
''मैं वापस आ गयी हूं। टिंग!.''
बोलते वक्त ही नहीं, ट्वीट और एसएमएस करते समय भी प्रीति जिंटा 'टिंग' का प्रयोग करना नहीं भूलतीं। दरअसल, यह शब्द प्रीति की मुस्कान का प्रतीक है। अभूतपूर्व जीवनी शक्ति से लबरेज प्रीति की 'टिंग' वाली मुस्कान का सिलसिला विषम परिस्थितियों में भी नहीं रुकता है।
साहस और सकारात्मक संकल्प; यह प्रीति के प्रभावशाली व्यक्तित्व की दो अहम कड़ियां हैं। एक कार दुर्घटना के बाद पिता का साया मात्र तेरह वर्ष की उम्र में सर से उठ गया, दो वर्षो तक माँ असहाय अवस्था में बिस्तर पर पड़ी रहीं, लेकिन प्रीति न रुकीं-न झुकीं। उनके हौसले की उड़ान में कोई अवरोध नहीं आया।
प्रीति कहती हैं, ''जिंदगी में खोना और पाना तो लगा ही रहता है। जब आप ज्यादा खोते हो तो पाने की चाह ज्यादा होती है। जब ज्यादा पाते हो तो आस-पास की चीजें भूल जाते हो और खुद में खोने लगते हो। इस तरह अपनों को खोने लगते हो। मैं मानती हूं कि बस, एक चीज आपको कभी नहीं खोनी चाहिए वह है आपकी आत्मा। अगर, आप अपनी आत्मा ही खो देते हैं, तो जीने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।''
प्रीति के प्रेरणास्रोत हैं उनके पिता। वे कहती हैं, ''पापा हमेशा कहा करते थे कि बेटा जिंदगी में हमेशा सीधा रास्ता लो, फिर राइट लो। अगर शॉर्टकट लोगी, तो तुम्हारे पास कोई विकल्प नहीं होगा। मैं पापा के बताए रास्तों पर ही चल रही हूं और चलती रहूंगी।''
प्रीति विशिष्ट हैं तो अपने संकल्पों पर कायम रहने की वजह से। वे सिर्फ अभिनेत्री और बिजनेसवुमेन ही नहीं, बल्कि हौसले की मिसाल हैं। उन्होंने ऐसे वक्त पर आईपीएल से खुद को जोड़ा जब हिंदी फिल्मों की कोई हीरोइन इस बारे में सोचने की हिम्मत भी नहीं कर सकती थी। उन्हें आईपीएल में सफलता नहीं मिल पायी। नेस वाडिया के साथ निजी जीवन का मधुर रिश्ता भी टूट गया। इसके बावजूद चेहरे से निराशा और दुख की लकीरें गायब रहीं। आत्मविश्वास से लबरेज प्रीति कहती हैं, ''मुझे जिंदगी में कोई पीछे नहीं ढकेल सकता। हां, मैं पीछे तब खड़ी रहूंगी जब मेरा मन करेगा। इसलिए पीछे नहीं खड़ी रहूंगी, क्योंकि दुनिया ने मुझे पीछे खड़ा किया है। अगर मेरा मन दौड़ कर सबसे आगे जाने का है तो मैं वह भी कर सकती हूं और मैं कर चुकी हूं।''
बोलते वक्त ही नहीं, ट्वीट और एसएमएस करते समय भी प्रीति जिंटा 'टिंग' का प्रयोग करना नहीं भूलतीं। दरअसल, यह शब्द प्रीति की मुस्कान का प्रतीक है। अभूतपूर्व जीवनी शक्ति से लबरेज प्रीति की 'टिंग' वाली मुस्कान का सिलसिला विषम परिस्थितियों में भी नहीं रुकता है।
साहस और सकारात्मक संकल्प; यह प्रीति के प्रभावशाली व्यक्तित्व की दो अहम कड़ियां हैं। एक कार दुर्घटना के बाद पिता का साया मात्र तेरह वर्ष की उम्र में सर से उठ गया, दो वर्षो तक माँ असहाय अवस्था में बिस्तर पर पड़ी रहीं, लेकिन प्रीति न रुकीं-न झुकीं। उनके हौसले की उड़ान में कोई अवरोध नहीं आया।
प्रीति कहती हैं, ''जिंदगी में खोना और पाना तो लगा ही रहता है। जब आप ज्यादा खोते हो तो पाने की चाह ज्यादा होती है। जब ज्यादा पाते हो तो आस-पास की चीजें भूल जाते हो और खुद में खोने लगते हो। इस तरह अपनों को खोने लगते हो। मैं मानती हूं कि बस, एक चीज आपको कभी नहीं खोनी चाहिए वह है आपकी आत्मा। अगर, आप अपनी आत्मा ही खो देते हैं, तो जीने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।''
प्रीति के प्रेरणास्रोत हैं उनके पिता। वे कहती हैं, ''पापा हमेशा कहा करते थे कि बेटा जिंदगी में हमेशा सीधा रास्ता लो, फिर राइट लो। अगर शॉर्टकट लोगी, तो तुम्हारे पास कोई विकल्प नहीं होगा। मैं पापा के बताए रास्तों पर ही चल रही हूं और चलती रहूंगी।''
प्रीति विशिष्ट हैं तो अपने संकल्पों पर कायम रहने की वजह से। वे सिर्फ अभिनेत्री और बिजनेसवुमेन ही नहीं, बल्कि हौसले की मिसाल हैं। उन्होंने ऐसे वक्त पर आईपीएल से खुद को जोड़ा जब हिंदी फिल्मों की कोई हीरोइन इस बारे में सोचने की हिम्मत भी नहीं कर सकती थी। उन्हें आईपीएल में सफलता नहीं मिल पायी। नेस वाडिया के साथ निजी जीवन का मधुर रिश्ता भी टूट गया। इसके बावजूद चेहरे से निराशा और दुख की लकीरें गायब रहीं। आत्मविश्वास से लबरेज प्रीति कहती हैं, ''मुझे जिंदगी में कोई पीछे नहीं ढकेल सकता। हां, मैं पीछे तब खड़ी रहूंगी जब मेरा मन करेगा। इसलिए पीछे नहीं खड़ी रहूंगी, क्योंकि दुनिया ने मुझे पीछे खड़ा किया है। अगर मेरा मन दौड़ कर सबसे आगे जाने का है तो मैं वह भी कर सकती हूं और मैं कर चुकी हूं।''
-सौम्या अपराजिता
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