पिता-पुत्री का रिश्ता अनूठा होता है। दोनों स्नेह के अटूट धागे से बंधे होते हैं। जहां पिता अपनी पुत्री की हर छोटी-बड़ी खुशियों को संजोते हैं,तो पुत्रियां पिता की विरासत और उनसे मिले संस्कार को सकारात्मक दिशा देने का हर संभव प्रयास करती हैं। सिल्वर स्क्रीन पर अपने आकर्षण और अभिनय से दर्शकों को मोहित करने वाली अभिनेत्रियों ने भी पिता से मिली अभिनय की विरासत को सहेजने के लिए हिंदी फिल्मों का रुख किया। इन अभिनेत्रियों ने बता दिया है कि यदि पुत्रियों को पर्याप्त सहयोग और समर्थन मिले,तो वे इस मिथक को दूर कर सकती हैं कि पुरूष-प्रधान फिल्म इंडस्ट्री में स्टार-पुत्रों का ही सिक्का चलता है। पापा की ये लाडली बिटिया हिंदी फ़िल्मी दुनिया में खूब चमक रही हैं...
अपने दम पर...
वर्षों पहले जब करिश्मा कपूर ने निर्णय लिया था कि वे अभिनय करेंगी,तो किसी को करिश्मा के इस निर्णय पर यकीन नहीं हो रहा था। घर की बेटियों के मामले में परंपरावादी सोच वाले कपूर खानदान में पली-बढ़ी करिश्मा कपूर लिए यह कदम बेहद चुनौतीपूर्ण था,पर अपने लक्ष्य की ओर वे एकाग्र रहीं। बिना किसी पारिवारिक सहयोग या समर्थन के करिश्मा ने अपने दम पर हिंदी फिल्मों में विशिष्ट पहचान बनायी। बड़ी बहन करिश्मा के नक्शेकदम पर चलते हुए करीना कपूर ने भी हिन्दी फिल्मों का रुख किया।पापा रणधीर कपूर और मां बबीता से मिली अभिनय की विरासत को निखारते-संवारते हुए करीना ने स्वयं को हिन्दी फिल्मों की शीर्ष अभिनेत्रियों में शामिल कर लिया। हालांकि,पिता रणधीर कपूर फिल्मों में करियर बनाने के करिश्मा और करीना के निर्णय से सहमत नहीं थे,पर आज वे अपनी दोनों बेटियों की उपलब्धि से गौरवान्वित हैं।
वर्षों पहले जब करिश्मा कपूर ने निर्णय लिया था कि वे अभिनय करेंगी,तो किसी को करिश्मा के इस निर्णय पर यकीन नहीं हो रहा था। घर की बेटियों के मामले में परंपरावादी सोच वाले कपूर खानदान में पली-बढ़ी करिश्मा कपूर लिए यह कदम बेहद चुनौतीपूर्ण था,पर अपने लक्ष्य की ओर वे एकाग्र रहीं। बिना किसी पारिवारिक सहयोग या समर्थन के करिश्मा ने अपने दम पर हिंदी फिल्मों में विशिष्ट पहचान बनायी। बड़ी बहन करिश्मा के नक्शेकदम पर चलते हुए करीना कपूर ने भी हिन्दी फिल्मों का रुख किया।पापा रणधीर कपूर और मां बबीता से मिली अभिनय की विरासत को निखारते-संवारते हुए करीना ने स्वयं को हिन्दी फिल्मों की शीर्ष अभिनेत्रियों में शामिल कर लिया। हालांकि,पिता रणधीर कपूर फिल्मों में करियर बनाने के करिश्मा और करीना के निर्णय से सहमत नहीं थे,पर आज वे अपनी दोनों बेटियों की उपलब्धि से गौरवान्वित हैं।
पापा की प्रेरणा से
