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Thursday, February 20, 2014

यही तो एक्टिंग है-अर्जुन कपूर

अर्जुन कपूर का अभिनय काबिलेतारीफ है। एक्शन दृश्यों में वे जोरदार हैं। डांस भी बढिया कर लेते हैं। साथ ही,उनका वास्ता फ़िल्मी परिवार से है। इस तरह उनके पास हुनर भी है,मौका भी है और कुछ कर दिखाने का जोश भी है। तभी तो,पहली ही फिल्म से अर्जुन को नयी पीढ़ी के सबसे तेजी से उभरते हुए सितारों में शुमार कर लिया गया है। अब तक 'इशकजादे' और 'औरंगजेब' में अर्जुन ने अभिनय का रंग बिखेरा है। अब वे 'गुंडे' में अपने अभिनय की एक और बानगी पेश कर रहे हैं। अर्जुन की बातें उन्हीं के शब्दों में...

टूट पड़ा इस मौके पर
अगर बात करें हिंदी सिनेमा की,तो बचपन से हमने शोले,दीवार और काला पत्थर जैसी फ़िल्में पसंद की है जिसमें ड्रामा हो,अनबन हो,इमोशन हो,दोस्ती हो,रोमांस हो। ..तो जब इसी तरह की फिल्म 'गुंडे' का हिस्सा बनने की बात हुई,तो मुझे लगा कि ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहिए। मुझे ऐसा लगा कि जैसी फिल्मों को मैं देख कर बड़ा हुआ हूं वैसी फिल्म में काम करने का मौका मिल रहा है,तो यह बहुत अच्छी बात है। किसी पिक्चर से  ऑडियंस जो चाहती है ..वह सब है इसमें। एक्शन है,रोमांस है,ड्रामा है। दो हीरो वाली फिल्म है। ऐसी फिल्म आजकल नहीं  बनती है।.. तो मैं तो टूट पड़ा इस मौके पर।

दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू
जब अली ने नैरेशन दी थी तब उसे नहीं पता था कि वह हमें कौन सा किरदार देना चाहता है। बाला और बिक्रम जो किरदार हैं उसमें बिक्रम मेरी पर्सनल लाइफ से ज्यादा मिलता है और बाला रणवीर की पर्सनल लाइफ से ज्यादा मिलता है। ऐसा नहीं था कि मैं सिर्फ और सिर्फ बिक्रम का रोल प्ले करना चाहता था। हां.. रणवीर और मुझे लगा कि उसे बाला का रोल और मुझे बिक्रम का रोल ऑफर किया जाएगा। ..लेकिन जब अली ने कहा कि वे अलग रोल करवाना चाहते हैं,तो मुझे कोई ऐतराज नहीं था। क्योंकि बाला का रोल मुझे उतना ही पसंद था जितना बिक्रम का। बाला के बिना बिक्रम अधूरा है और बिक्रम के बिना बाला। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

उसे ही तो एक्टिंग कहते हैं
अपने व्यक्तित्व से अलग तरह की भूमिका निभाना मुश्किल से ज्यादा मजेदार और चैलेंजिंग  होता है। जब आप वैसा किरदार निभाते हैं जो आपसे नहीं मिलता-जुलता है .. उसी को तो एक्टिंग कहते हैं। बाला का किरदार निभाने में मुझे बहुत मजा आया। मेरे लिए चैलेंज था। मैं बहुत एक्साइटेड था।


मेहनत करनी पड़ी
गुंडे की कहानी की पृष्ठभूमि पिछली सदी के सातवें-आठवें दशक पर आधारित है। अली हमारे लिए अलग तरह का लुक चाहते थे। एक अलग पर्सनालिटी,अलग तेवर चाहते थे। वे चाहते थे कि वह दौर किरदारों के चेहरों के भाव से उभर कर सामने आए। उसके लिए मुझे खुद को फिट रखने के लिए मेहनत  करनी पड़ी । मुझे अपना बेस्ट दिखना था। फिट दिखने के लिए मैंने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली।

दोस्ती और तालमेल
तालमेल तो बहुत अच्छा रहा। वह उभर कर सामने भी आ रहा है। ट्रेलर में सभी देख रहे कि हमारा तालमेल बेहद अच्छा है। हमारी दोस्ती बनी। मेरा ऐसा मानना है कि हम कैमरा के सामने कभी झूठ नहीं बोल सकते। अगर हमारे में तालमेल नहीं होता तो वह झलक कर सामने नहीं आता। मुझे तो बहुत मजा आया। मेरे लिए 'गुंडे' यादगार फिल्म है। रणवीर के साथ मेरी दोस्ती हुई।

