अभिनय की राह पर निर्देशक
-सौम्या अपराजिता
अभिनेता-अभिनेत्रियों को निर्देशित और मार्गदर्शित करने के दौरान निर्देशक भी अपनी अभिनय प्रतिभा से परिचित होते है। उन्हें लगता है कि वे
निर्देशन के साथ-साथ अभिनय के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट पहचान बना सकते हैं। कैमरे के पीछे रहने के साथ-साथ कैमरे के सामने रहने की इच्छा
उनके मन में हिलोरे लेने लगती है। तभी तो पिछले दिनों जब करण जौहर को अनुराग कश्यप की फिल्म 'बॉम्बे वेलवेट' में खलनायक की भूमिका निभाने का प्रस्ताव दिया गया तो उन्होंने इस मौके को हाथ से नहीं गंवाया। यूं तो करण जौहर का अभिनय के प्रति झुकाव किसी से छिपा नहीं है। उन्हें सबसे पहले स्क्रीन पर दर्शकों ने 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' में शाहरुख़ खान की मित्र की भूमिका में देखा था। वे कई फिल्मों में मेहमान भूमिका निभाते हुए भी नजर आयें,पर पहली बार करण जौहर ने रणबीर कपूर अभिनीत 'बॉम्बे वेलवेट' में खलनायक की भूमिका निभाने की बड़ी जिम्मेदारी स्वीकार की है। करन कहते हैं,' यह सच है कि मैं बॉम्बे वेलवेट में अभिनय कर रहा हूँ। मेरे लिए यह अनोखा अनुभव होगा। मैं जल्द ही अनुराग के साथ अपनी भूमिका की तैयारियां करूँगा। पूरी तरह अनुराग के विज़न को फॉलो करूंगा और सेट पर भूल जाऊंगा कि मैं डायरेक्टर हूं। '
करण जौहर की मित्र फरहा खान का अभिनय प्रेम तब जग जाहिर हो गया जब वे ' शिरीन फरहाद की निकल गयी' में नायिका की भूमिका में दर्शकों से रूबरू हुईं। किसी निर्देशिका का अभिनेत्री के रूप में सिल्वर स्क्रीन पर पदार्पण का यह पहला उदहारण था। नृत्य निर्देशन और फिल्म निर्देशन के बाद अभिनय में भी फरहा की प्रतिभा का जादू चल गया। फरहा खान ने ' शिरीन फरहाद की निकल गयी' में जहाँ बतौर नायिका अपनी अभिनय प्रतिभा की झलक दिखायी,वहीँ तिग्मांशु धूलिया ने अनुराग कश्यप निर्देशित ' गैंग्स ऑफ वसिपुर' में खलनायक की भूमिका निभाकर बता दिया कि वे जितने सधे हुए निर्देशक हैं उतने ही समर्थ अभिनेता भी हैं। तिग्मांशु कहते हैं,'पता नहीं अनुराग ने मुझे खलनायक की भूमिका के लिए चुना। शायद इसलिए क्योंकि उन्हें पता है कि मैं नेशनल स्कूल ऑफ से प्रशिक्षित अभिनेता हूं।' तिग्मांशु ने अनुराग कश्यप की फिल्म में अभिनय किया तो अनुराग को भी तिग्मांशु ने अपनी फिल्म 'शागिर्द' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जिम्मेदारी सौंपी थी।अनुराग ने ओनिर निर्देशित 'आई एम' में भी अभिनय का रंग भरा था। 'आई एम' में 'बर्फी' के निर्देशक अनुराग बसु भी महत्वपूर्ण भूमिका में दर्शकों से रूबरू हुए थे। सफल,प्रशंसित और समर्थ निर्देशक इम्तियाज़ अली करियर के शुरूआती दिनों में ही अभिनय के प्रति अपना रुझान दिखा चुके हैं। उन्होंने अनुराग कश्यप निर्देशित 'ब्लैक फ्राइडे' में प्रभावशाली भूमिका निभायी थी।