फिल्मी माहौल में पली-बढ़ी सोनम कपूर ने कभी नहीं सोचा था कि वे अभिनेत्री बनेंगी। उनकी रूचि एक दिन पापा अनिल को किसी फिल्म में निर्देशित करने की थी। वक्त ने ऐसी करवट बदली कि सोनम पिता की ही तरह अभिनय से जुड़ गयीं। सोनम को पिता अनिल कपूर का समर्थन मिला। सोनम की प्रेरणा बनें पापा अनिल।सोनम स्वयं कहती हैं,'पापा ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया है। अभिनय की बारीकियां मैंने उन्हीं सीखी है।' अनिल भी अपनी बिटिया सोनम की सफलता से गौरवान्वित हैं। वह कहते हैं,' 'सोनम में बेहतरीन अभिनेत्री के सारे गुण मौजूद हैं। मैं हमेशा उसके साथ हूँ।' सोनम की ही तरह अलिया भट्ट को भी अपने निर्माता-निर्देशक पिता महेश भट्ट का पूरा साथ मिला। महेश भट्ट ने आलिया को अपने बैनर की फिल्मों से अलग दूसरे बैनर की फिल्म से डेब्यू करने की आजादी दी। जब आलिया ने करण जौहर निर्देशित ' स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' से रुपहले पर्दे पर दस्तक दी,तो सबसे अधिक प्रसन्न पिता महेश हुए। अलिया से पूर्व महेश भट्ट ने अपनी बड़ी बिटिया पूजा भट्ट को भी पूरा समर्थन दिया था। पूजा को महेश ने अपने निर्देशन में ' डैडी ' से हिंदी फिल्मों की राह दिखायी।
फिल्मी माहौल में पली-बढ़ी सोनम कपूर ने कभी नहीं सोचा था कि वे अभिनेत्री बनेंगी। उनकी रूचि एक दिन पापा अनिल को किसी फिल्म में निर्देशित करने की थी। वक्त ने ऐसी करवट बदली कि सोनम पिता की ही तरह अभिनय से जुड़ गयीं। सोनम को पिता अनिल कपूर का समर्थन मिला। सोनम की प्रेरणा बनें पापा अनिल।सोनम स्वयं कहती हैं,'पापा ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया है। अभिनय की बारीकियां मैंने उन्हीं सीखी है।' अनिल भी अपनी बिटिया सोनम की सफलता से गौरवान्वित हैं। वह कहते हैं,' 'सोनम में बेहतरीन अभिनेत्री के सारे गुण मौजूद हैं। मैं हमेशा उसके साथ हूँ।' सोनम की ही तरह अलिया भट्ट को भी अपने निर्माता-निर्देशक पिता महेश भट्ट का पूरा साथ मिला। महेश भट्ट ने आलिया को अपने बैनर की फिल्मों से अलग दूसरे बैनर की फिल्म से डेब्यू करने की आजादी दी। जब आलिया ने करण जौहर निर्देशित ' स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' से रुपहले पर्दे पर दस्तक दी,तो सबसे अधिक प्रसन्न पिता महेश हुए। अलिया से पूर्व महेश भट्ट ने अपनी बड़ी बिटिया पूजा भट्ट को भी पूरा समर्थन दिया था। पूजा को महेश ने अपने निर्देशन में ' डैडी ' से हिंदी फिल्मों की राह दिखायी।
अभिनेत्री बिटिया नहीं मंजूर
धर्मेंद्र की बिटिया एषा देओल बचपन से ही अभिनेत्री बनने का सपना संजोए हुए थीं,पर एषा के अभिनेत्री बनने के निर्णय से धर्मेंद्र पूरी तरह असहमत थे। धर्मेंद्र हिन्दी फिल्मों की खोखली दुनिया के सच से अपनी एषा को बचाना चाहते थे। एक वक़्त ऐसा आया जब एषा की इच्छा और मां हेमामालिनी के समर्थन के आगे धर्मेन्द्र को झुकना पड़ा। वैसे,एषा का फ़िल्मी करियर बहुत छोटा रहा। लगातार असफलता का सामना करने के बाद एषा ने पिता की सलाह मानते हुए शादी रचा ली। आज वे फ़िल्मी दुनिया से दूर वैवाहिक जीवन के खुशनुमा पल बीता रही हैं।
