनका साथ नहीं देती। कई बार तो अच्छे अवसर की कमी उनके लिए मुसीबत का सबब बन जाती है और प्रतिभा के बाद भी उन्हें फिल्मों में स्थायी पहचान नहीं मिल पाती है। हालांकि, अब टीवी और फिल्मों  विभाजक रेखा समाप्त हो चुकी है। छोटे पर्दे पर बड़े पर्दे के सितारों की लगातार मौजूदगी ने इस दूरी को मिटाने का काम किया है। अब दर्शक अपने पसंदीदा कालकारों को हर अवतार में स्वीकार करने को तैयार है। इस स्थिति ने टीवी के कालकारों के लिए एक नयी उम्मीद जगा दी है।
बॉक्स के लिए-
टीवी से जुड़े रहना चाहते हैं शाहरुख़..
' मुझे यह समझ आया है कि टीवी की पहुंच अब लोगों के दिलों तक पहले से कहीं ज्यादा हो गई है। इसलिए टीवी सीरीज में भी अब ऐसी कहानियां देखने को मिल रही हैं जिससे ऑडियंस खुद को जोड़ सके।बेशक मैं फिर से टीवी की दुनिया में आना चाहूंगा क्योंकि कुछ कहानियां केवल दो घंटे के समय में नहीं बताई जा सकती। इसके लिए आपको दस घंटे चाहिए होते हैं।
टीवी से फिल्मों की ओर रुख क्यों करते हैं कलाकार-
फिल्मों में पैसा ज्यादा-तनाज़ ईरानी
टीवी में आपके किरदार को कभी भी इन-आउट किया जा सकता है, लेकिन फिल्मों में आपको एक किरदार को पूरी तरह जीने का मौका मिलता है। इसके अलावा बॉलिवुड में टीवी के मुकाबले पैसा भी ज्यादा मिलता है।
टीवी की दुनिया में अफरातफरी-रोनित रॉय
टीवी की दुनिया में अफरातफरी का माहौल रहता है। हालांकि, फिल्मों में भी लोग ज्यादा रिलैक्स नहीं हैं, लेकिन सीरियल्स के मुकाबले स्थिति वहां फिर भी ठीक है।
टीवी से फिल्मों में जाना तरक्की-मनोज बोहरा
छोटे पर्दे से बड़े पर्दे पर जाना एक बहुत बड़ा कदम है। यह एक एक्टर के रूप में आपकी तरक्की को दर्शाता है। भले ही सीरियल में आप कितने भी पॉपुलर हो जाएं, लेकिन फिल्मों में काम करने से अलग ही पहचान बनती है। फिल्मों में आपके द्वारा निभाए गए किरदारों को लंबे वक्त तक याद रखा जाता है।
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