कभी हावी नहीं
मैं प्रियंका को पिछले सात-आठ साल से जानता हूं। वे मेरी अच्छी दोस्त रह चुकी हैं। जब से वे इंडस्ट्री में आई हैं तबसे उन्हें जानता हूं। प्रियंका अपने-आप में बेहद उम्दा कलाकार हैं। अपना काम बखूबी निभाती हैं। सीनियर थीं,पर वे कभी हम पर हावी नहीं हुईं। मुझे बहुत मजा आया उनके साथ काम करके। वे हमारे साथ बिलकुल घुल-मिल गयी थीं।

यह मेरा गुड लक है
मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी छवि एक्शन हीरो की बनेगी। एक्शन आपके काम का ही हिस्सा है। जितना नाच-गाना इम्पोर्टेन्ट है उतना ही एक्शन भी। मुझे एक्शन करने में बहुत मजा आता है। क्योंकि मैं निजी जीवन में मैं नॉन वायलेंट पर्सन हूं इसलिए कैमरा के सामने वायलेंट होने में ज्यादा मजा आता है। यह मेरा गुड लक है कि मेरी इमेज एक्शन हीरो की बनती जा रही है।

खुश हूं

गुंडे को मिल रही प्रतिक्रिया से खुश हूं।अच्छी फिलिंग है। सबने बेहद मेहनत की है। जब बन रही थी तो किसी को अंदाजा नहीं था कि फाइनल प्रोडक्ट इतना अच्छा होगा। लोग 'गुंडे' से उम्मीद कर रहे हैं,तो यह अच्छी बात है। लोगों को हमारा काम भी पसंद आना चाहिए। फिल्म लोगों को एंटरटेन करे,एक्साइट करे ताकि लोग बार-बार जाकर देखें..यही उम्मीद है।

सबसे फेवरेट आउटडोर
बहुत ही शानदार अनुभव था। पहली बार मैं कोलकाता इस फिल्म की शूटिंग के लिए गया था। मेरा फेवरेट आउटडोर शूट रहा। वहां के लोग,वहां का खाना-पीना,वहां का सेटअप.. सब बेहतरीन था। वहां से लौटने के बाद मैं सबको बहुत मिस कर रहा था।

और भी फिल्में
इस समय मैं ' तेवर' की शूटिंग कर रहा हूं। इसमें सोनाक्षी सिन्हा हैं मेरे साथ। 'फाइंडिंग फैनी' इस साल लगेगी। यह होमी अदजानिया की फिल्म है जिन्होंने 'कॉकटेल' बनायीं थी। इसमें दीपिका पादुकोण हैं। अभी हाल ही में मैंने आलिया भट्ट के साथ 'टू स्टेट्स' की शूटिंग पूरी की है।
-सौम्या अपराजिता

Sunday, September 8, 2013

सलमान के साए में ..


-सौम्या अपराजिता
नवोदित अभिनेत्रियां ही नहीं, नवोदित अभिनेता भी सलमान खान की छत्रछाया में अपने फ़िल्मी करियर को निखारना और संवारना चाहते हैं। बड़े दिल वाले सलमान अपनी पसंद के नए अभिनेताओं को अभिनय,स्टारडम और आकर्षण को बरकरार रखने के गुरुमंत्र देते रहते हैं। ऐसे अभिनेताओं की लम्बी फेहरिस्त है जिनके सिर पर सलमान खान का हाथ है,जो सलमान के मार्गदर्शन में अपने फ़िल्मी करियर को ऊँचाइयों तक ले जाने के सपने देख रहे हैं।
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सूरज का उदय
सलमान खान के मार्गदर्शन का सुख पा रहे संघर्षरत अभिनेताओं में सूरज पंचोली का नाम इन दिनों सुर्ख़ियों में है। पिछले दिनों जब जिया खान खुदकुशी मामले में आदित्य पंचोली के पुत्र सूरज पंचोली को जमानत मिली,तो वे सीधा सलमान खान से मिलने 'मेंटल' के सेट पर हैदराबाद पहुँच गए। सलमान ने सूरज को मुश्किलों से निकालने की जिम्मेदारी अपने सर ले ली है। उन्होंने सूरज को सलाह देते हुए कहा है कि अब वे अपना पूरा ध्यान करियर पर लगायें। गौरतलब है कि सूरज की पहली फिल्म 'हीरो' की रीमेक है जिसका निर्माण सलमान खान कर रहे हैं। सलमान खान से जुडी एक विशेष बात है कि वे मुश्किलों में भी अपने करीबियों का साथ नहीं छोड़ते है। मुश्किल की घडी में सूरज का संबल बने हैं सलमान। सलमान खान ने सूरज पंचोली के माता-पिता से साफ कह दिया है कि अब से सूरज के बारे में मीडिया समेत तमाम सवालों के जवाब खुद देंगे।