कुछ निर्देशक ऐसे भी हैं जो अपनी फिल्मों में ही मेहमान भूमिका निभाते हैं। स्वयं की फिल्म में अपनी छोटी-सी झलक दिखा कर ही वे संतुष्ट हो जाते हैं।ऐसे निर्देशकों में पहला नाम सुभाष घई का है जो अपनी हर फिल्म में नजर आते हैं। दरअसल, ऐसा करके अभिनेता बनने की अपनी कुंठित इच्छा को वे सकारात्मक मोड़ देते हैं। हर फिल्म में सुभाष अपने लिए छोटी सी भूमिका ढूंढ लेते हैं। नागेश कुकनूर भी अपनी हर फिल्म में छोटी या बड़ी भूमिका निभाते हुए दिख जाते हैं। नागेश के अनुसार,'एक्टिंग मेरी हॉबी है जिसे मैं एन्जॉय करता हूं।' अपनी फिल्मों में झलक दिखलाने वाले निर्देशकों में प्रकाश झा और राजकुमार गुप्ता भी उल्लेखनीय हैं। 'राजनीति' की मेकिंग के दौरान प्रकाश झा ने और 'नो वन किल्ड जेसिका' की मेकिंग के दौरान राजकुमार गुप्ता ने कैमरे के पीछे रहकर निर्देशन की बागडोर संभालने के साथ-साथ कुछ पल कैमरे के सामने भी बिताए। परिणामस्वरूप दर्शकों ने 'राजनीति' में प्रकाश झा और 'नो वन किल्ड जेसिका' में राजकुमार गुप्ता की झलक देखी।
अभिनेता-अभिनेत्रियों को निर्देशित और मार्गदर्शित करने के दौरान निर्देशक भी अपनी अभिनय प्रतिभा से परिचित होते है। उन्हें लगता है कि वे
करण जौहर की मित्र फरहा खान का अभिनय प्रेम तब जग जाहिर हो गया जब वे ' शिरीन फरहाद की निकल गयी' में नायिका की भूमिका में दर्शकों से रूबरू हुईं। किसी निर्देशिका का अभिनेत्री के रूप में सिल्वर स्क्रीन पर पदार्पण का यह पहला उदहारण था। नृत्य निर्देशन और फिल्म निर्देशन के बाद अभिनय में भी फरहा की प्रतिभा का जादू चल गया। फरहा खान ने ' शिरीन फरहाद की निकल गयी' में जहाँ बतौर नायिका अपनी अभिनय प्रतिभा की झलक दिखायी,वहीँ तिग्मांशु धूलिया ने अनुराग कश्यप निर्देशित ' गैंग्स ऑफ वसिपुर' में खलनायक की भूमिका निभाकर बता दिया कि वे जितने सधे हुए निर्देशक हैं उतने ही समर्थ अभिनेता भी हैं। तिग्मांशु कहते हैं,'पता नहीं अनुराग ने मुझे खलनायक की भूमिका के लिए चुना। शायद इसलिए क्योंकि उन्हें पता है कि मैं नेशनल स्कूल ऑफ से प्रशिक्षित अभिनेता हूं।' तिग्मांशु ने अनुराग कश्यप की फिल्म में अभिनय किया तो अनुराग को भी तिग्मांशु ने अपनी फिल्म 'शागिर्द' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जिम्मेदारी सौंपी थी।अनुराग ने ओनिर निर्देशित 'आई एम' में भी अभिनय का रंग भरा था। 'आई एम' में 'बर्फी' के निर्देशक अनुराग बसु भी महत्वपूर्ण भूमिका में दर्शकों से रूबरू हुए थे। सफल,प्रशंसित और समर्थ निर्देशक इम्तियाज़ अली करियर के शुरूआती दिनों में ही अभिनय के प्रति अपना रुझान दिखा चुके हैं। उन्होंने अनुराग कश्यप निर्देशित 'ब्लैक फ्राइडे' में प्रभावशाली भूमिका निभायी थी।
