-सौम्या अपराजिता
वे सिर्फ पूर्व क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट की शान युवराज सिंह के पिता नहीं है। वे मंझे हुए अभिनेता भी है। उन्होंने लगभग सौ फिल्मों को अपने अभिनय के रंग से सजाया है। बात हो रही है योगराज सिंह की। जल्द प्रदर्शित होने वाले फिल्म' भाग मिल्खा भाग' में योगराज सिंह कोच रणवीर सिंह की भूमिका निभाते हुए दिखेंगे। मिल्खा सिंह के कोच रणवीर सिंह की भूमिका में योगराज सिंह के रियल लाइफ की झलक दिखेगी। योगराज सिंह से बातचीत-
'भाग मिल्खा भाग' में अभिनय का प्रस्ताव मिलने पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?
-मैंने इससे पहले इसी बैनर की फिल्म 'तीन थे भाई' में काम किया था। उसमें ओमपुरी जी थे। इस फिल्म के लिए ...इतनी बड़ी फिल्म के लिए जब मुझे फ़ोन किया गया तो मुझे लगा कि मेरे साथ मजाक हो रहा है । राकेश ओमप्रकाश मेहरा जैसे डायरेक्टर के साथ काम करने के लिए कैलिबर चाहिए होता है। खैर ... जब ऑफर हुई तो मेरे लिए वही बात थी कि ...खुदा जब आपकी तकदीर लिखता है तो ऐसे इंसानों को आपके पास भेज देता है जो आपके लिए खुशखबरी लेकर आते हैं। तो मेरे लिए तो बहुत बड़ी बात है। इतना बड़ा प्लेटफार्म आपको घर में बैठे नहीं मिलता है।लोग सालो साल स्ट्रगल करते हैं।राकेश ओमप्रकाश मेहरा जैसे डायरेक्टर के साथ काम करने के लिए लोग तरसते हैं। मैं समझता हूं खुदा ने लिए मेरे लिए अच्छी तकदीर लिखी है। मैं बहुत खुश हूं।बहुत उत्साहित हूं।ऐसा लग रहा है जैसे इंडिया के लिए पहला टेस्ट मैच खेलना है या फिर युवराज पहला टेस्ट मैच खेलने जा रहा है। रात को नींद नहीं आती है। बीच में ही उठ जाता हूं। तो बेहतरीन फीलिंग है।
किस तरह की भूमिका है आपकी? कितना चुनौतीपूर्ण रहा इस भूमिका को निभाना?
-मैं मिल्खा सिंह के जो कोच हैं रणवीर सिंह ....उनका किरदार निभा रहा हूं।जिन्होंने मिल्खा सिंह को बड़ा एथलीट बनाने में खून-पसीना एक किया है।एक कोच होने के नाते मैं यह सब कर चुका हूं पिछले पैंतीस सालों में। हर बात युवराज से आकर जुड़ जाती है। मिल्खा सिंह के साथ स्क्रीन पर मैंने वही किया है जो मैंने युवराज के साथ किया।सर ने कहा कि ओरिजिनालिटी चाहिए। उन्होंने मुझसे कहा कि ...जैसा एक कोच होता है ...जैसे तुम हो ..वैसी ही एक्टिंग करो । उन्होंने मुझे खुला छोड़ा था। कहा कि आप देखो कि सीन को कैसे करना है?लैंग्वेज की प्रॉब्लम थी मुझे। राकेश जी ने मुझमें अपना भरोसा दिखाया है तो मैं उसको परवान चढ़ाना चाहता था।मेरे लिए बहुत बड़ा चैलेंज था। जब राकेश जी ने कहा कि आपने सबका दिल जीत लिया तो मुझे बहुत ख़ुशी होती है। उनका हर अलफ़ाज़ मेरे दिल को छूता है।तो ये जो रोल है वह मेरे लिए काफी ओरिजिनल है। मैं ऐसा ही हूं। लैंग्वेज के लिए मैंने शीशे के सामने उर्दू का अभ्यास किया। मुझे लगता है कि मैं रणवीर सिंह के कैरेक्टर को जस्टिफाई कर सका हूं।
क्या रियल लाइफ में रणवीर सिंह से आपकी मुलाकात हुई है?