धर्मेंद्र की बिटिया एषा देओल बचपन से ही अभिनेत्री बनने का सपना संजोए हुए थीं,पर एषा के अभिनेत्री बनने के निर्णय से धर्मेंद्र पूरी तरह असहमत थे। धर्मेंद्र हिन्दी फिल्मों की खोखली दुनिया के सच से अपनी एषा को बचाना चाहते थे। एक वक़्त ऐसा आया जब एषा की इच्छा और मां हेमामालिनी के समर्थन के आगे धर्मेन्द्र को झुकना पड़ा। वैसे,एषा का फ़िल्मी करियर बहुत छोटा रहा। लगातार असफलता का सामना करने के बाद एषा ने पिता की सलाह मानते हुए शादी रचा ली। आज वे फ़िल्मी दुनिया से दूर वैवाहिक जीवन के खुशनुमा पल बीता रही हैं।
नाम किया रोशन
सोनाक्षी सिन्हा ने पिता शत्रुघ्न सिन्हा को गर्व करने के अनेक मौके दिए हैं। पहली ही फिल्म में सोनाक्षी के अभिनय का प्रभावी अंदाज दर्शकों को भा गया और जल्द ही उन्हें जूनियर शॉटगन की उपाधि मिल गयी। सोनाक्षी ने बेहद कम वक़्त पर फिल्मों में अपनी विशिष्ट पहचान बनायीं है। परिणामस्वरूप दो भाइयों के होते हुए सोनाक्षी सही मायने में पिता शत्रुघ्न सिन्हा से मिली अभिनय की विरासत को आगे ले जा रही हैं। सिर्फ तीन वर्षों के फ़िल्मी करियर में सोनाक्षी आज उस मुकाम पर हैं कि वे अब अपनी शर्तों पर काम कर सकती हैं। सोनाक्षी की दिन-दुनी प्रगति से शत्रुघ्न सिन्हा बेहद उत्साहित हैं। वे कहते हैं,'सोनाक्षी में कुछ कर दिखाने का जज्बा है,जोश है। मैं खुश हूँ कि उसने हिन्दी फिल्मों से जुडऩे का निर्णय किया। मेरा मार्गदर्शन हमेशा उसके साथ है और रहेगा।' शक्ति कपूर की बिटिया श्रद्धा कपूर की पिछले कुछ दिनों में बढ़ी लोकप्रियता और सफलता ने साबित कर दिया कि यदि प्रतिभा और जोश हो,तो एक खलनायक की बेटी भी सफल नायिका बन सकती है। श्रद्धा की सफलता से शक्ति इतने उत्साहित हैं कि वे अपनी बेटी की तुलना बीते जमाने की कालजयी अभिनेत्री वहीदा रहमान से करते हैं। हर पल श्रद्धा का उत्साहवर्धन करते हैं शक्ति। श्रद्धा की चर्चा के दौरान शक्ति कपूर का सीना चौड़ा हो जाता है। ऐसा लगता है...मानो श्रद्धा ने वह कर दिखाया हो..जिसका वे सपना देखा करते थे।
सोनाक्षी सिन्हा ने पिता शत्रुघ्न सिन्हा को गर्व करने के अनेक मौके दिए हैं। पहली ही फिल्म में सोनाक्षी के अभिनय का प्रभावी अंदाज दर्शकों को भा गया और जल्द ही उन्हें जूनियर शॉटगन की उपाधि मिल गयी। सोनाक्षी ने बेहद कम वक़्त पर फिल्मों में अपनी विशिष्ट पहचान बनायीं है। परिणामस्वरूप दो भाइयों के होते हुए सोनाक्षी सही मायने में पिता शत्रुघ्न सिन्हा से मिली अभिनय की विरासत को आगे ले जा रही हैं। सिर्फ तीन वर्षों के फ़िल्मी करियर में सोनाक्षी