Wednesday, February 25, 2009
जीवन है सुर-लय-ताल
-सौम्या अपराजिता
इन दिनों ए.आर. रहमान के संगीत की गूंज पूरे विश्व में महसूस की जा सकती है। रहमान के सुर, लय और ताल में डुबकियां लगाने वाले भारतीय श्रोता स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उनके चहेते प्रतिभाशाली संगीतकार को प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार के लिए तीन प्रविष्टियों में नामांकित किया गया है। रहमान के संगीत से सजा गीत जय हो.. अब उन पर चरितार्थ होने लगा है। रहमान की जय हो या जय हो रहमान आदि शीर्षकों से लगभग हर अखबार और टीवी चैनल की सुर्खियां पटे पड़े हैं। रहमान भारतीय प्रशंसकों के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करते हुए कहते हैं, ऑस्कर के लिए नामांकित होने पर जितने खुश मेरे प्रशंसक हैं, उतना ही मैं भी हूं। मुझे उम्मीद है, हम जीतेंगे। मैं अपने दिल से सभी को इस प्यार के लिए धन्यवाद देता हूं। अपनी प्रतिभा की वजह से रहमान ने विश्व के संगीत फलक पर अपनी अलग पहचान बनाई है। आइए नजर डालते हैं उनके उपलब्धियों भरे सुरीले सफर पर..
पूत के पांव पालने में:
सुरीले संगीत वाले परिवेश में पले-बढ़े रहमान की संगीत-प्रतिभा के दर्शन बचपन में ही होने लगे थे। संगीतकार पिता आर.के. शेखर के सुरीले मार्गदर्शन में कर्नाटक संगीत का अनौपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के दौरान जब नन्हे रहमान की उंगलियां पियानो पर थिरकती थीं, तब उत्पन्न धुन के जादू को महसूस कर उनके पिता दांतों तले अंगुली दबा लेते थे। बचपन में ही सुरों से साक्षात्कार करने वाले रहमान के लिए यह सब आसान नहीं था। नौ वर्ष की उम्र में पिता का साया सिर से उठने के बाद रहमान ने स्वयं को पूरी तरह संगीत के प्रति समर्पित कर दिया। जीवन के प्रति अपने दर्शन से परिचित कराते हुए वे कहते हैं, हम चाहें या न चाहें, हमें किसी एक क्षेत्र में खुद को साबित करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह केवल हमारी मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है कि हम क्या चुनते हैं। पहले अपने अंदर झांकना चाहिए और खुद को हर परिस्थिति के अनुकूल बनाने के लिए तैयार रहना चाहिए। दक्षिण भारतीय फिल्मों के दिग्गज संगीतकार इलैयाराजा और प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन की छत्रछाया में अपनी संगीत प्रतिभा को निखारने के साथ-साथ रहमान ने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत में डिग्री प्राप्त की। संगीत का औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद लंदन से वापस लौटकर उन्होंने चेन्नई में आधुनिक तकनीक और उपकरण से सुसज्जित अपने रिकॉर्डिग स्टूडियो की स्थापना की और उसे नाम दिया पंचाथान रिकॉर्ड। इस तरह प्रारंभ हुआ संगीतकार रहमान का सुरीला सफर।
उपलब्धियों की पोटली:
फिल्म रोजा के गीत जब पहली बार भारतीय श्रोताओं के कानों में गूंजे, तब सभी ने उन गीतों की संगीत-रचना में कुछ अनूठापन महसूस किया। रहमान ने संगीत के पाश्चात्य और भारतीय सुर का मिश्रण कर पहली बार भारतीय श्रोताओं के लिए ऐसा कुछ पेश किया, जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं सुना था। रोजा के मधुर संगीत को लोकप्रियता मिलने के बाद भारतीय संगीत परिदृश्य पर रहमान के रूप में एक ऐसा युवा संगीतकार उभरा, जिनके प्रशंसकों में आम श्रोता से लेकर स्वर कोकिला लता मंगेशकर भी शामिल हो गई। रोजा के संगीत के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद रहमान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उपलब्धियों से उनकी पोटली भरने लगी। रंगीला, ताल, अर्थ 1947, पुकार, लगान, युवा, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा अकबर का संगीत रहमान की प्रतिभा के प्रमाण हैं। इन दिनों स्लमडॉग मिलियनेयर और दिल्ली 6 में उनका संगीत बज रहा है। रहमान कहते हैं, जिस क्षण आप में यह सोच जागेगी कि आप जो भी करेंगे, वह सबसे अच्छा होगा, तब हमेशा पहले से बेहतर करने के लिए आप तैयार रहेंगे। कुछ कर दिखाने की चाहत आपको नए प्रयोग के लिए तैयार रखती है, जो किसी भी रचना के लिए जरूरी होता है।
खुशी और भी बढ़ जाएगी:
भारतीय संगीत फलक के सबसे लोकप्रिय और चहेते सितारे रहमान के सुरों का जादू सात समंदर पार भी चलने लगा है। वे हिंदुस्तानी संगीत और पाश्चात्य शास्त्रीय सुरों को अपने संगीत में इस तरह पिरोते हैं, जिससे एक अनूठी संगीत रचना अस्तित्व में आती है। उनकी यही अनूठी संगीत रचना उन्हें संगीत जगत के अंतरराष्ट्रीय फलक के दिग्गज लोगों में शुमार कराती है। लंदन, न्यूयॉर्क, पेरिस आदि शहरों में मंचित होने वाली नृत्य-नाटिका बॉम्बे ड्रीम्स के संगीत ने रहमान को विश्व भर में पहचान दिलाई। फिर रहमान के प्रयोगशील संगीत ने चीनी भाषा में बनी फिल्म वॉरियर ऑफ हैवेन ऑन अर्थ और हॉलीवुड फिल्म लार्ड ऑफ द रिंग्स में अंतरराष्ट्रीय श्रोताओं का ध्यानाकर्षण किया। अब स्लमडॉग मिलियनेयर का संगीत भाषा की दीवारें तोड़कर अंतरराष्ट्रीय श्रोताओं के कानों में रस घोलने में सफल हो रहा है। रहमान के संगीत को मिल रही अंतरराष्ट्रीय श्रोताओं की स्वीकार करने का प्रमाण पिछले दिनों गोल्डेन ग्लोब अवार्ड समारोह में मिला, जब उन्हें सर्वश्रेष्ठ मौलिक रचना करने वाले संगीतकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारतवासियों का सिर गर्व से तब और ऊंचा हो गया, जब उनके चहेते संगीतकार को विश्व के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह ऑस्कर के लिए तीन प्रविष्टियों में नामांकित करने की घोषणा हुई। ऑस्कर अवार्ड के नामांकन की खबर जब रहमान को मिली, तो उनकी खुशी इन शब्दों में अभिव्यक्त हुई, भारतीय संगीत को अल्लाह ने अपनी रहमतों से सजाया है। मैं खुश हूं कि अल्लाह ने मुझे भारतीय संगीत का नुमाइंदा चुना है। ऑस्कर में नामांकन मिलने से बहुत खुश हूं। अगर पुरस्कार मिल जाता है, तो मेरी खुशी और भी बढ़ जाएगी।
उम्मीद है, भारतीय संगीत जगत की अमूल्य संपत्ति बन चुके शर्मीले नौजवान रहमान की उपलब्धियों की झोली ऑस्कर पुरस्कारों से भर जाए और भारतीयों को ऐसे ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने का अवसर मिले।
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