Monday, December 16, 2013

कॉमेडी की कलाबाजियां...

 रोजमर्रा की आपाधापी और व्यस्त जीवन शैली से दूर सुकून के दो पल जीने के लिए स्मॉल स्क्रीन सबसे सरल और सहज जरिया है। सुकून के इस सस्ते,सरल और सहज साधन पर प्रतिदिन मनोरंजन का बाजार सजता है। हालांकि, इस बाज़ार में अधिकांशतः फैमिली ड्रामा के कार्यक्रम की मांग है।.. पर पिछले कई अर्से से फैमिली ड्रामा की विधा के बंधे-बंधाए ढांचे से दर्शकों का मोहभंग होने लगा है। अब वे फैमिली ड्रामा में बहने वाले आंसुओं के सागर में डूबना नहीं चाहते हैं। अब तो उन्हें हंसी की महफ़िल लुभाने लगी है। दर्शकों के इस बदलते रुझान ने स्मॉल स्क्रीन पर हास्य-रस से भरपूर कार्यक्रमों के सिलसिले को आगे बढाया है। अब हर टीवी चैनल पर हास्य कार्यक्रमों का बाजार दर्शकों को लुभा रहा है। कहीं कपिल शर्मा की ठिठोली ने समां बाँध रखा है,तो कहीं कॉमेडी के महारथियों ने सर्कस में दर्शकों को हंसाने की जिम्मेदारी ले ली है। ..तो कहीं तारक मेहता का उल्टा चश्मा की दयाबेन ने ठहाकों की लड़ी लगा रखी है।

कॉमेडी को समर्पित
कॉमेडी के महारथियों के ठहाकों ने दर्शकों का इतना ध्यानाकर्षण किया कि कॉमेडी कार्यक्रमों के लिए एक चैनल ही समर्पित हो गया । देश का पहले कॉमेडी चैनल सब टीवी की लोकप्रियता ने साबित कर दिया है कि दर्शक हास्य रस के कार्यक्रमों के भूखे हैं। सब टीवी के कर्ता-धर्ता अनुज कपूर कहते हैं,'  हमारा उद्देश्य अन्य एंटरटेनमेंट चैनलों में चल रहे पारिवारिक ड्रामा और न्यूज चैनलों के क्राइम से भरपूर कार्यक्रमों के मुकाबले दर्शकों के लिए हंसी-मजाक के कुछ पल उपलब्ध कराना है। इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर हमने सब टीवी को पूरी तरह एक लोकप्रिय कॉमेडी चैनल के रूप में परिवर्तित करने निर्णय किया है।उल्लेखनीय है कि 'ऑफिस-ऑफिस' और 'यस बॉस' जैसे धारावाहिकों के माध्यम से सब टीवी ने अपनी शैशवावस्था में दर्शकों के लिए स्तरीय हास्य धारावाहिक उपलब्ध कराए थे।

चल पड़ा सिलसिला
यूं तो हास्य धारावाहिक समय-समय पर अपनी मनोरंजक क्षमता के कारण दर्शकों को रास आते रहे हैं,पर इधर कुछ समय से कॉमेडी आधारित नॉन फिक्शन शो की लोकप्रियता चरम पर है। स्टार वन पर प्रसारित होने वाले कॉमेडी शो ' इंडियाज लाफ्टर चैलेंज' ने भारतीय स्मॉल स्क्रीन पर नॉन फिक्शन कॉमेडी शो की नींव रखी। इस शो से स्मॉल स्क्रीन ने भारतीय परिप्रेक्ष्य में स्टैंड अप कॉमेडियनों की बहार लायी। फिर तो 'कॉमेडी सर्कस' जैसे कार्यक्रमों ने स्मॉल स्क्रीन पर स्टैंड अप कॉमेडी की दिन दुनी रात चौगुनी प्रगति की।