आज उस मुकाम पर हैं कि वे अब अपनी शर्तों पर काम कर सकती हैं। सोनाक्षी की दिन-दुनी प्रगति से शत्रुघ्न सिन्हा बेहद उत्साहित हैं। वे कहते हैं,'सोनाक्षी में कुछ कर दिखाने का जज्बा है,जोश है। मैं खुश हूँ कि उसने हिन्दी फिल्मों से जुडऩे का निर्णय किया। मेरा मार्गदर्शन हमेशा उसके साथ है और रहेगा।' शक्ति कपूर की बिटिया श्रद्धा कपूर की पिछले कुछ दिनों में बढ़ी लोकप्रियता और सफलता ने साबित कर दिया कि यदि प्रतिभा और जोश हो,तो एक खलनायक की बेटी भी सफल नायिका बन सकती है। श्रद्धा की सफलता से शक्ति इतने उत्साहित हैं कि वे अपनी बेटी की तुलना बीते जमाने की कालजयी अभिनेत्री वहीदा रहमान से करते हैं। हर पल श्रद्धा का उत्साहवर्धन करते हैं शक्ति। श्रद्धा की चर्चा के दौरान शक्ति कपूर का सीना चौड़ा हो जाता है। ऐसा लगता है...मानो श्रद्धा ने वह कर दिखाया हो..जिसका वे सपना देखा करते थे।
रंग लायी मेहनत
कमल हासन ने पुत्री श्रुति हासन को अपने लिए करियर चुनने की पूरी स्वतंत्रता दी। उन्होंने श्रुति की औपचारिक सहायता नहीं की,पर भावनात्मक समर्थन और उत्साहवर्धन जरूर किया। श्रुति की प्रतिभा को स्वाभाविक रूप से फलने-फूलने का मौका दिया। पापा से इतर श्रुति ने सबसे पहले सुरों की दुनिया में अपनी किस्मत आजमायी और उसके बाद हिन्दी फिल्मों की ओर रूख किया। पापा की उम्मीदों के अनुरूप ही श्रुति ने रूपहले पर्दे पर आत्मविश्वास-भरी दस्तक दी और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाने की दिशा में प्रयास शुरू किया। कमल हासन कहते हैं,'मैं श्रुति को उसके करियर के सिलसिले में किसी तरह की सलाह नहीं देता हूँ। श्रुति ने अपनी राह खुद बनायी है और मैं उसकी ग्रोथ से खुश हूँ।'
कमल हासन ने पुत्री श्रुति हासन को अपने लिए करियर चुनने की पूरी स्वतंत्रता दी। उन्होंने श्रुति की औपचारिक सहायता नहीं की,पर भावनात्मक समर्थन और उत्साहवर्धन जरूर किया। श्रुति की प्रतिभा को स्वाभाविक रूप से फलने-फूलने का मौका दिया। पापा से इतर श्रुति ने सबसे पहले सुरों की दुनिया में अपनी किस्मत आजमायी और उसके बाद हिन्दी फिल्मों की ओर रूख किया। पापा की उम्मीदों के अनुरूप ही श्रुति ने रूपहले पर्दे पर आत्मविश्वास-भरी दस्तक दी और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाने की दिशा में प्रयास शुरू किया। कमल हासन कहते हैं,'मैं श्रुति को उसके करियर के सिलसिले में किसी तरह की सलाह नहीं देता हूँ। श्रुति ने अपनी राह खुद बनायी है और मैं उसकी ग्रोथ से खुश हूँ।'
उम्मीद है..भविष्य में भी फिल्मों में सक्रिय पिता की बेटियां हिंदी फिल्मों में अभिनय के सतरंगी रंग बिखेरती रहेंगी ...और वे यूं ही पिता के अनुभव,समर्थन,मार्गदर्शन और सहयोग से लाभान्वित होती रहेंगी।
-सौम्या अपराजिता