अर्जुन के सारथी
नयी पीढ़ी के प्रतिभावान अभिनेताओं में एक अर्जुन कपूर को भी अभिनय की राहों का रास्ता सलमान ने ही दिखाया था। सलमान खान को अर्जुन अपना 'फ्रेंड,फिलोसोफर और गाइड' मानते हैं। अर्जुन कहते हैं,' असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में 'कल हो ना हो' और 'सलाम-ए-इश्क' जैसी फिल्में मैं कर रहा था।  उसी दौरान सलमान खान से मुलाकात हुई और उन्होंने मुझे कहा कि तुम हीरो क्यों नहीं बनते। इतनी बड़ी हस्ती को मैं ना नहीं कह सका। उनका मुझ पर विश्वास देख मैं दंग रह गया। मैंने सोचा करके देखते हैं। मुझे इस बात पर आश्चर्य भी हो रहा था कि सलमान भाई ने मेरे 140 किलोग्राम के वजन को देखते हुए यह बात कही थी। लगभग चार वर्ष तक मैं  सलमान भाई के साथ रहा। उनकी हर बात मैंने मानी चाहे खाना हो या वर्कआउट। वे बारीकी से मुझ पर नजर रखते थे। उन्होंने ही मुझे मेरी क्षमताओं का एहसास दिलाया, जिसे न तो मैंने और न ही मेरे परिवार ने स्वीकारा था। उन्होंने मुझे चार साल तक प्रशिक्षित किया और मेरा मार्गदर्शन किया।'


वरुण की प्रेरणा
डेविड धवन के सुपुत्र वरुण धवन के करियर में सलमान खान का योगदान महत्वपूर्ण है। पापा डेविड धवन निर्देशित फिल्मों में सलमान खान की मौजूदगी का फायदा वरुण को हुआ। वरुण ने सलमान खान का  स्टारडम करीब से देखा है।  सलमान भी समय-समय पर वरुण को प्रोत्साहित करते रहते हैं। सलमान ने पिछले दिनों वरुण की प्रशंसा में कहा था,'हिंदी फिल्मों के  'नेक्स्ट बिग किड' वरुण है। मैं वरुण की पर्सनालिटी और एक्टिंग से बेहद प्रभावित हूं।' वरुण पर सलमान खान का इतना असर है कि उनके लुक और हाव-भाव की तुलना सलमान से की जाती है।


 पुलकित के प्रिय
छोटे पर्दे से बड़े पर्दे का रुख करने वाले पुलकित सम्राट के करियर संवारने की जिम्मेदारी सलमान खान ने संभाल ली है। सलमान पुलकित को करियर से सम्बंधित सलाह देते रहते हैं। साथ ही,सलमान की पहल से उन्हें 'मेंटल' और अतुल अग्निहोत्री की फिल्म 'ओ तेरी' में नायक की भूमिका निभाने का अवसर मिला है । गौरतलब है कि ओ तेरी'  में सलमान कैमियो कर रहे है। पुलकित कहते हैं,'सलमान मेरे संरक्षक हैं। अगर वह किसी को  पसंद करते हैं तो उसे आगे बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जाकर उसकी मदद करते हैं। उनका दिल सोने का है और वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहते हैं। मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे उनका सहयोग मिला।’सलमान को नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है। पुलकित को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने एक अवॉर्ड समारोह में उन्हें  कई बड़े निर्देशकों से मिलवाया। गौरतलब है कि सलमान खान का रितिक रोशन  के फ़िल्मी करियर में  भी अमूल्य योगदान है। सलमान ने रितिक  के व्यक्तित्व को अपनी देखरेख में संवारा था ताकि  सिल्वर स्क्रीन पर रितिक  की पहली धमक प्रभावशाली लगे।


राम के राजदार
चिरंजीवी के पुत्र रामचरण तेजा को हिंदी फिल्मों में  ्थापित करने का उत्तरदायित्व सलमान खान ने अपने हाथों में ले लिया है। चिरंजीवी और सलमान बहुत अच्छे गहरे दोस्त है। यही वजह है कि सलमान ने तेजा के हिंदी फ़िल्मी करियर को संवारने की  जिम्मेदारी ली है| कहा जा रहा है कि सलमान की पहल से रामचरण की पहली हिंदी फिल्म 'ज़ंजीर' में बदलाव किये गए हैं। तेजा जब मुंबई में होते हैं तो वे अपना अधिकांश वक़्त सलमान के साथ ही बिताते हैं। दरअसल,सलमान की छत्रछाया में रहकर हिंदी फिल्मी दुनिया में अपनी जमीन तलाश कर रहे हैं राम चरण।

 सलमान खान के साथ,मार्गदर्शन और अनुभव से लाभान्वित हो रहे ये अभिनेता भाग्यशाली हैं ...। संभव है कि सलमान के साए में रहते हुए एक दिन कटरीना कैफ और सोनाक्षी सिन्हा की तरह उनका करियर भी सफलता के सोपान छूने लगे ....।