स्टैंड अप कॉमेडी के सरताज
आज के दौर का कॉमेडियन जिसे कभी मसखरा कहा जाता होगा, बिलकुल बदल चुका है। आज वह स्टैंडअप कॉमेडियन है। वह अच्छा-खासा कमा रहा है और महंगी गाडिय़ों में चल रहा है। अब युवा इस फील्ड में जाने से कतरा नहीं रहे हैं। अब कॉमेडी भी कम ग्लैमरस नहीं रही। धारावाहिकों की दुनिया के कई मशहूर अदाकार स्टैंड अप कॉमेडियन बनने की राह पर चल चुके हैं। अब स्टैंड अप कॉमेडियन की लोकप्रियता और सफलता फिल्मों के शीर्ष सितारों के करीब पहुँचने लगी है। कपिल शर्मा को पिछले कुछ दिनों में जिस कदर दर्शकों का प्यार-दुलार मिला है,वह शायद ही किसी दूसरे कॉमेडियन को मुखातिब हुआ हो। कॉमेडी सर्कस में कपिल की प्रतिभा से सभी इतने प्रभावित हुए कि उन्हें एक पूरे कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंप दी गयी। यही नहीं  इस कार्यक्रम को उनका नाम भी दिया गया। बात हो रही है 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' की। 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल'  बेहद सफल है। इसकी दो वजह है, पहली तो ये कि इसके लेखन में थोड़ा नयापन है, और दूसरी कि इसमें चीज़ें बहुत सी भरी गई हैं, जो उबाऊपन से आपको बचाती है। चूंकि कपिल कई सालों से कॉमेडी सर्कस करते आ रहे हैं तो उन्हें ये पता है कि उन्हें क्या नहीं करना है। इस शो के लिए सबसे बड़ी चुनौती है हमेशा कुछ नया करते रहना क्योंकि कॉमेडी जितनी जल्दी लुभाती है, उससे कहीं जल्दी बोर भी करने लगती है। कपिल बताते हैं, ‘‘मैं कुछ अलग करना चाहता था।इसलिए मैंने इसे पांच हिस्सों में बांटा- स्टैंडअप कॉमेडी, ड्रामा, फेमिली, सेलिब्रिटीज और दर्शकों के साथ बातचीत।इसलिए पूरे शो में एकरसता नहीं रहती है और पार्टिसिपेशन की वजह से यह मजेदार भी बना रहता है।'

भारती उर्फ़ कॉमेडी क्वीन
स्टैंडअप कॉमेडी को पुरुषों के वर्चस्व वाला क्षेत्र माना जाता रहा है लेकिन एक लड़की ऐसी भी है, जो अपने वन लाइनर्स और चुटीले संवादों से पेट में बल डाल देती है। बेशक टेलीविजन पर उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है लेकिन इस पंजाबी कुड़ी का संघर्ष आसान नहीं रहा है। आज अपनी कामयाबी को भी वे अपने चुटीले अंदाज में ही बयान करती हैं, ‘‘मेरा जीवन बिलकुल फिल्मों की तरह बदला है।जैसे उसमें दिखाते हैं कि घूमते चक्के के साथ दिन बदलते हैं, वैसे ही मेरे साथ भी हुआ।’फिल्मों में किस्मत आजमाने पर वे मिसाल देते हुए कहती हैं, ‘चार चूल्हों पर एक साथ खाना बनाओगे तो मुझे लगता है कि कुछ न कुछ गड़बड़ तो हो ही जाएगी। इसलिए मैं अभी जो कर रही हूं उस पर ही ध्यान देना चाहती हूं।’

मुश्किल है कॉमेडी
कहते हैं रुलाना आसान है और हँसाना मुश्किल। इस मुश्किल काम को करने वालों की प्रतिभा को परखने वाली अर्चना पूरण सिंह कहती हैं,' कॉमेडी करना काफी मुश्किल है। हास्य कलाकारों के लिए जरूरी होता है कि उनका ह्यूमर लेवल अच्छा हो और साथ ही वे सेंसिबल  हों। कॉमेडी के दौरान हम कलाकार अपनी सीमाओ का पूरा ख्याल रखते हैं। सभी कहते हैं कि मैं बहुत हंसती हूँ,पर सभी यही नोटिस करते होंगे कि मेरी हंसी बनावटी नहीं होती। मैं हंसती हूँ क्योंकि मुझे हंसी आती है।' अर्चना पूरण सिंह के ठहाकों ने हंसी की महफ़िल को और भी खुशनुमा बना दिया है,तो कपिल की कॉमेडी की कलाबाजियों ने स्मॉल स्क्रीन पर कॉमेडी कार्यक्रमों की लोकप्रियता को नया आयाम दिया है। उम्मीद है हंसाने के इस मुश्किल काम को अंजाम देने का सिलसिला यूं ही जारी रहेगा और छोटे पर्दे पर यूं ही हंसी-ख़ुशी की महफ़िल सजती रहेगी।

-सौम्या अपराजिता

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है...