कुछ निर्देशक ऐसे भी हैं जो अपनी फिल्मों में ही मेहमान भूमिका निभाते हैं। स्वयं की फिल्म में अपनी छोटी-सी झलक दिखा कर ही वे संतुष्ट हो जाते हैं।ऐसे निर्देशकों में पहला नाम सुभाष घई का है जो अपनी हर फिल्म में नजर आते हैं। दरअसल, ऐसा करके अभिनेता बनने की अपनी कुंठित इच्छा को वे सकारात्मक मोड़ देते हैं। हर फिल्म में सुभाष अपने लिए छोटी सी भूमिका ढूंढ लेते हैं। नागेश कुकनूर भी अपनी हर फिल्म में छोटी या बड़ी भूमिका निभाते हुए दिख जाते हैं। नागेश के अनुसार,'एक्टिंग मेरी हॉबी है जिसे मैं एन्जॉय करता हूं।' अपनी फिल्मों में झलक दिखलाने वाले निर्देशकों में प्रकाश झा और राजकुमार गुप्ता भी उल्लेखनीय हैं। 'राजनीति' की मेकिंग के दौरान प्रकाश झा ने और 'नो वन किल्ड जेसिका' की मेकिंग के दौरान राजकुमार गुप्ता ने कैमरे के पीछे रहकर निर्देशन की बागडोर संभालने के साथ-साथ कुछ पल कैमरे के सामने भी बिताए। परिणामस्वरूप दर्शकों ने 'राजनीति' में प्रकाश झा और 'नो वन किल्ड जेसिका' में राजकुमार गुप्ता की झलक देखी।
निर्देशक और अभिनेता की दोहरी भूमिका को फरहान अख्तर बखूबी निभाते हैं। अभिनय में फरहान उतने ही सक्षम हैं जितने परिपक्व वे निर्देशन में हैं। रोचक तथ्य है कि फरहान अख्तर बतौर अभिनेता दूसरे निर्देशकों की फिल्म में ही नजर आते हैं। फरहान अख्तर ने खुद को सफल निर्देशक के साथ साथ मुख्य धारा के अभिनेता के रूप में भी स्थापित कर लिया किया है। अभिषेक कपूर निर्देशित 'रॉक ओन', जोया अख्तर निर्देशित 'लक बाय चांस' एवं' जिन्दगी न मिलेगी दोबारा' और विजय लालवानी निर्देशित 'कार्तिक कालिंग कार्तिक' में की भूमिका में फरहान ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा। वे निर्माता- निर्देशकों की पसंदीदा अभिनेताओं की सूची में शुमार हो चुके हैं। किसी भी निर्देशक के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। यह फरहान की प्रतिभा का प्रभाव है कि उन्हें चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं के लिए पहली पसंद माना जा रहा है। यही वजह है कि 'भाग मिल्खा भाग' के प्रभावशाली नायक की राकेश ओम प्रकाश मेंहरा की तलाश फरहान पर आकर पूरी हुई।उल्लेखनीय है कि 'भाग मिल्खा भाग' में फरहान फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की भूमिका में अभिनय का रंग भरते हुए दिखेंगे। फरहान कहते हैं,'डायरेक्टर की जिम्मेदारी बड़ी होती है। एक प्रोजेक्ट से देर तक जुड़ना होता है। ज्यादा इन्वौल्वमेंट होती है।ऐसे में , डायरेक्शन ज्यादा स्पेशल होता है , पर इसका यह मतलब नहीं है कि एक्टिंग इम्पोर्टेंट नहीं है। मुझे लगता है कि डायरेक्टर की तुलना में एक एक्टर के रूप में फिल्म की सफलता ज्यादा ख़ुशी देती है।
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