-नहीं मुलाकात तो नहीं हुई है,पर सर ने मुझे उनके कैरेक्टर के बारे में विस्तार से बताया था।
रियल लाइफ के अनुभव इस फिल्म की शूटिंग के दौरान आपके काम आए?
-जी बिलकुल। युवराज के साथ जो मेरा अनुभव रहा है वह मेरे बेहद काम आया। सारी दुनिया जानती है कि युवराज के साथ मैंने क्या किया है। कैसे उसको मार पड़ी है। मैंने अपनी बुक में भी लिखा है।तो वह सिमिलरिटी है। रणवीर सिंह मिल्खा सिंह को ट्रेनिंग के लिए लेह- लद्दाख ले जाता है।उसको ट्रेनिंग देता है जिससे उसके मुह से खून निकलता है। वह गिर पड़ता है। फिर भी रणवीर सिंह उससे कहता है उठो ...भागो अभी बहुत कुछ करना है। जब मैं युवराज के साथ ऐसा करता था तो सभी कहते थे कि तुम बहुत सख्ती बरतते हो,मेरी आलोचना की जाती थी ...पर वह सब मैं एक कोच होने के नाते किया करता था। कोच का काम खिलाड़ी को स्ट्रोंग बनाना और उसे आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करना होता है मैं वही करता था।
'भाग मिल्खा भाग' में आपकी भूमिका को लेकर युवराज सिंह की क्या प्रतिक्रिया है?
-कैंसर से उबरने के बाद युवराज दिल्ली में' भाग मिल्खा भाग' के सेट पर आया था। उसने क्लैप दिया था। तो एक बेटा का इतनी बड़ी बीमारी से उबरने के बाद सीधा अपने पिता के फिल्म के सेट पर आना बड़ी बात थी। एक तरीके से क्लैप देकर युवराज ने मुझे आशीर्वाद दिया ....इसे एक बेटे का अपने पिता के लिए आशीर्वाद कह सकते हैं। मेरे लिए वह पल बेहद खास था जब युवराज मेरी फिल्म के सेट पर आया था।
क्रिकेट तमाम विवादों के बाद भी लोकप्रियता के चरम पर है जबकि एथलेटिक्स और दूसरे खेल हाशिये पर रहते हैं। एक क्रिकेटर के रूप में आपकी इस सन्दर्भ में क्या राय है?
-इसमें कोई दो राय नहीं है कि क्रिकेट हमेशा से इंडिया का फेवरेट रहा है,पर दूसरे खेलों को भी बढ़ावा देने की जरुरत है। एथलेटिक्स और दूसरे खेलों के प्रति जागरूकता के लिए उसे लोगों के बीच लोकप्रिय बनाना होगा। उनकी खासियतों से लोगों को परिचित करना होगा। मैं मानता हूं कि जब एक फिल्म में मिल्खा सिंह का कैरेक्टर निभाने के लिए फरहान अख्तर एथलेटिक की तरह ट्रेनिंग ले सकते हैं और इतनी अच्छी बॉडी बना सकते हैं तो आम आदमी ऐसा क्यों नहीं कर सकता है? अगर इस विषय पर ध्यान दिया गया तो इंडिया में मिल्खा सिंह जैसे कितने ही महान एथलेटिक बन सकते हैं।
'भाग मिल्खा भाग' को आप भारतीय सिनेमा और खेल जगत के लिए कितनी महत्वपूर्ण फिल्म मानते हैं?
'-भाग मिल्खा भाग' जैसी फिल्में बहुत कम बनती हैं। राकेश ओमप्रकाश मेहरा का डायरेक्शन,फरहान अख्तर का अभिनय और मिल्खा सिंह की कहानी दर्शकों पर गहरा असर करेगी।' भाग मिल्खा भाग' जैसी फिल्म सदी में एक बार बनती है। खेलों में कुछ कर दिखाने के जज्बे को बढ़ावा देगी 'भाग मिल्खा भाग'। मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म हर नजरिये से दर्शकों को प्रभावित करेगी।
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