Thursday, March 26, 2009

कुशल अभिनेत्री शबाना आजमी


-सौम्या अपराजिता
शबाना आजमी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित चेहरों में एक हैं। मुख्य धारा से लेकर समानांतर सिनेमा तक और हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री से लेकर हॉलीवुड तक शबाना आजमी ने अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रभावी प्रमाण दिया है। वे सक्षम अभिनेत्री तो हैं ही साथ ही, एक कुशल वक्ता और सक्रिय समाजसेवी भी हैं।
शबाना आजमी का बचपन कलात्मक माहौल में बीता। पिता मशहूर शायर कैफी आजमी और मां रंगमंच अदाकारा शौकत आजमी के सान्निध्य में शबाना आजमी का सुहाना बचपन बीता। मां से विरासत में मिली अभिनय-प्रतिभा को सकारात्म मोड़ देकर शबाना ने हिन्दी फिल्मों में अपने सफर की शुरूआत की। उनके फिल्मी सफर की शुरूआत मुख्य धारा की कमर्शियल फिल्मों से हुई।
हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री के रूप में अपनी प्रारंभिक पहचान के बाद शबाना आजमी ने समानांतर सिनेमा की ओर रूख किया। हिन्दी सिनेमा के इस नए रूप में शबाना की अभिनय-क्षमता को एक नया आयाम मिला और वे सक्षम और कुशल अभिनेत्री के रूप में उभरी। हर तरह की भूमिकाओं को संवेदनशीलता के साथ निभाने वाली इस अदाकारा ने मुख्य धारा की ग्लैमरस अभिनेत्रियों की भीड़ में स्वयं को अलग साबित किया। स्मिता पाटिल और शबाना आजमी उस दौर की समानांतर फिल्मों की जरूरत बन गई अर्थ, निशांत, अंकुर, स्पर्श, मंडी, मासूम, पेस्टॅन जी में शबाना आजमी ने अपने अभिनय की अमिट छाप दर्शकों पर छोड़ी। इन गंभीर फिल्मों के साथ-साथ शबाना ने मुख्य धारा की कमर्शियल फिल्मों में भी अपनी उपस्थिति बनाए रखी। अमर अकबर एंथोनी, परवरिश, मैं आजाद हूं जैसी व्यावसायिक फिल्मों में अपने अभिनय केरंगभरकर शबाना आजमी ने सुधी दर्शकों के साथ-साथ आम दर्शकों के बीच भी अपनी पहुंच बनाए रखी। प्रयोगात्मक सिनेमा के भरण-पोषण में उनका योगदान उल्लेखनीय है। फायर जैसी विवादास्पद फिल्म में शबाना ने बेधड़क होकर अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रमाण दिया वहीं,बाल फिल्म मकड़ी में वे चुड़ैल की भूमिका निभाती हुई नजर आई। यदि मासूम में मातृत्व की कोमल भावनाओं को जीवंत किया वहीं, गॉडमदर में प्रभावशाली महिला डॉन की भूमिका भी निभायी।
भारतीय सिनेमा जगत की सक्षम अभिनेत्रियों की सूची में शबाना आजमी का नाम सबसे ऊपर आता है। जीवन के छठे दशक में प्रवेश करने के बाद भी शबाना आजमी की ऊर्जा अतुलनीय है। वे आज भी रूपहले पर्दे पर अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराती हैं। 15 पार्क एवेन्यू और हनीमून ट्रैवेल्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी फिल्मों में उनका अभिनय नई पीढ़ी की अभिनेत्रियों पर हावी रहा। नई पीढ़ी की अभिनेत्रियां इस सक्षम और कुशल अभिनेत्री के सानिध्य में अपनी अभिनय क्षमता निखारने की इच्छुक रहती हैं। पैतीस वर्ष के लंबे अनुभव के बाद भी शबाना आजमी की सक्रियता अभिनय की दुनिया में बनी हुई है। वे आज भी उसी ऊर्जा और जोश के साथ हिन्दी फिल्मों से जुड़ी हुई हैं।
पति जावेद अख्तर के सक्रिय सहयोग ने शबाना आजमी के हौसले को बढ़ाया और वे फिल्मों में अभिनय के रंग भरने के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक मंचों पर देश और समाज से जुड़ी अपनी चिंताएं अभिव्यक्त करने लगीं। सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में शबाना आजमी ने अपनी नई पहचान बनाई। वे राज्यसभा की सदस्या मनोनीत की गई। सांसद के रूप में अपनी जिम्मेदारी गंभीरता के साथ निभाने के साथ-साथ उन्होंने स्वयं को किसी राजनीतिक दल से नहीं जोड़ा। किसी भी गंभीर राष्ट्रीय,सामाजिक मुद्दे पर वे अपने विचार को लेकर मुखर रही हैं। आधुनिक भारतीय महिलाओं के लिए आदर्श है,पद्म श्री शबाना आजमी का प्रभावशाली व्यक्तित्व। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी ऊर्जा,उनकी सकारात्मक सोच और उनकी रचनात्मकता उन महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो उपलब्धियों के आसमान को छूना चाहती हैं।

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