Thursday, October 31, 2013

पारुल का 'पुनर्विवाह'

Parul Chauhan
'सपना बाबुल का बिदाई' की चहेती रागिनी अब ' पुनर्विवाह-एक नयी उम्मीद' की हंसमुख दिव्या बन गयी है। बात हो रही है सांवली-सलोनी पारुल चौहान की। स्टार प्लस के लोकप्रिय धारावाहिक 'सपना बाबुल का बिदाई' में नायिका रागिनी की भूमिका निभाकर सफलता के सोपान छूने वाली पारुल लम्बे अन्तराल के बाद छोटे पर्दे पर लौट आई हैं। पारुल ने रुबीना दिलैक की जगह 'पुनर्विवाह-एक नयी उम्मीद' में दिव्या की भूमिका निभाने की जिम्मेदारी संभाली है। पारुल कहती हैं,'मैंने दिव्या का कैरेक्टर इसलिए करने की इच्छा जताई क्योंकि मुझे दिव्या का कैरेक्टर रोचक लगा। साथ ही, जी टीवी और शशि सुमीत प्रोडक्शन के साथ काम करना भी मेरे लिए सम्मान की बात है।' पारुल आगे बताती हैं,'जब मुझे 'पुनर्विवाह-एक नयी उम्मीद' की कहानी और दिव्या के कैरेक्टर के बारे में बताया गया तो वह मुझे बेहद अलग लगा। मैंने महसूस किया कि इस कैरेक्टर को निभाकर मैं अभिनेत्री के रूप में खुद को और निखार सकती हूं। ..और मैंने बिना देर किए दिव्या के कैरेक्टर को प्ले करने की चुनौती को स्वीकार कर ली।'

छोटे पर्दे पर पारुल की आखिरी उपस्थिति धारावाहिक 'रिश्तों से बड़ी प्रथा' में थी। 'कॉमेडी सर्कस' और 'झलक दिखला जा' में भी वे दिखी थीं। हालांकि,'बिदाई' के ऑफ एयर होने के बाद पारुल किसी धारावाहिक में केंद्रीय भूमिका निभाती हुई नहीं देखी गयीं। दरअसल,उस दौरान वे अपनी पहली फिल्म की शूटिंग और उसके प्रदर्शन की औपचारिकताओं में व्यस्त थीं। पारुल की पहली फिल्म 'म्योहो' पिछले वर्ष नवम्बर में प्रदर्शित हुई थी। पारुल कहती हैं,'मेरी फिल्म म्योहो पिछले साल रिलीज़ हुई थी। वह कमर्शियल फिल्म नहीं थी। उसे आर्ट फिल्म कहा जा सकता है।' छोटे पर्दे से बड़े पर्दे की ओर रुख करने के बाद पारुल ने एक बार फिर 'पुनर्विवाह-एक नयी उम्मीद' के साथ  छोटे पर्दे की तरफ मुंह मोड़ लिया है। इस यू टर्न के विषय में पारुल बताती हैं,'मैंने कभी नहीं कहा था कि फिल्म करने के बाद मैं टीवी नहीं करूंगी। दरअसल,मैं दोनों मीडियम में अच्छा काम करना चाहती हूं।'


उत्तरप्रदेश के छोटे से शहर लखीमपुर खीरी में पली-बढ़ी पारुल ने दो वर्ष के लम्बे संघर्ष के बाद 'सपना बाबुल का बिदाई ' से लोकप्रियता का स्वाद चखा था। रागिनी की भूमिका में वे पूरे भारत की दुलारी बन गयीं थीं। पारुल के लिए उपलब्धि की बात है कि उनके द्वारा निभाई गयी रागिनी की भूमिका के कारण बड़े पैमाने पर  सांवली लड़कियों के प्रति लोगों के विचार बदले। पारुल कहती हैं,'जब भी मैं अपने शहर जाती हूं,तो सभी मुझे अपने सर आँखों पर बिठाते हैं। सब मुझसे कहते हैं कि आपने अपने शहर का ही नहीं,पूरे यू पी का नाम रोशन किया है। सबसे ख़ुशी की बात है कि मेरे जैसी वहाँ की सांवली लडकियां अब घर से बाहर निकलने से हिचकिचाती नहीं हैं। मेरे लिए यह गर्व की बात है।'
-सौम्या अपराजिता

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