-सौम्या अपराजिता
यूं तो अपने प्रिय सितारों की खूबसूरती,आकर्षक व्यक्तित्व और मन मोहने वाली अदाओं को सिल्वर स्क्रीन पर निहारने के लिए सितारे सिनेमाघरों का रुख करते हैं,पर कई बार वे उनकी रूहानी,दमदार और मधुर आवाज को सुनने के लिए भी सिनेमाघरों में पहुंचते हैं। जब किसी एनीमेशन फिल्म या हॉलीवुड फिल्म में हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय सितारों की आवाज गूंजती है,तो दर्शकों को उस फिल्म विशेष में भी पारंपरिक हिंदी फिल्मों की अप्रत्यक्ष झलक दिखने लगती है। वे अपने प्रिय सितारे की चिर-परिचित आवाज में इतने गुम हो जाते हैं कि उन्हें उस फिल्म विशेष के एनिमेटेड पात्रों या विदेशी कलाकारों में भी आत्मीयता झलकने लगती है। दर्शकों के इसी आकर्षण और उत्साह के कारण हिंदी फिल्मों के सफल और लोकप्रिय सितारे अभिनय के साथ-साथ कुछ लम्हें हॉलीवुड फिल्मों और एनीमेशन फिल्मों की डबिंग को भी दे रहे हैं।
हॉलीवुड फिल्म 'रिडिक' के हिंदी संस्करण में सनी देओल और तापसी पन्नू की आवाज गूंज रही है। तापसी ने नायिका कैटी के लिए तो वहीं सनी देओल ने नायक विन डीजल के लिए अपनी आवाज दी है। 'रिडिक' की निर्माण कंपनी से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार,' सनी देओल ऐसे एक्टर हैं जो अपनी भारी और दमदार आवाज के लिए जाने जाते हैं।हमें लगता है कि सनी की आवाज के कारण यह फिल्म इंडियन ऑडियंस से बेहतर तरीके से कनेक्ट कर पाएगी।' 'रिडिक' के हिंदी,तमिल और तेलुगु संस्करण में नायिका कैटी के लिए अपनी आवाज देने वाली तापसी कहती हैं,' यह मेरे लिए पहला मौका है जब मैंने किसी हॉलीवुड फिल्म के लिए अपनी आवाज दी है।'
कुछ ही दिनों पूर्व प्रदर्शित हुई हॉलीवुड एनीमेशन फिल्म ' प्लेन्स' को प्रियंका चोपड़ा ने अपनी आवाज से सजाया। प्रियंका ने डिजनी की इस फिल्म के अंग्रेजी(मौलिक) और हिंदी संस्करण में इशानी के किरदार को अपनी आवाज दी है। प्रियंका के अनुसार,'प्लेंस की डबिंग करने में कोई परेशानी नहीं आई क्योंकि मैं हिंदी फिल्मों में भी डबिंग कर चुकी हूं। फिल्म में इशानी का किरदार बिल्कुल मेरे जैसा है। मैं चाहती थी कि इशानी की किरदार बिल्कुल वैसे ही बात करे जैसे मैं अपनी असल जिंदगी में बात करती हूं।'सनी देओल,तापसी पन्नू और प्रियंका चोपड़ा से पूर्व भी हिंदी फिल्मों के कई और चमकते सितारों ने हॉलीवुड फिल्मों के हिंदी संस्करण को अपनी आवाज से सजाया है। शाहरुख़ खान ने हॉलीवुड एनीमेशन फिल्म 'द इन्क्रेडिबल्स' के हिंदी संस्करण ' हम है लाजवाब' में मिस्टर इनक्रेडिबल और अक्षय कुमार ने 'ट्रांसफार्मर्स 3' के हिंदी संस्करण के मुख्य पात्र ऑप्टीमस प्राइम के लिए अपनी आवाज दी। विनय पाठक और रणवीर शौरी 'रिओ' के मुख्य पात्रों की आवाज बनें।
दरअसल, जब दर्शकों के प्रिय हिंदी फ़िल्मी सितारे की आवाज किसी हॉलीवुड फिल्म में गूंजती है,तो दर्शकों को पश्चिमी परिवेश और अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म से भी अपनापन महसूस होने लगता है। यही वजह है कि हॉलीवुड फिल्मों के निर्माता अधिकतम भारतीय दर्शकों को आकर्षित करने के लिए हिंदी फिल्मों के सितारों द्वारा अपनी फिल्म के मुख्य पात्र के लिए डबिंग की प्रक्रिया को तरजीह दे रहे हैं। हिंदी फिल्मों के सितारे भी इस प्रक्रिया में उत्साह से अपनी सहभागिता दे रहे हैं। इसी बहाने उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से हॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा बनने का अवसर जो मिल रहा है।
सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों में ही नहीं हिंदी फिल्मों के सितारों की खनकती आवाज भारत में बनी एनीमेशन फिल्मों में भी गूंजती रही है। करीना कपूर और सैफ अली खान 'रोडसाइड रोमियो' के नायक-नायिका की आवाज बनें,तो 'लव कुश' में सीता और राम के पौराणिक पात्रों को अपनी आवाज से संवारा जूही चावला और मनोज बाजपेयी ने। ऋतिक रोशन और कटरीना कैफ ने 'मैं कृष्णा हूं' के लिए डबिंग की,तो अक्षय कुमार ने ' जंबो' के नायक जंबो के लिए अपनी आवाज दी। जल्द ही प्रदर्शित होने वाली भव्य एनीमेशन फिल्म 'महाभारत' में अमिताभ बच्चन और सनी देओल क्रमशः भीष्म पितामह और भीम के एनिमेटेड अवतारों की आवाज बनेंगे। चर्चा है कि इस एनीमेशन फिल्म के लिए विद्या बालन और अजय देवगन ने भी पिछले दिनों डबिंग की है।
सितारे एनीमेशन फिल्मों और हॉलीवुड फिल्मों के हिन्दी संस्करण में अपनी आवाज देकर पारिश्रमिक और रचनात्मक अनुभव के नए पल पाते हैं। साथ ही,डबिंग का अनुभव सुविधाजनक भी होता है। दिनों-महीनों तक सेट पर पसीना बहाने के बाद जहाँ सितारों द्वारा अभिनीत एक फिल्म पूरी होती है,वहीं कुछ दिनों की डबिंग के बाद ही उनकी आवाज से सजी फिल्म सिनेमाघरों में पहुँच जाती है। वे उन फिल्मों में हालांकि अभिनय नहीं करते हैं,पर उनकी फिल्मोग्राफी में वह फिल्म विशिष्ट स्थान रखती है। सिर्फ सितारे ही नहीं इस पूरी प्रक्रिया से फिल्म विशेष के निर्माता भी लाभान्वित होते हैं। लोकप्रिय सितारों की आवाज हिंदी फ़िल्मों के पारंपरिक दर्शकों के बीच उनकी फिल्म की लोकप्रियता में चार चाँद लगा देती है। फिल्म का मार्केट वैल्यू बढ़ता है। फिल्म के प्रति दर्शकों का आकर्षण बढ़ता है जिस कारण अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में दर्शक सिनेमाघरों का रुख करते हैं।
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